स्वीकृति के बाद भी डेढ़ दशक से ठंडे बस्ते में पड़ी हैं जिले की चार मेगा रेल परियोजनाए
स्वीकृति के बाद भी डेढ़ दशक से ठंडे बस्ते में पड़ी हैं जिले की चार मेगा रेल परियोजनाएं स्वीकृति के बाद भी डेढ़ दशक से ठंडे बस्ते में पड़ी हैं जिले की चार

झाझा। निज संवाददाता आजादी के जितने साल हो चूके हैं जमुई जिले का लगभग उतना ही फीसदी हिस्सा आज भी रेल के मानचित्र से कटा हुआ है। विडंबना पूर्ण स्थिति यह कि रेल की सुविधा से वंचित इलाकों को रेल मानचित्र पर लाने से संबंधित जिले की चार बड़ी रेललाइन परियोजनाओं को रेल मंत्रालय ने अपनी हरी झंडी भी दी हुई है। इस तथ्य को लोकसभा के पटल पर खुद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी दो-दो बार स्वीकारा है। विडंबनापूर्ण स्थिति यह कि रेल मंत्रालय ने जिले की उन परियोजनाओं को अपनी स्वीकृति तो बख्श रखी है और इस तथ्य को खुद रेलमंत्री भी स्वीकारते हैं। किंतु,इन परियोजनाओं हेतु फंड आवंटन के सवाल पर मंत्रालय की ओर से कोई सकारात्मक संदेश की बाट जिलावासी आज तक भी जोह रहे हैं। बड़ा सवाल है कि फंड के बगैर सिर्फ स्वीकृति के झुनझुने की बदौलत आखिर ये परियोजनाएं धरातल पर भला किस बूते उतर पाएंगी! बता दें कि जिले की प्रसंगाधीन परियोजनाएं साल 2009 समेत विगत के अन्य केंद्रीय बजटों में प्रस्तावित या कहें प्रावधानित होने की बात बताई जाती है। जिले की उक्त मेगा रेल परियोजनाओं का करीब डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी हकीकत का सूरज नहीं देख पाने की अफसोसजनक स्थिति को बीते साल ‘हिन्दुस्तान द्वारा जमुई के सांसद अरूण भारती के संज्ञान में लाते हुए उनसे इस बावत सवाल भी किया था। ‘हिन्दुस्तान के सवाल के मद्देनजर सांसद द्वारा लोस में पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में रेलमंत्री ने बीते साल के जुलाई और फिर अभी बीते 2 अप्रैल को जमुई जिले से जुड़ी तीन नई बड़ी रेललाइन परियोजनाओं की स्वीकृति की बात कबूलने के अलावा आसनसोल से झाझा तक 4थी और आसनसोल से किऊल तक 3री नई रेललाइन बिछाने हेतु भी सर्वे का कार्य तेज गति से जारी होने की बात सांसद को बताई थी। वैसे,सांसद द्वारा रेलमंत्री से उक्त स्वीकृत परियोजनाओं के लिए धनावंटन की स्थिति के बारे में किए गए सवाल का सीधा जवाब नहीं देकर जवाब को दूसरी दिशा में ले जाते दिखे थे रेलमंत्री।
रेलमंत्री ने स्वीकारी थी इन परियोजनाओं की स्वीकृति की बात :
सांसद के सवाल पर रेलमंत्री ने जवाब में बताया था कि भारतीय रेल के दिल्ली-हावड़ा रूट पर किऊल-झाझा रेलखंड पर स्थित जमुई रीजन में रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के उद्येश्य से तीन और नई रेल लाइन परियोजनाओं,मसलन बरियारपुर-मननपुर (68 किमी,लागत 250 करोड़ रूपए),नवादा-लक्ष्मीपुर (137 किमी,लागत 3120 करोड़ रूपए) तथा झाझा-बटिया (20 किमी,लागत 496 करोड़ रूपए) को स्वीकृति दी जा चूकी है।
परियोजनाओं को धरातल पर पूरी रफ्तार से उतारने को विभिन्न बड़े कदमों का भी किया था दावा:
रेलमंत्री श्री वैष्णव ने सांसद श्री भारती को यह भी बताया था कि रेल परियोजनाओं के प्रभावकारी एवं तेजी से क्रियांवयन को ले भारत सरकार ने गति शक्ति निदेशालय की स्थापना,परियोजनाओं की प्राथमिकाएं,फंड का समुचित आवंटन,पॉवर का फील्ड स्तर तक विकेंद्रीकरण,परियोजनाओं की विभिन्न स्तरों पर मॉनिटरिंग तथा इनके शीघ्रतापूर्ण क्रियांवयन के दृष्टिकोण से जमीन अधिग्रहण से ले वन एवं वन्यजीव संबंधी क्लियरेंस आदि को ले राज्य सरकार एवं अन्य संबंधित ऑथोरिटी से नियमित संवाद व समंवय जैसे कदम उठाए गए हैं।
बताया था कि पूर्व की सरकार में बिहार को रेल के विकास को मिलते थे महज 1132 करोड़,मोदी जी ने 10 हजार करोड़ प्लस दिया है:
उन्होंने बताया था कि बिहार का रेल क्षेत्र कई जोनल रेलवे मसलन ईसीआर,ईआर,एनईआर एवं एनएफआर जोनल रेलवे में पड़ता है। बिहार के पूर्ण/आंशिक क्षेत्र में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर एवं सेफ्टी संबंधी कार्यों हेतु औसत वार्षिक फंड आवंटन साल 2009-14 के बीच जहां कुलजमा 1132 करोड़ रूपए था। वहीं,अकेले 2023-24 में उक्त आवंटन में 651 फीसद की वृद्धि करते हुए इसे 8505 करोड़ और अब 10 हजार 66 करोड़ रूपए किया गया है। उन्होंने बताया कि वैसे तो राज्य का क्षेत्र कई जोनल रेलवे तक फैला है। तथापि 01 अप्रैल,24 की तारीख को बिहार के पूर्ण/आंशिक क्षेत्र वाले 5064 किमी लंबाई तथा 79356 करोड़ रूपए लागत वाले कुल 55 प्रोजेक्ट्स (31 नई रेललाइन के,2 आमान परिवत्र्तन तथा 22 लाइनों के दोहरीकरण के) प्लानिंग,एप्रूवल या फिर निर्माण के स्टेज पर हैं। बकौल रेल मंत्री,इनमें मार्च,24 तक में 26983 करोड़ रूपए की लागत पर 1194 किमी लंबाई की रेल परियोजना अमली जामा पहन चूकी है।
जिले में काफी बढ़ जाएगी रेल की कनेक्टिविटी,जिले के विकास को मिलेगी नई रफ्तार:
बरियारपुर-मननपुर नई रेललाइन से जिलेवासियों को भागलपुर,मुंगेर को मिल जाएगा शॉर्ट रूट वाला वैकल्पिक मार्ग
बताने की जरूरत नहीं कि उक्त महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के जिले की सरजमीं पर उतरने के बाद आजादी के बाद से लेकर अब तक भी रेल से कटे कई इलाके रेल के मानचित्र पर आ जाएंगे। उक्त तीन मेगा परियोजनाओं से रेल से वंचित जिले के तीन अविकसित इलाकों को रेल की कनेक्टिीविटी नसीब हो जाएगी। इनमें झाझा-गिरिडीह प्रोजेक्ट के प्रथम चरण के तहत जहां झाझा से सोनो होते हुए बटिया तक के गांव रेल सेुड़ जाएंगे। तो,उधर लक्ष्मीपुर-नवाा ई रेललाइन से जमुई समेत तीन जिलों के बीच रेल नेटवर्क उपलब्ध होगा। वैसे तो उक्त तीनों ही प्रोजेक्ट जिले के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। साथ ही जिलावासियों को रेल की मुख्य धारा से जोड़ने एवं उन्हें विकास की नई रफ्तार पकड़ाने वाले प्रोजेक्ट साबित होंगे। किंतु इनमें 68 किमी लंबाई वाली बरियारपुर-मननपुर नई रेललाइन परियोजना शायद एक गेमचंजर परियोजना साबित हो सकती है। बता दें कि उक्त परियोजना के पूर्ण होने पर आसनसोल से लेकर झाझा,जमुई तक के लोगों को भागलपुर या फिर जमालपुर,मुंगेर आदि को आवाजाही के लिए एक वैकल्पिक और कम दूरी व समय वाला मार्ग मयस्सर हो जाएगा। वत्र्तमान में उन स्थानों के लिए लोगों को किऊल से रूट बदल कर फिर भागलपुर वाली लूप लाइन के जरिए जाना होता है।
स्वीकृति के लंबे अर्से बाद तक भी फंड के अभाव में धरातल पर नहीं उतरने वाली जिले की बड़ी परियोजनाएं:
जमुई जिले की लंबित बड़ी रेल परियोजनाओं की सुध लिए जाने की भी जिलावासी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। इस क्रम में झाझा-गिरिडीह नई रेललाइन परियोजना के क्रम में झाझा-गिरिडीह (जिसमें झाझा-बटिया के पहले चरण का कार्य प्रगति पर है) के अलावा लक्ष्मीपुर-नवादा,मननपुर-बरियारपुर एवं जमुई-बांका नई रेललाइन परियोजनाओं हेतु फंड का समुचित आवंटन होने से उक्त परियोजनाएं टै्रक पर आ सकती हैं। बताने की जरूरत नहीं कि उक्त सभी परियोजनाएं डेढ़ से दो दशक पूर्व से अटकी पड़ी हैं। इसके अलावा झाझा से पं.डीडीयू जं.तक 3री एवं 4थी नई रेललाइन बिछाए जाने का सर्वे होकर फंड की मंजूरी को डीपीआर रेलवे बोर्ड को भेजे जाने की बात खुद पूमरे के पूर्व जीएम तरूण प्रकाश ने बताई थी।
कहते हैं सांसद
सांसद अरूण भारती ने बताया कि जिले की रेल परियोजनाएं लंबित होने को लेकर आवाज उठाई गई है। योजनाएं को पूरा कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। जिले कुछ परियोजनाएं शीघ्र शुरू हो इसके लिए भी रेल मंत्री से बात किया गया है।
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