बलुआ टाल में सड़क पर बहता नाले का पानी, बीमारियां फैलने का अंदेशा
वार्ड नंबर 34 के बलुआ टाल मोहल्ले के निवासी वर्षों से सड़क और नाले की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। रेललाइन के किनारे बसी इस आबादी को घर से बाहर निकलने में कठिनाई हो रही है। जलजमाव और कीड़ों के कारण...

शहर के वार्ड नंबर 34 अंतर्गत बलुआ टाल मोहल्ले की एक बड़ी आबादी रेललाइन के किनारे बसी है। वर्षों से इस मोहल्ले में रह रहे लोगों को अपने घर से निकलकर मुख्य सड़क तक जाने के लिए एक सुगम रास्ता तक नहीं मिल पाया है। मोहल्ले के दिग्विजय नारायण सिन्हा, कुमार शिवशंकर, बसंत कुमार, अनिल कुमार, अजीत कुमार वर्मा, अदीप कुमार, संजय कुमार सिंह, कुंदन वत्स, आदित्य कुमार सिंह, सूरज कुमार ने बताया कि हमें ग्लानि होती है कि हम शहर में रहते हैं। नगर निगम को टैक्स तो भरते हैं, पर उस अनुरूप सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। मोहल्ले में सड़क व नाला तक नहीं है। सड़क पर जमा नाला के पानी में कीड़ा हो गया है। नगर आयुक्त से लेकर जनप्रतिनिधियों के पास अपनी पीड़ा सुना चुके हैं। मगर, आश्वासन के सिवा उन्हें आज तक कुछ भी हासिल नहीं हो सका है। लोग अपने घर में ही कैदी जैसा महसूस करते हैं।
रेल लाइन होकर आना-जाना मजबूरी : सड़क पर लंबे समय से नाले का पानी जमा होने से मोहल्लेवासी व आम राहगीर को मजबूरन रेललाइन होकर आना-जाना पड़ता है। कई लोग तो अपनी बाइक भी रेललाइन पर चढ़ा देते हैं। इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। रेल लाइन से नीचे उतरने के क्रम में मुहल्ले के कई लोगों का पांव टूट चुका है।
घर में कैदी की तरह जी रहे लोग : मोहल्ले के संजय कुमार सिंह, कुंदन वत्स, अमन कुमार वत्स, श्याम किशोर सिंह, रामाशंकर सिंह, राजू कुुमार सिंह, आकाश कुमार ने कहा कि रेललाइन दोहरीकरण के बाद से मोहल्ले में समस्या बढ़ गयी है। निर्माण कार्य के दौरान वाहनों की आवाजाही से सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है। नाले का पानी की निकासी नहीं होने से सड़क नहर में बदल गयी है। ऐसे में मोहल्ले के बुजुर्गों व महिलाओं को बहुत दिक्कत होती है। वे अपने ही घर में कैदी जैसा जीवन जी रहे हैं। बच्चों को स्कूल भेजने में बहुत परेशानी होती है।
होटल या गांव से समारोह करने की मजबूरी : लोगों ने कहा कि अपने कैंपस में जगह रहने के बावजूद सड़क नहीं होने से मेहमान आना नहीं चाहते हैं। मजबूरन उन्हें होटल या गांव के घर से शादी व अन्य समारोह का आयोजन करना पड़ रहा है। इससे उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
घर तक नहीं पहुंच पाता एंबुलेंस व वाहन : मुहल्ले के सुरज कुमार व आदित्य कुमार ने कहा कि काम से बाहर निकलने में डर लगता है। घर में यदि कोई बीमार हो जाए तो उन्हें अस्पताल ले जाने में बहुत परेशानी होती है। एंबुलेंस व ऑटो चालक भी मुहल्ला में घर तक नहीं आना चाहते हैं। मरीज को कंधे पर उठाकर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ता है।
पानी में कीड़ा, बीमार पड़ रहे लोग : मोहल्ले की सड़क पर लंबे समय से जलभराव है। इसमें कीड़ा हो गया है। जलजमाव से गुजरने के कारण लोगों को चर्म रोग व वायरल बुखार होने लगा है। मुहल्ले में मच्छर का प्रकोप बढ़ गया है। निकासी की व्यवस्था नहीं होने से नाला के पानी से बदबू आते रहती है। रेल लाइन दोहरीकरण के बाद से तो यहां के लोगों का जीवन नरक बन गया है। मोहल्ले में नाला नहीं होने से घर से निकलनेवाला पानी सड़क पर बहता है।
-बोले जिम्मेदार-
लोगों की समस्या से अवगत हूं। रेल लाइन दोहरीकरण के बाद से समस्या बढ़ी है। भारी वाहन की आवाजाही से सड़क क्षतग्रिस्त हो चुकी है। चांदमारी गुमटी के पास की मुख्य सड़क से मुहल्ले की सड़क काफी नीचे है। डॉ अतुल कुमार के घर के पास से रेलवे गुमटी तक नाला बनाने की योजना है। गुमटी के पास पंप हाउस बनाया जाएगा। डीडीटी का छिड़काव किया जाएगा।
मुजाहिद आलम , वार्ड पार्षद, वार्ड - 34
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