आपात स्थिति से निपटने के लिए जिले में नहीं हैं सिविल डिफेंस की सुविधा
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण सरकार ने 244 नागरिक सुरक्षा जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। गया, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, पिछले दो दशकों से नागरिक सुरक्षा की सुविधा से...

आपात काल की स्थिति में सहायतार्थ और जरूरतमंदों को सहयोग देने में सिविल डिफेंस की भूमिका मानी जाती है। यही कारण है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर बुधवार को भारत के 244 नागरिक सुरक्षा जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का सरकार ने निर्णय लिया है। लेकिन, गया जैसे ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र और विश्वस्तरीय पर्यटन क्षेत्र गया में पिछले दो दशक से सिविल डिफेंस की सुविधा नहीं है। पूर्व के वर्षों में काफी अच्छी व्यवस्था के तहत गया में सिविल डिफेंस काम करता था। हालांकि स्थानीय लोग हमेशा केंद्र व राज्य सरकार से गया में सिविल डिफेंस की सुविधा बहाल रखने की मांग की जाती रही है।
लेकिन, अभी तक यह सुविधा पुनः बहाल नहीं हो सकी है। जबकि, गया में बड़ा रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बोधगया महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर, मां मंगलागौरी मंदिर आदि स्थापित रहने के कारण देशी-विदेशी पर्यटकों का भी आना-जाना रहता है। साथ ही बड़ा शहर व बड़ा व्यवसायिक केंद्र के कारण लोगो को सहायतार्थ कार्य की जरूरत होते रहती है। पूर्व के वर्षों में गया के समाजसेवी अधिवक्ता शिवबचन सिंह करीब 15 वर्षी तक सिविल डिफेंस में मुख्य वार्डन के रूप में निःस्वार्थ काम करते रहे। उस समय करीब 5 सौ वॉलंटियर सिविल डिफेंस से जुड़े थे। वॉलंटियर में महिला भी शामिल थीं। ये लोग आपात काल के साथ ही अन्य सामूहिक सामाजिक कार्य मे हमेशा सेवारत होते थे। पूर्व के वर्ष में रफीगंज स्टेशन के समीप राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना में भी सहायतार्थ गया के सिविल डिफेंस के वॉलंटियर ने कार्य किया था। गया में सिविल डिफेंस को बंद किये जाने के बाद शिवबचन सिंह ने नगर सुरक्षा नाम से संस्था का संचालन किया था। इनके गुजर जाने के बाद यह भी बंद हो गया। वॉलंटियर रहे धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शगर में शांति सौहार्द व सांपदार्यिक सौहार्द बनाये रखने में सिविल डिफेंस काफी कारगर साबित होता था। सिविल डिफेंस से सामाजसेवी शिवराम डालमिया, अधिवक्ता मसूद मंजर,साहित्यकार गोवर्धन प्रसाद सदय, गीता दीदी सहित कई डॉक्टर,अधिवक्ता व समाजसेवियों भी जुड़े थे। शहर सहित जिले के विभिन्न भागों से वॉलंटियर जुड़े थे। नागरिक सुरक्षा उपायों को तत्काल आपातकालीन स्थितियों से निपटने, जनता की सुरक्षा करने और आपदा से नष्ट या क्षतिग्रस्त हुई महत्वपूर्ण सेवाओं और सुविधाओं को बहाल होता है। आपात स्थिति में लोगों की हिफाजत में नागरिक सुरक्षा समितियों की अहम भूमिका होती हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बने हालात के मद्देनजर देश के विभिन्न राज्यों में सिविल डिफेंस की व्यवस्था को परखने के लिए आगामी बुधवार को मॉक ड्रिल की जानी है। लेकिन गया में फिलहाल नागरिक सुरक्षा समिति का गठन नहीं है।
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