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कचरे का अंबार बना शहर की बदनामी का कारण

कचरे का अंबार बना शहर की बदनामी का कारण, स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीसरायSat, 12 April 2025 03:20 AM
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कचरे का अंबार बना शहर की बदनामी का कारण

नगर परिषद क्षेत्र स्थित रेलवे स्टेशन बड़हिया के समीप दिन प्रतिदिन कचरे का बढ़ता अंबार न केवल शहर की स्वच्छता व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है। बल्कि स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। रेलवे लाइन और मुख्य सड़क के किनारे फैला यह कचरा धीरे-धीरे अब छोटे पहाड़ का रूप लेने लगा है। जो 26 वार्डो वाले नगर की स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध नगर परिषद की साफ-सफाई के क्षेत्र में अपर्याप्त व्यवस्था का पोल खोलता नजर आता है। यह कचरा कहीं बाहर से नहीं, बल्कि नगर परिषद क्षेत्र के घर-घर से निकलने वाले अपशिष्ट का ही परिणाम है। जिसे बिना किसी समुचित डंपिंग अथवा प्रबंधन के वर्षों से ही रेलवे स्टेशन के पास फेंका जा रहा है।

स्थिति यह है कि नगर वासियो के घर-घर से कचड़ा संग्रह कर, अर्थात नगर के अंदर की अस्वच्छता को नगर परिषद क्षेत्र के बाहरी अंतिम सीमा पर फेंक दिया जाता है। जिसे देख रेल पर सवार यात्री शहर और शहर की स्व्च्छता व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा करने को मजबूर होते हैं। तेज धूप अथवा हल्की बारिश होते ही यहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है। दुर्गंध से परेशान लोग नाक पर रूमाल रखकर आने-जाने को मजबूर हैं। ज्ञात हो कि जमा किए गए इस कचरे के किनारे से ही टालक्षेत्र को प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली मुख्य सड़क गुजरती है। जिससे रोजाना दर्जनों गांवों के लोग बड़हिया बाजार आते हैं।

रेलवे स्टेशन के ही समीप आवासित गोलभट्ठा और गढ़तर के इलाके से काफी संख्या में छात्र-छात्राएं इसी रास्ते से नगर परिषद क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ने आते हैं। जिनका स्वास्थ्य कचरे से उठने वाली बदबू और धुएं के कारण प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरे में फैले प्लास्टिक और अन्य सूखे अपशिष्ट को आग के हवाले कर दिया जाता है। जिससे निकलने वाला धुआं वातावरण को जहरीला बनाता है। इस धुएं से सांस संबंधी बीमारियों का भी खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

यह विडंबना ही है कि जहां एक ओर सरकारें पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए करोड़ों खर्च कर पौधारोपण अभियान चला रही है। तो वहीं दूसरी ओर कचरा प्रबंधन जैसी मूलभूत व्यवस्था के प्रति अनदेखी की जा रही है। इस दिशा में नगर प्रशासन द्वारा डंपिंग ग्राउंड या कचरा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे यह समस्या लगातार विकराल रूप धारण कर रही है।

कोट

समस्याओं का समाधान इसी महीने में कर लिया जाएगा

नगर सभापति डेजी कुमारी ने कहा कि उनके कार्यकाल से पहले, वर्षों से ही इस सरकारी भूमि पर कचड़ा डाला जा रहा है। हालांकि विभाग के निर्देश पर कचरा डंपिंग के लिए आवश्यक भूमि की खोज शुरू कर दी गई है। इसके लिए जरूरी डेढ़ एकड़ भूमि को लीज पर लिए जाने के लिए बीते सप्ताह निविदा भी निकाली जा चुकी है। जल्द ही इस दिशा में उपयुक्त भूमि का चयन कर समस्याओ का समाधान कर लिया जाएगा।

डेजी कुमारी, सभापति नगर परिषद

लोगों ने कहा

01. स्व्च्छता के साथ स्वास्थ्य के प्रति भी नगर परिषद को सजग एवं गंभीर होना चाहिए। यह स्थल प्रखंड मुख्यालय का द्वार है, और स्थिति यह है कि मुख्यालय में प्रवेश के दौरान लोग नाक पर रुमाल रखकर गुजरते हैं।

उमेश महतो, भानपुर

02. गर्मी के दिनों में तो यहां से गुजरना अथवा खड़े होकर दो मिनट बात करना भी मुश्किल है। कचरा जलाने से धुआं आंख में जाता है और सांस लेने में काफी दिक्कत होती है।

अभय कुमार, इंदुपुर

03. हर उम्र के लोगों को इस जगह से गुजरना मुश्किल भरा है। खास कर छोटे बच्चों और वृद्ध पर इस प्रदूषण का असर साफ दिखाई देता है। यहां से गुजरते वक्त बच्चे वृद्ध लगातार खांसी और सांस की समस्या से जूझने लगते हैं।

राजू महतो, गिरधरपुर

04. इस रास्ते से जब भी गुजरते हैं। तो यह स्थान सिरदर्द से भरा होता है। बावजूद टाल जाने के लिए अथवा जल्दी में किसी संबंधी को स्टेशन छोड़ने के लिए आना ही पड़ता है। इस दिशा में नगर प्रशासन को कुछ करना चाहिए।

गौरव कुमार, बड़हिया

05. रोज स्कूल जाते समय इस जगह से गुजरना पड़ता है। कई बार तो उल्टी जैसा महसूस होता है। पढ़ाई पर भी असर पड़ता है। कई बार तो इतनी दूरी तक सांस को रोककर ही तेजी से निकल जाते हैं।

आकाशदीप कुमार, गढ़ टोला

06. कभी-कभी तो कोचिंग पहुंचने में भी देर हो जाती है। क्योंकि इस रास्ते से निकलने का मन ही नहीं करता। बहुत गंदगी है। ऐसे में रेलवे प्लेटफॉर्म पर ऊपरी पैदल पुल की मदद से कोचिंग पहुंचते हैं।

गिरीश कुमार, गढ़ टोला

07. सुबह में कम, पर शाम में जब भी सब्जी खरीदने बाजार आती हूं। तो इस दुर्गंध से सिर में दर्द हो जाता है। छोटे बच्चे को साथ लाना मुश्किल हो जाता है। शहर को अंदर से स्वच्छ कर बाहर गंदगी फेंक देना अच्छी बात नहीं है।

शीला देवी, गढ़ टोला

08. दरवाजे तक सब्जी, चूड़ी और अन्य सामान बेचने आने वाले लोग भी इसकी शिकायत करते हैं। कहते हैं बहुत दुर्गंध होता है। कचरे की बदबू से सिरदर्द सा हो जाता है। लोगों को नाक पर कपड़ा डालने की मजबूरी हो जाती है।

शिवानी देवी, गढ़ टोला

09. हमने कई बार यहां कचड़ा गिराने वाले नगर सफाई कर्मी को कहा है कि यहां नहीं गिराएं। पर वह भी क्या करे, नगर परिषद जहां जगह देगा, वो वहीं तो गिराएगा। नगर प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए।

सूरज कुमार, गढ़ टोला

10. यहीं बगल में मेरा घर है। हवा चलने पर इसका खराब दुर्गंध घर तक पहुंचता है। घर के लोगों में खांसी की शिकायतें हैं। जो इस गंदगी से जुड़ी हो सकती है। इस रास्ते से बाजार जाने में सांस लेने में तकलीफ होती है।

अनिता देवी, गोलभठ्ठा

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