Struggles of Traditional Musicians in Madhubani Cultural Identity and Government Neglect सरकारी कार्यक्रमों में मंच संग मिले मदद तो धुन से जीवंत होगी संस्कृति, Madhubani Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsMadhubani NewsStruggles of Traditional Musicians in Madhubani Cultural Identity and Government Neglect

सरकारी कार्यक्रमों में मंच संग मिले मदद तो धुन से जीवंत होगी संस्कृति

मधुबनी में वाद्य यंत्र बजाने वाले कलाकार अपनी कला के माध्यम से समाज का मनोरंजन करते हैं। लेकिन सरकारी सहायता की कमी और पुलिस की ज्यादती से परेशान हैं। छोटे कलाकारों को अधिक कठिनाइयों का सामना करना...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSat, 12 April 2025 04:28 PM
share Share
Follow Us on
सरकारी कार्यक्रमों में मंच संग मिले मदद तो धुन से जीवंत होगी संस्कृति

मधुबनी। हारमोनियम, ढोलक, तबला, नाल, बैंजो, बांसुरी, शहनाई, कारनेट, डम्फा, डफली, झाल, करताल, खंजरी आदि बजाने की कला हमारे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान हैं। शादी-ब्याह, त्योहार, मेलों और अन्य सामाजिक अवसरों पर इनकी प्रस्तुतियां लोगों को लोकसंगीत और नृत्य से जोड़ती हैं। इनसे जुड़े कलाकार सामाजिक गतिविधियों और समुदायों को एक साथ लाते हैं, जिससे लोगों के बीच संबंध मजबूत होते हैं। इसके साथ ही इन कलाकारों की चुनौतियां भी हैं। इनका कहना है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। न वृद्धापेंशन की सुविधा मिलती है और न इंश्योंंरेंस की सुविधा। जन्म से मृत्यु तक संगीत के माध्यम से समाज का मनोरंजन करने वाले कलाकारों को सरकारी स्तर पर कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। इसके साथ ही, सरकारी कार्यक्रमों में मंच संग प्रोत्साहन मिले तो उनकी धुन और ज्यादा निखरेगी।

हारमोनियम वादक जटाधर पासवान, तबला वादक प्रवीण कुमार मिश्रा व नाल वादक अर्जुन सम्राट ने बताया कि वाद्य यंत्र बजाने वाले कलाकार वर्षों से संगीत की साधना में लगे हैं। खुद के दुख दर्द को भुलकर लोगों का मनोरंजन करना ही एक मात्र ध्येय है लेकिन सरकारी स्तर पर हमें कोई सुविधा नहीं मिल रही है। ऐसे में आने वाले समय में वाद्य यंत्र बजाने वाले कलाकारों पर संकट का बादल छा सकता है। सरकारी उपेक्षा का आलम यह है कि कोई भी कलाकार अपने बच्चों को इस क्षेत्र में नहीं आने देना चाहते। ऐसा नहीं है कि समाज में उन्हे सम्मान नहीं है। मान सम्मान तो बहुत बढ़ा है। लेकिन सालोभर काम नहीं मिलता है। ऐसे में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पेंशन और मेडिकल की सुविधा नहीं रहने से बुढ़ापा मेंअधिक परेशानी होती है। जबकि सच्चाई ये है कि जन्म से मृत्यु एवं सभी पर्व त्योहार व मांगलिक कार्यो में इनकी डिमांड रहती है। फिर भी कलाकारों को उस अनुपात में आर्थिक कमाई नहीं होती है। ऐसे में अब सरकार को सभी कलाकारों का निबंधन कर एक मानदेय नर्धिारित करना चाहिए। पेंशन एवं मेडिकल की सुविधा देकर कलाकारों को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहिए। ताकि प्राचीन काल से चली आ रही वाद्य यंत्र बजाने वाले कलाकार आगे भी समाज को अपना मनोरंजन कराते रहे।

कलाकारों को रात में पुलिस करती है परेशान: कलाकारों की शिकायत है कि प्रोग्राम समाप्त होने के बाद रात में घर लौटने के क्रम में पुलिस उन लोगों को संदेह की दृष्टि से देखती है। रात्रि गश्ती की पुलिस जहां तहां रोक कर परेशान करती है। इतना कहने पर की वे लोग कलाकार हैं कार्यक्रम समाप्त होने के बाद लौट रहे हैं। पुलिस फिर भी नहीं मानती है। पहचान पत्र की मांग करती है। सरकार की तरफ से कोई पहचान पत्र आजतक उन लोगों को नहीं मिला है। हारमोनियम, ढ़ोलक, तबला, नाल, बैंजो, बांसुरी, शहनाई, कारनेट, नगारा, डम्फा, डफली, झाल आदि वाद्य यंत्र ही उनकी पहचान है। कलाकारों को जो सम्मान चाहिए वह पुलिस वाले नहीं देते हैं।

छोटे कलाकारों को अधिक परेशानी: बड़े कलाकारों को तो सभी लोग पहचानते हैं। उन्हे अधिक परेशानी नहीं होती है। छोटे कलाकारों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इसके लिए जिम्मेदार समाज के सभी लोग भी हैं। ये कलाकार हमेशा आश्रय पर पले हैं। आज मोबाइल पर लोग सबकुछ डाउनलोड कर लेते हैं। इससे छोटे कलाकारों का कारोबार प्रभावित होता है। रसनचौकी, ढ़ोल पिपही एवं लोक नाटय विलुप्त होता जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से इनकी कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।

¶Fû»FZ dªF¸¸FZQFSX

जिले के कलाकारों के निबंधन संबंधी योजना पाइप लाइन में है। इसके लिए विभाग एकीकृत पोर्टल तैयार कर रहा है, जिसमें पूरा डाटाबेस रहेगा। इसमें सभी जिलों के कलाकारों का लस्टि तैयार होगा। उसके बाद निबंधन करायेंगे। विभागीय स्तर पर जो भी योजनाएं है उसकी फेसबुक लाइव जानकारी तीन मई को दी जाएगी। कलाकारों के मानदेय संबंधी मांग नीतिगत बात है। फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।कलाकरों के प्रशक्षिण के लिए जिला में आम्रपाली कला केन्द्र जल्द खुलेगा। अटल कला केन्द्र सभी जिला में बनाने की योजना है।मधुबनी में भी आडोटोरियम बनेगा।

-नीतीश कुमार, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, मधुबनी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।