त्योहार की छुट्टी न रविवार की, सेवा नियमित की आस में सेवानिवृत्त हो रहे दैनिक वेतनभोगी
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के 82 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी चार साल से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने 2020 में सेवा सामंजन का आदेश दिया था, लेकिन विवि प्रशासन की लापरवाही के कारण अब तक...
मुजफ्फरपुर। बीआरएबीयू में 40 साल से काम कर रहे 82 दैनिक वेतभोगी और समान काम समान वेतन की श्रेणी के कर्मचारी हाईकोर्ट के आदेश के चार साल बाद भी नियमित होने के लिए बीआरएबीयू प्रशासन की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वर्ष 2020 में हाईकोर्ट ने हमारी सेवा सामंजन और नियमितीकरण का आदेश दिया था। इसके बाद आदेश का पालन नहीं होने पर हमलोग अवमाननावाद में भी गये। इसमें भी कोर्ट से हमारे पक्ष में फैसला आ गया, लेकिन विवि प्रशासन की सुस्ती की वजह से अब तक हमारा नियमितीकरण नहीं हुआ है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि सेवा सामंजन और नियमितीकण के इंतजार में तीन कर्मचारियों की मृत्यु भी हो गई। कई कर्मचारी अब रिटायर होने वाले हैं। न किसी तरह का अवकाश दिया जाता है और न सुविधाएं। विवि प्रशासन को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
बीआरएबीयू की शाखाओं में काम करने वाले दैनिक वेतनभोगी और समान काम समान वेतन की श्रेणी में आने वाले कर्मचारी रोजमर्रा की परेशानियों के साथ विवि प्रशासन के उदासीन रवैये से त्रस्त हैं। उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में स्पष्ट निर्णय दिया है कि हमारा सेवा सामंजन और नियमितीकरण किया जाये, लेकिन विवि में यह फाइल अटक गई है। बीआरएबीयू में 40-40 वर्ष से कर्मचारी काम कर रहे हैं, लेकिन उनका सेवा सामंजन नहीं हो रहा है। कई कर्मचारी अब बुजुर्ग हो गये हैं।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी इंद्रसेन का कहना है कि हमलोगों ने कई बार नियमितीकरण के लिए आवाज उठाई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विवि प्रशासन की तरफ से इतना किया गया है कि हमें डीए का लाभ दे दिया गया है। हालांकि इसमें बीआरएबीयू कर्मचारी संघ का विशेष योगदान है। कई आंदोलनों के बाद हमें हमारा हक मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि ईपीएफ की पूरी राशि उनके खाते में नहीं गई है। इसके लिए विवि प्रशासन से कई बार वार्ता हो चुकी है। रामचरित्र मंडल, साधना देवी, गीता देवी आदि का कहना है विवि में काम करने वाले कर्मियों का सेवा सामंजन नहीं हो रहा है, जबकि कॉलेजों में हर साल दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का सेवा सामंजन और नियमितीकरण किया जा रहा है। एक ही विश्वविद्यालय में ऐसा दोहरा नियम क्यों अपनाया जा रहा है।
इमर्जेंसी में भी छुट्टी लेने पर कट जाता है वेतन :
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें न तो त्योहार की छुट्टी मिलती है और न रविवार की। पूरे महीने काम करना पड़ता है। अगर परिवार में कोई इमर्जेंसी भी आ गई तो छुट्टी नहीं मिलेगी। छुट्टी लेने पर वेतन काटने की बात कही जाती है। कर्मचारी संघ के सचिव गौरव का कहना है कि विवि के नियम में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को छुट्टी देने का प्रावधान है, लेकिन इन्हें मिलती नहीं है। महिला कर्मचारियों को महीने में विशेषावकाश भी नहीं दिया जा रहा है। पीजी हॉस्टल में काम करने वाली महिला कर्मचारियों का कहना है कि उनकी ड्यूटी कभी हॉस्टल में तो कभी अधिकारियों के घर पर लगा दी जाती है। अधिकारी अपने मन से उनकी ड्यूटी तय करते हैं।
रहने के लिए आवास की व्यवस्था नहीं :
संदीप कुमार, अक्षय कुमार, सैयद मुश्ताक आदि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि नियमित कर्मचारियों की तरह काम करने बाद भी उनकी तरह सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। कर्मचारी रामचरित्र मलिक का कहना है कि पीजी ब्वॉयज हॉस्टल में काम करते हैं, लेकिन रहने के लिए आवास नहीं दिया गया है। कई क्वार्टर खाली पड़े हैं। हॉस्टल के पीछे झोपड़ी बनाकर रहते हैं। आवास मांगने पर कई बार आवेदन रद्द कर दिया गया। पीजी महिला हॉस्टल में काम करने वाली महिला कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें रात में दूर अपने घर जाना पड़ता है। उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है। इससे उन्हें रात में जाने में डर लगा रहता है।
दुश्वारियां ये भी :
1. मेडिकल की सुविधा और इंश्योरेंस भी नहीं
दैनिक वेतनभोगी और समान काम समान श्रेणी के कर्मचारियों का दर्द है कि वह काम नियमित कर्मचारियों की तरह करते हैं, लेकिन सुविधाओं के मामले में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। मेडिकल की सुविधा नहीं है। कोई इंश्योरेंस नहीं किया गया है। घर में कोई बीमार पड़ता है तो इलाज की व्यवस्था खुद से करनी पड़ती है। इनका कहना है कि हमारी तनख्वाह इतनी नहीं है कि हम बड़े अस्पताल में इलाज कराएं। हाउस रेंट की राशि भी नहीं दी जाती है। परीक्षा से लेकर पीजी विभाग के सारे काम हमलोगों के कंधे पर हैं, इसके बाद भी विवि प्रशासन की तरफ से हमारे साथ भेदभाव किया जाता है। दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि सभी कर्मचारियों के वेतन में भी विसंगती है। किसी को ज्यादा मानदेय मिलता है तो किसी को कम।
2.समय पर वेतन नहीं, उधार लेने की नौबत
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिलता है। एक तो वेतन कम है, वह भी समय पर नहीं मिलने से परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है। महिला कर्मचारियों ने बताया कि समय पर वेतन नहीं आने से राशन-पानी की भी परेशानी हो जाती है। उधार लेकर काम चलाना पड़ता है। बीआरएबीयू कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राम कुमार का कहना है कि विवि में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी लंबे समय से काम कर रहे हैं। इनका सेवा सामंजन होगा तो विवि का आर्थिक बोझ भी कम होगा। बीआरएबीयू में अभी सिर्फ 153 नियमित कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। विवि कर्मचारी संघ के सचिव गौरव का कहना है कि बिहार विवि में परीक्षा विभाग, इंजीनियरिंग सेक्शन, रजिस्ट्रार कार्यालय, कुलपति कार्यालय सभी जगह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी काम कर रहे हैं। संघ लगातार कर्मियों की मांगों को लेकर आवाज उठा रहा है।
बोले जिम्मेदार :
हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। लॉ अफसर से राय ली जा रही है। जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई की जायेगी। कर्मचारियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। विश्वविद्यालय उनके साथ खड़ा है।
-प्रो. संजय कुमार, रजिस्ट्रार, बीआरएबीयू
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