पोठिया में जूट की खेती से विमुख हो रहे किसान
पोठिया। निज संवाददातापोठिया में जूट की खेती विमुख हो रहे किसानपोठिया में जूट की खेती विमुख हो रहे किसानपोठिया में जूट की खेती विमुख हो रहे किसान

पोठिया, निज संवाददाता। किशनगंज जिला जो पाट उत्पादक के लिए सूबे में दूसरा सबसे बड़ा जिला कहा जाता था। किशनगंज जिले में पोठिया प्रखंड जूट की खेती के लिए प्रमुख माना जाता रहा है। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण पिछले 20 वर्षों के दौरान पोठिया प्रखंड क्षेत्र के किसान जूट की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। आज प्रखंड के 22 पंचायतों में जूट की खेती करने वाले किसानों की संख्या नहीं के बराबर हो गयी है। जिसका मुख्य कारण किसानों को जूट के फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलना है। किसानों का पाट को खेतों में सड़ाये जाने के लिए अनुदानित सड़नताल, बीज किसानों तक संबंधित विभाग द्वारा नहीं मुहैया कराया जाना आदि समस्याओं से किसान त्रस्त आकर जूट की खेती नहीं करने का मन बना लिये हैं। हालांकि प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधकारी अनुज कुमार शर्मा बताते हैं कि कुछ किसानों को पाट बीज बांटी गाई है। बताया जाता है कि पोठिया प्रखंड क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि 23 हजार 541 हेक्टेयर है। पिछले 20 वर्षों के दौरान 75 प्रतिशत भू-भाग पर पाट की खेती करते आ रहे थे। किसान जूट की फसल की कटाई के बाद धान की खेती करते थे, लेकिन उक्त तमाम समस्याओं के कारण फिलहाल दस प्रतिशत से भी कम किसान पाट की खेती सिर्फ अपने घरेलू काम के लिए ही कर रहें हैं। मिला जुलाकर वर्तमान में पोठिया के कृषक जूट की खेती पर बिल्कुल भी निर्भर नहीं हैं। जूट की खेती करने वाले किसान छतरगाछ निवासी नूरुल हक, मो. इब्राहिम दामलबाड़ी, जुल्फकार अली पैक्स अध्यक्ष बुढनई मो. हनीफ निवासी कोल्था, बासुदेव साह, संजय गणेश आदि किसानों ने बताया कि जूट को तैयार करने में जो लागत आती है, वह भी नहीं निकल पाता है। पाट की खेती फिलहाल किसानों के लिए घाटे का सौदा बनकर रह गई है। फलस्वरूप लोग धीरे- धीरे पाट की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। किसानों ने बताया कि आजादी के बाद से प्रखंड क्षेत्र के किसान बड़े पैमाने पर जूट की खेती करते थे।
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