Shiv Puran Katha Devotion and Blessings at Singheshwar शिवपुराण के हर श्लोक और अक्षर में शिव का वास : पंडित प्रदीप, Madhepura Hindi News - Hindustan
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शिवपुराण के हर श्लोक और अक्षर में शिव का वास : पंडित प्रदीप

सिंहेश्वर में आयोजित सात दिवसीय श्री शिवपुराण कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हर श्लोक में शिव का वास है। कथा के दौरान श्रद्धालु भक्ति में लीन रहे। उन्होंने बताया कि शिव की कृपा से जीवन में सुख,...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधेपुराWed, 23 April 2025 02:44 AM
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शिवपुराण के हर श्लोक और अक्षर में शिव का वास : पंडित प्रदीप

शिवपुराण के हर श्लोक और अक्षर में शिव का वास : पंडित प्रदीप शिव की कृपा का प्रतीक है सिंहेश्वर में सात दिवसीय श्री शिवपुराण कथा का आयोजन

कथा स्थल पर भक्ति की रसधारा डूबे दिखे लोग

भीषण गर्मी के बावजूद उत्साहित दिखे श्रद्धालु

सिंहेश्वर। निज संवाददाता

सिंहेश्वर में आयोजित सात दिवसीय श्री शिवपुराण कथा के दूसरे दिन प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि श्री शिव महापुराण 24 हजार श्लोकों का महासागर है। हर श्लोक और हर अक्षर में शिव का वास है। उन्होंने कहा कि अगर पूरा पुराण आत्मसात न कर सकें तो कुछ श्लोक या अक्षर ही जीवन में उतार लें। यही महादेव को हृदय में बसाने का मार्ग है।

व्यास पीठ से उन्होंने कहा कि देवाधिदेव महादेव इस मृत्युलोक में साक्षात विराजमान हैं। ऐसा कोई देवता नहीं जो केवल एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाए। शिव ही ऐसे देव हैं जो सच्चे मन से पुकारने पर कृपा बरसाते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि यह कथा कोई साधारण आयोजन नहीं है। यह शिव की कृपा का प्रतीक है। कथा के दौरान उन्होंने सिंहेश्वर नाथ का स्मरण करते हुए बखान किया। सिंहेश्वर के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि यह वही भूमि है जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने तप और साधना के लिए चुना था। उन्होंने कहा कि श्रृंगी ऋषि और महर्षि दधीचि की तपोभूमि पर कथा करना सौभाग्य की बात है। यहां की पवित्रता को देखकर लगता है कि 33 कोटि देवता स्वयं विराजमान हैं। कथावाचक ने कहा कि सिंहेश्वर नाथ मंदिर हजारों साल पुराना है। सिंहेश्वर नाथ की शरण में आने वाला कोई व्यक्ति खाली नहीं लौटता है। उन्होंने कहा कि कृष्ण, मां दुर्गा या अन्य देवी-देवताओं के मंदिर में नियमों का पालन जरूरी होता है, लेकिन शिव को केवल एक लोटा जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण शिव को समाधान का देवता कहा जाता है। श्री शिवपुराण कथा सुनने के लिए दूसरे दिन मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। कथा स्थल पर बनाए गए सभी पंडाल श्रद्धालुओं से भरे नजर आए। श्री शिवपुराण की कथा और भजनों के बीच श्रद्धालु भक्ति रस में डूबे नजर आए।

कथा सुनने से भगवान शिव की कृपा होती है प्राप्त

सिंहेश्वर। प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि महाशिवपुराण कथा सुनने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। कथा में शिव के अवतार, गुण और भक्तों की कहानियां सुनाई गई। इससे जीवन में सुख, शांति और सफलता मिलती है। कथा सुनने से रोगों से मुक्ति मिलती है। मनचाहा वर भी प्राप्त होता है। मोक्ष की प्राप्ति भी प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कथा के दौरान शिव की भक्ति में लीन रहना जरूरी है। कथा के बाद शिव की पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए। मंदिर में एक लोटा जल चढ़ाते ही शिव की दृष्टि पड़ती है। आत्मा का श्रृंगार शिव के लिए होता है जबकि शरीर का श्रृंगार दुनिया के लिए होता है। उन्होंने कहा कि शिव की विशेष पूजा होती है। शिव मंत्रों का जाप करने से डर दूर होता है। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। शिव के 108 नामों का जाप करना चाहिए। चावल, दूध, दही का दान करने से मानसिक स्थिति मजबूत होती है। महादेव की कृपा प्राप्त होती है।

शिव की कृपा से मिलती है सफलता व समृद्धि

सिंहेश्वर। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि

भगवान शिव की दृष्टि संसार में रहने के लिए जरूरी मानी जाती है। शिव सृष्टि के संहारक हैं। उनकी कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है। पारिवारिक जीवन में भी शांति आती है। शिव की तीसरी आंख विवेक और ज्ञान का प्रतीक है। इससे सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।

घर के गेट पर नमस्तुते लिखने से शिव की कृपा मिलती है। माना जाता है कि इससे घर की रक्षा होती है। दुख- दर्द दूर होते हैं।

शिव के लिए आत्मा का श्रृंगार सबसे महत्वपूर्ण

सिंहेश्वर। आत्मा का श्रृंगार शिव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह भक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। शिव को जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं। आत्मा का श्रृंगार भगवान शिव के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह श्रृंगार केवल बाहरी वस्तुओं से नहीं होता। यह मन, भाव और कर्मों से होता है। शिव की पूजा करते समय मन को शांत और एकाग्र रखना जरूरी है। उनकी कृपा पाने के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करनी चाहिए। भगवान शिव को जल, बेलपात, भांग और धतूरा जैसी प्रिय वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। यह सब आत्मा के श्रृंगार का हिस्सा है। शिव भक्ति में बाहरी सजावट से ज्यादा आंतरिक भावों का महत्व होता है।

नियमों और सिद्धांतों का पालन जरूरी

सिंहेश्वर। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव अपने उपदेशों में सफलता और समृद्धि के सूत्र बताए हैं। उन्होंने कहा कि नियमों और सिद्धांतों का पालन जरूरी है। अपने कार्यों पर नियंत्रण रखना चाहिए। शिव की भक्ति से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से मजबूत होता है। जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है। घर के मुख्य गेट पर नमस्तुते लिखने का अर्थ है भगवान शिव को प्रणाम करना। इससे शिव की कृपा घर पर बनी रहती है। मान्यता है कि इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही भगवान शिव घर की रक्षा करते हैं और दुख-दर्द दूर करते हैं।

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