10 साल से बैंक में पड़े हैं 60 लाख, विभाग बदहाल
मुजफ्फरपुर में बीआरएबीयू को 60 लाख रुपये विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से 2015 में मिले थे। यह राशि जूलॉजी और गणित विभाग के विकास के लिए थी, लेकिन 10 साल से यह बैंक में पड़ी है। विभाग के प्रमुखों के...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। बीआरएबीयू को मिले 60 लाख रुपये 10 साल से बैंक के खाते में पड़े हैं। यह राशि विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से जूलॉजी और गणित विभाग को वर्ष 2015 में मिली थी। इस राशि से गणित और जूलॉजी विभाग का विकास करना था। दोनों विभागों में नये उपकरण लाये जाने थे, लेकिन यह राशि बैंक से विभाग तक नहीं पहुंची। सूत्रों ने बताया कि विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से जूलॉजी और गणित विभाग के लिए 50-50 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी। इस राशि में पहली किस्त के रूप में विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग ने 30-30 लाख रुपये बीआरएबीयू को भेजे।
इस राशि को विभाग में भेजा जाना था, लेकिन विवि के अधिकारियों ने इसे बैंक में जमा कर दिया। इसके बाद जूलॉजी विभाग और गणित विभाग के हेड रिटायर हो गये। जिस रजिस्ट्रार के समय यह राशि मिली थी, वह भी सेवा में नहीं रहे। विवि के शिक्षकों ने बताया कि विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग से आई राशि अब भी बैंक में है, लेकिन जिस योजना से राशि विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग ने जारी की थी उस योजना की फाइल भी अब विवि में नहीं मिल रही है। बीआरएबीयू के रजिस्ट्रार प्रो. संजय कुमार का कहना है कि इस राशि के बारे में विभागों से जानकारी ली जायेगी। बिहार विवि के जूलॉजी विभाग में 30 लाख से नये उपकरण खरीदे जाने थे। इसके अलावा विभाग में चलने वाले फिशरिज कोर्स के लिए भी रिसर्च सामग्री ली जानी थी। विभागों में रिसर्च जर्नल भी खरीदे जाने थे ताकि शोध के छात्रों को रिसर्च जर्नल के लिए दूसरी जगह नहीं जाना पड़े। बीआरएबीयू के पीजी विभागों के लिए पिछले दिनों कुछ उपकरण आये थे, लेकिन अभी वे इस्तेमाल में नहीं हैं। विवि प्रशासन ने रूसा से फिर सवा करोड़ का प्रैक्टिकल उपकरण खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया है।
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