गांवों में उचित जल निकासी व्यवस्था की आवश्यकता
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के छात्रों ने गांवों का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीणों से पर्यावरण के मुद्दों पर बातचीत की, जैसे जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता।...
दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एमएससी पाठ्यक्रम के अंतर्गत पर्यावरण जागरूकता एवं सामुदायिक विकास के तहत द्वितीय सेमेस्टर के छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर के समीप के गांवों का भ्रमण किया। विद्यार्थियों ने फतेहपुर, कोसमा, दरियापुर, जमुने, नेपा एवं धर्मशाला गांवों का दौरा किया। विद्यार्थियों ने इन गांवों में सर्वेक्षण किया तथा ग्रामीणों से नहाने-धोने के लिए तालाब में साबुन एवं डिटर्जेंट के अत्यधिक उपयोग, तालाब में प्लास्टिक कचरे को फेंकने, जल निकासी व्यवस्था के अवरुद्ध होने एवं अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट पृथक्करण, गर्मियों में पेयजल की कमी, खुले में शौच, विद्यालयों में शौचालयों के बारे में बातचीत की।
प्राध्यापक समन्वयक डॉ. एन. एल. देवी ने भ्रमण के निष्कर्षों को साझा करते हुए कहा कि गांवों में उचित जल निकासी व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसमें घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन के लिए घरों के पास गड्ढों एवं लीच पिट का निर्माण शामिल है। नेपा गांव में पूरी तरह से सफाई और ढकी हुई नालियों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। गांवों को प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना चाहिए। इसमें निवासियों को तालाबों में कचरा फेंकने से बचने के लिए शिक्षित करना, बायोडिग्रेडेबल और गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे के लिए अलग-अलग कूड़ेदान लगाना और घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन गांवों में नियमित पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं, खासकर कोसमा जैसे गांवों में, स्थानीय लोगों को स्थायी प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए। पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने कहा कि विभाग छात्रों को समय - समय पर ऐसे भ्रमण के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।
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