Three-Day Heritage Tourism Seminar in Lakhisarai Highlights Buddhist Sites and Cultural Significance तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी और विरासत विहार का भव्य शुभारम्भ, Lakhisarai Hindi News - Hindustan
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तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी और विरासत विहार का भव्य शुभारम्भ

पर्यटन संगोष्ठी और विरासत विहार का भव्य शुभारम्भ

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीसरायSat, 3 May 2025 06:22 AM
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तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी और विरासत विहार का भव्य शुभारम्भ

लखीसराय, एक प्रतिनिधि। जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के द्वारा शुक्रवार को 2 से 4 मई तक तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी एवं विरासत विहार कार्यक्रम का आयोजन होटल संगम वैकेंट में किया गया। कार्यक्रम का पहले दिन विरासत बिहार विषय पर परिचर्चा का उद्घाटन डीएम मिथलेश मिश्र एवं बुद्धिष्ट धर्मगुरुओं द्वारा दीप जलाकर किया गया। इसमें नेपाल, भूटान, सिक्किम, अरुणाचल और मेघालय से बड़ी संख्या में बुद्धिष्ट प्रतिनिधि शामिल हुए। इसके साथ ही शाम में नया बाजार पंजाबी मुहल्ला में पर्यटन संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इससे पहले टीम के द्वारा बालगूदर टीला, संसार पोखर, जोड़ा मंदिर का अवलोकन किया गया।

संगोष्ठी में देश एवं विदेश से आए इतिहासकार, पुरातत्वविद, शोधकर्ता की अनदेखी धरोहरों जैसे लाली पहाड़ी, अशोकधाम, श्रृंगी ऋषि धाम, उरैन पहाडी सहित अन्य स्थलों से प्राप्त मूर्ति के वीडियो फिल्म के अवलोकन उपरांत गहन जानकारी पर चर्चा किया। इस अवसर पर उन्होंने लखीसराय की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को न केवल बिहार बल्कि वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया। डीएम ने कहा कि लखीसराय में पर्यटन की असीम संभावना है। पिछले छह महीने में देखा है कि जगह जगह मूर्तियां मंदिर है, प्राचीन देवता के अवशेष है, इसके साथ कई प्रमाण है। लखीसराय के लाली पहाड़ी में बौद्ध महिला भिछुनी के साधना का स्थल है। घोषीकुंडी में भगवान बुद्ध कुछ दिन प्रवास किए है। नोनगढ टीला में भी कई मूर्तियो का अवशेष बयां कर रही है। टूरिज्म के प्रमाण है। आवश्यक है कि पुरात्व से उस काम को जोड़ा जाए जिससे विकास होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी उस जगहों का भ्रमण कर उसे अवलोकन कर सकें। आने वाले टूरिस्ट के लिए व्यवस्था व भौतिक संरचना पर कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह पहल लखीसराय के पर्यटन मानचित्र को मजबूत आधार देगी और आने वाले समय में यहां की सांस्कृतिक धरोहर को लेकर नए अवसर सामने आएंगे। कार्यक्रम में सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, भूटान, तिब्बत और बोधगया से आए बौद्ध भिक्षु एवं नालंदा नवविहार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। उनकी उपस्थिति ने आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा आने वाले पर्यटकों को सुविधाएं एवं भौतिक संरचना विकसित की जाएगी, जिससे की इस क्षेत्र में पर्यटन का विकास हो सके। बज्रयान बुद्धिज्म के दृष्टिकोण से लखीसराय क्षेत्र के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए इतिहासविद् अशोक कुमार सिंह ने अपने व्याख्यान में बताया कि उरेन, धनौरी, लाली पहाड़ी, सहमालपुर जैसे गांवों में कई ऐसे तथ्य हैं जहां से बुद्ध धर्म की बज्रयान शाखा से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों के प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कभी बौद्ध शिक्षा, साधना और संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है। कार्यक्रम के संयोजक रविराज पटेल, अभिनव कुमार, कुमार अभिषेक और उत्कर्ष ने आयोजन की रूपरेखा को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। प्रोजेक्टर के माध्यम से सभी बौद्ध स्थलों, उससे मिले मूर्तियों, लाली पहाड़ी, उरैन पहाड़, घोषीकुंडी पहाड़ी, नोनगढ़ पहाड़ी, बिछवे पहाड़ के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। तीन दिवसीय इस संगोष्ठी का उद्देश्य लखीसराय की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोना और उसे पर्यटन के माध्यम से व्यापक पहचान दिलाना है। वही सुमन वागोडना ने कहा कि पहले यहा घूमने आए थे टुरिज्म के साथ आने का अवसर मिला जिसके तहत अगर सर्किट से जुड़े तो यहां पीतल की बड़ी बड़ी बौद्ध प्रतिमा लगाया जा सकता है होटल को सर्किट से जोड़कर व्यवसाय बढ़ाया जा सकता है। आगामी सत्रों में लखीसराय के पुरातात्विक स्थलों पर भ्रमण और शोधपरक प्रस्तुतियां आयोजित होना शामिल है। मौके पर डीडीसी सुमित कुमार, जिला पर्यटन प्रभारी पदाधिकारी शशि कुमार, जिला जन संपर्क अधिकारी विनोद प्रसाद, डीआरडीए निदेशक नीरज कुमार, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी मृणाल रंजन सहित अन्य अधिकारी एवं बुद्धिज्म शोध से जुड़े विशेषज्ञ भी मौजूद थे।

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