वजीरगंज में स्कूल बस के धक्के से युवक की मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने रखा पांच घंटे सड़क जाम
वजीरगंज, एक संवाददाता। वजीरगंज - फतेहपुर रोड में बुधवार की सुबह केनारचट्टी में स्कूल बस के धक्के से 21 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मौत के बाद आक्रोशित ग
वजीरगंज-फतेहपुर रोड पर बुधवार की सुबह केनारचट्टी में स्कूल बस के धक्के से एक युवक की मौत हो गई। आक्रोशित ग्रामीण व परिजनों ने सड़क पर शव को रखकर प्रदर्शन किया। बस संचालक व चालक के विरूद्ध कार्रवाई व उचित मुआवजे देने की मांग कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, पंकज कुमार (21) रविदास टोला निवासी रामजीत रविदास का पुत्र था। परिजनों के अनुसार वह सुबह उठकर शौच के लिए घर से निकल रहा था तभी फतेहपुर से वजीरगंज की ओर आ रही स्कूल बस के धक्के से पंकज वहीं गिर गया। तुरंत इलाज के लिए ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों ने बस को रोकवा लिया और चलक को पकड़ लिया। लेकिन, चालक लोगों को चकमा देकर फरार हो गया। बस पर सवार बच्चों को पुलिस हेल्पलाइन बल की सहायता से दूसरे वाहन से स्कूल भेज दिया गया।
मौत की खबर फैलते ही ग्रामीण आक्रोशित होकर शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करने लगे। इससे आवागमन बाधित हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची और ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। लेकिन कई घंटों तक मुआवजा देने व चालक और बस संचालक पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए सड़क को जाम रखा। ग्रामीण चालक को नशे में होने का आरोप भी लगा रहे थे। सड़क जाम रहने के कारण राहगीरों के साथ ग्रामीणों का बहस भी हुआ। पांच घंटे तक सड़क जाम रहने के कारण दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। इससे यात्री परेशान रहे₹। प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभाकर सिंह, समाजसेवी अमरिश कुमार ने ग्रामीणों को समझाया और पीड़ित परिजन को पारिवारिक लाभ योजना से बीस हजार रुपये देकर लगभग एक बजे दोपहर में जाम खत्म कराया। सड़क जाम हटाने के समय पुलिस ने हल्के बल का प्रयोग भी किया।
थानाध्यक्ष वेंकटेश्वर ओझा ने बताया कि मृतक के पिता रामजीत रविदास ने माउंट लिट्रा जी स्कूल की बस के चालक मोहन मालाकार पर शराब पीकर लापरवाही से बस चलाने का आरोप लगाया है। मामला दर्ज कर लिया गया है। पोस्टमार्टम कराकर शव उसके परिजन को सौंप दिया गया है।
बुझ गया घर का चिराग
सड़क दुर्घटना में पंकज की मौत के बाद परिजनों और उसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा है। वह अपने पिता का इकलौता पुत्र था। पिता रामजीत रविदास ने बताया कि उसकी चार पुत्री हैं और एक पुत्र था। पंकज भी मजदूरी कर आर्थिक स्थिति को संभाले हुए था। उसने आर्थिक तंगी के कारण आठवीं के बाद विद्यालय छोड़ दिया था। पिता ने बताया कि वह रिक्शा चलाकर कुछ कमाई कर लेता है। वह पर्याप्त नहीं है। पंकज इकलौता सहारा था। मुझसे छीन गया। कहते हुए रोने लगे। उसकी माता पियरीया देवी व बहनों की चीत्कार से वातावरण हृदय विदारक बना हुआ था। माता बेहोश हो रही थी, जिसे पड़ोस की महिलाएं पानी डालकर बार-बार होश में ला रही थीं।
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