हिम्मत है, तो चुनाव लड़कर दिखाएं; प्रशांत किशोर ने बीजेपी के मंगल पांडेय को बताया नॉमिनेशन वाला नेता
प्रशांत किशोर ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को सिफारिशी और नॉमिनेशन वाले नेता बताया है। उन्होने खुलासा करते हुए कहा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन पर इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है लेकिन ये लोग जुगाड़ वाले नेता हैं, अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें इस बार चुनाव लड़ना चाहिए।

बिहार चुनाव से पहले सियासी घमासान तेज हो गई है। इस बीच जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर और बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय के बीच जुबानी जंग ने रफ्तार पकड़ ली है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इस बीच सीवान पहुंचे प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए मंगल पांडेय को सिफारिशी और नॉमिनेशन वाले नेता बताया है। उन्होने खुलासा करते हुए कहा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन पर इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने का दबाव बना रहा है लेकिन ये लोग जुगाड़ वाले नेता हैं, अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए।
प्रशांत किशोर ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मंगल पांडेय बड़बोले व्यक्ति हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और चुनाव के समय दावा कर रहे थे कि भाजपा को 200 सीटें मिलेंगी लेकिन जब नतीजे आए तो भाजपा को मात्र 55 सीटें मिलीं। फिर उन्हें बंगाल का प्रभारी बनाया गया, वहां भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में वे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं और मंत्री के तौर पर उनकी छवि क्या है, यह सभी जानते हैं।
कोविड महामारी के दौरान बिहार की जनता ने जो कष्ट झेले हैं, उसके लिए कहीं न कहीं तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जिम्मेदार हैं। और आज भी बतौर स्वास्थ्य मंत्री उनका काम कैसा है, यह हाल ही में एनएमसीएच (NMCH) अस्पताल में हुई घटना से पता चलता है जिसमें चूहों ने एक मरीज के पैर की उंगलियां खा ली। भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति को प्रशांत किशोर पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
आपको बता दें इससे पहले पीके ने मंगल पांडेय से पूछा था कि जब कोविड काल था, तब वो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री थे। उस समय लाखों लोगों को परेशानी हुई थी। जिस पर पलटवार करते हुए मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना काल के समय पीके करोड़ों-अरबों रुपये कमाने में जुटे थे। जिसका फिर से प्रशांत किशो ने करारा जवाब दिया है। अब देखना है कि स्वास्थ्य मंत्री कोई पलटवार करते हैं, या फिर इस जुबानी जंग को विराम देंगे।