संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने के पक्षधर थे भीमराव
दरभंगा में डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पदयात्रा निकाली गई और प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। कुलपति ने उनके विचारों की महत्ता...

दरभंगा। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत वश्विवद्यिालय में स्नातकोत्तर इकाई, शक्षिा शास्त्र विभाग, रमेश्वरलता संस्कृत कॉलेज एवं बाबा साहेब राम संस्कृत कॉलेज के एनएसएस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्कृत विवि से मिथिला विवि स्थित डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा तक पदयात्रा निकाली गई। कुलपति सहित विवि के शक्षिक-कर्मियों व छात्र-छात्राओं ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. एलएन पांडेय ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. आंबेडकर के विचारों का हमारी सांस्कृतिक चेतना से गहरा जुड़ाव रहा है। वे समता, स्वतंत्रता और बंधुता के सद्धिांतों के पक्के पक्षधर थे। यही विचार वेदों के मूल भावों में भी निहित है। उन्होंने कहा कि हमसभी संस्कृतज्ञों के लिए यह बेहद ही गर्व की बात है कि बाबा साहेब ने संसद में संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित किए जाने का खुलकर समर्थन किया था। इस तरह हमसभी उनके ऋणी हैं। उनके विचार कालजयी हैं।
प्रतिमा स्थल पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़कर शपथ दिलायी गई। इस अवसर पर एनएसएस समन्वयक डॉ. सुधीर कुमार झा, कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. साधना शर्मा, डॉ. मुकेश प्रसाद निराला, डॉ. त्रिलोक झा, सीसीडीसी सह प्राचार्य डॉ. दिनेश कुमार झा, सीनेटर मदन प्रसाद राय, डॉ. पवन कुमार झा, प्रो. पुरेंद्र बारिक, डॉ. उमेश झा, डॉ. शंभू शरण तिवारी, डॉ. यदुवीर स्वरूप शास्त्री, डॉ. रितेश कुमार चतुर्वेदी, कुंदन कुमार, डॉ. प्रियंका तिवारी, डॉ. प्रमोद मश्रि, डॉ. संतोष कुमार पाठक, राकेश कुमार, सुशील कुमार झा, डॉ. संतोष कुमार पाठक, पंकज मोहन झा आदि
उपस्थित थे।
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