लनामिवि में दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर ऊहापोह
दरभंगा में लनामिवि का दीक्षांत समारोह लगातार टल रहा है। पिछले पांच वर्षों से छात्रों को उपाधि नहीं मिल रही है। विश्वविद्यालय ने जून में समारोह का आयोजन करने की घोषणा की थी, लेकिन तिथि निर्धारित नहीं...

दरभंगा, नगर संवाददाता। लनामिवि में दीक्षांत समारोह का आयोजन लगातार टलता जा रहा है। विगत पांच वर्षों से दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। जून में दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर कुलपति की घोषणा के बावजूद अभी तक आयोजन की तिथि निर्धारित नहीं की जा सकी है। दीक्षांत समारोह के आयोजन को लेकर विवि के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। विवि महकमे में चर्चा है कि विभिन्न सत्रों की लंबित उपाधि तैयार करने सहित अन्य प्रक्रियाओं को पूरी करने में आ रही दिक्कतों के कारण आयोजन टल सकता है। दीक्षांत का आयोजन नहीं होने से हजारों छात्र-छात्राएं मूल उपाधि से वंचित हैं। यह भी चर्चा है कि भीषण गर्मी को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन अब सितंबर-अक्टूबर के बीच दीक्षांत के आयोजन पर विचार कर रहा है। दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं होने के कारण पांच वर्षों से लंबित करीब दो दर्जन विषयों में पीजी, पीएचडी एवं डिलीट कर चुके लगभग 40 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को मूल उपाधि का इंतजार है। इनमें पीजी, पीएचडी और डिलीट के छात्र-छात्राएं शामिल हैं। विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह के आयोजन के लिए लंबित सभी सत्रों की मूल उपाधि तैयार करनी होगी। गौरतलब है कि लगभग दो माह पूर्व ही विवि अधिकारियों सहित अन्य निकायों की बैठक में कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने दीक्षांत समारोह का आयोजन जून माह में करने की घोषणा की थी। इस आलोक में तैयारी भी शुरू हुई थी। कुछ सत्रों का पीजी एवं दिसंबर 2024 तक का पीएचडी डिग्री तैयार करने की प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन धीरे-धीरे प्रक्रिया शिथिल पड़ने लगी है। लनामिवि में 10वें दीक्षांत समारोह का आयोजन 12 नवंबर 2019 को हुआ था। इसके बाद कोरोना संकट के कारण दीक्षांत का आयोजन लगातार टलता रहा जो अब तक शुरू नहीं हो सका है। पांच वर्ष पूर्व आयोजित दीक्षांत समारोह में पीजी सत्र 2017-19 के उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं एवं सितंबर 2019 तक विभिन्न संकायों से जुड़े विषयों के एवार्डेड 273 पीएचडी अभ्यर्थियों को मूल प्रमाणपत्र दिया गया था।
विवि के परीक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पीजी के चार सत्र 2018-20, 2019-21, 2020-22 तथा 2021-23 के छात्र-छात्राओं का दीक्षांत समारोह के माध्यम से प्रमाणपत्र दिया जाना लंबित है। पीएचडी के अक्टूबर 2019 से अब तक यानी पांच वर्ष के एवार्डेड शोधार्थियों को भी दीक्षांत समारोह का इंतजार है। फिलहाल जिन छात्र-छात्राओं को मूल प्रमाणपत्र देने की अनिवार्यता होती है, उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विवि से औपबंधिक प्रमाणपत्र को ही मूल उपाधि के रूप में सत्यापित कर दिया जा रहा है। विशेष परिस्थितियों में जरूरतमंद छात्र फिलहाल इसी तरह काम चला रहे हैं। पीजी के एक सत्र में औसतन 14 हजार 460 सीटों के विरुद्ध प्रत्येक सत्र में 11-12 हजार छात्र-छात्राएं नामांकन लेते हैं। विवि प्रत्येक सत्र में औसतन 90 प्रतिशत छात्रों को सफल घोषित करने का दावा करती है। इस दावा के विरुद्ध अगर औसतन प्रत्येक सत्र में 75 प्रतिशत छात्र-छात्राएं भी सफल होते हैं तो सत्रवार इनकी संख्या नौ हजार यानी चार सत्र में लगभग 36 हजार हो जाती है। विश्वविद्यालय से औसतन 400 छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष पीएचडी एवं डिलीट भी करते हैं। पांच वर्षों में इनकी संख्या भी लगभग दो हजार हो जाती है। पीजी, पीएचडी एवं डिलीट को मिलाकर यह संख्या 40 हजार से अधिक बतायी जा रही है, जिन्हें दीक्षांत समारोह के माध्यम से मूल उपाधि का इंतजार है।
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