Labor Exodus Begins from Badhia Harvest Season for Pulses in Bihar दाल के साथ टाल से अब विदा होने लगे मजदूर, Lakhisarai Hindi News - Hindustan
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दाल के साथ टाल से अब विदा होने लगे मजदूर

दाल के साथ टाल से अब विदा होने लगे मजदूर

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीसरायThu, 10 April 2025 02:04 AM
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दाल के साथ टाल से अब विदा होने लगे मजदूर

बड़हिया, एक संवाददाता। एक मात्र दलहनी फसलों के उत्पादकता वाले बड़हिया टालक्षेत्र से अब मजदूरों का कारवां वापस अपने घरों की ओर प्रस्थान होना शुरू हो गया है। विदित हो कि टालक्षेत्र में तैयार रबी फसलों की कटाई के लिए प्रतिवर्ष लाख से भी अधिक की संख्या में मजदूर प्रदेश के विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्य झारखंड से यहां पहुंचते हैं। जिनके आगमन से हजारों हेक्टेयर में फैला टाल का इलाका किसी उत्सव तथा पर्यटक स्थल में तब्दील हो जाता है। सपरिवार पहुंचे इन लाखों कामगार के जगह जगह खलिहानों के समीप अस्थाई झोपड़ी (खोपरे), सुबह शाम जलते चूल्हे, खेलते इनके छोटे बच्चे तथा खोपरे के अंदर मोबाइल पर बजते आदिवासी व क्षेत्रीय संगीत की धुनें। सारे दृश्य गंगा किनारे लगने वाले कुम्भ के अहसास कराते हैं। कुल मिलाकर (दाल का कटोरा) कहा जाने वाला यह विशाल टालक्षेत्र न सिर्फ देश भर के थाली में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। बल्कि हजारों किसानों के जीविका और लाखों मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध कराता है। कुशल कामगारों के लिए भी बेरोजगारी जहां वर्तमान समय की सबसे बड़ी विभीषका है। तो वहीं यह टालक्षेत्र लाखों हाथों को काम और उचित पारिश्रमिक का आधार बनता है। यही कारण है कि ईश्वर और प्रकृति से बेहतर फसल की कामना किसान और मजदूर समान रूप से करते हैं। जो सामाजिक समरसता के भी उदाहरण हैं। बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों से पहुंचने वाले कामगारों में अधिकांश संख्या आदिवासियों की होती है। जिनकी मंशा महीने से डेढ़ महीने के प्रवास दौरान उचित मजदूरी के साथ ही साल भर के दाल की व्यवस्था कर लेने की होती है। ज्ञात हो कि इस वर्ष बेहतर हुए फसल उत्पादन से किसान और बटाईदार के साथ मजदूरों को भी प्रसन्नता हाथ लगी है। कृषि कार्य से निवृत हो चुके किसानों के सैकड़ो मजदूरों का रोज ही रेल और सड़क मार्ग से वापस अपने घर लौटने की प्रक्रिया जारी है। जिनके साथ एक महीने से अधिक प्रवास के अनुभव और भोजन की थाली के लिए पर्याप्त दाल हैं। जो उनके श्रम का ही फल है।

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