मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद ने की 2.66 करोड़ की अवैध कमाई, ईडी की चार्जशीट दाखिल
- ईडी ने बयान में कहा कि तीन दिन पूर्व, 15 अप्रैल को पटना में धन शोधन निवारण अधिनियम के विशेष कोर्ट के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया गया। अदालत ने उसी दिन संज्ञान लिया। कुलपति रहते 2.66 करोड़ रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।

बिहार के चर्चित मगध विश्वविद्यालय में घोटाला मामले में पूर्व कुलपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बुरे फंसते दिख रहे हैं। उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) ने आरोपपत्र दाखिल किया है। ईडी ने इसकी जानकारी दी। डॉ. प्रसाद, उनके बेटे डॉ. अशोक कुमार, भाई अवधेश प्रसाद और उनसे कथित रूप से जुड़े प्यारी देवी स्मारक कल्याण ट्रस्ट के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने शिकायत दर्ज की है।
ईडी ने बयान में कहा कि तीन दिन पूर्व, 15 अप्रैल को पटना में धन शोधन निवारण अधिनियम के विशेष कोर्ट के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया गया। अदालत ने उसी दिन संज्ञान लिया। बिहार पुलिस की विशेष सतर्कता इकाई की जांच से पूर्व कुलपति एवं अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला सामने आया। विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों पर भी आरोप है।
इकाई ने आरोप लगाया था कि राजेंद्र प्रसाद ने सितंबर 2019 से नवंबर 2021 तक कुलपति रहते 2.66 करोड़ रुपये से अधिक की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। मालूम हो कि एजेंसी ने जांच के तहत 64.53 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क की थी।
अवैध कमाई को परिवार के ट्रस्ट में खपाया
ईडी के अनुसार, जांच में पाया गया कि राजेंद्र प्रसाद ने अवैध कमाई का इस्तेमाल बेटे अशोक कुमार व आरपी कॉलेज के नाम पर नकद देकर पांच संपत्तियां हासिल करने में किया। इसका प्रतिनिधित्व उनके भाई अवधेश प्रसाद करते हैं। आरपी कॉलेज के नाम पर अर्जित संपत्तियों को प्यारी देवी मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट को पट्टे पर हस्तांतरित किया। ट्रस्ट का स्वामित्व प्रसाद के परिवार के पास है। ट्रस्ट के बैंक खाते में कुछ नकदी जमा की, ताकि इसे आय के रूप में दिखाया जा सके।
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने परिजनों को शामिल करते हुए साजिश की ताकि, इसे बेदाग संपत्ति दिखा सकें। साथ ही परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट का इस्तेमाल कर सकें।