एईएस से उबरे बच्चे अब बुखार की गिरफ्त में
मुजफ्फरपुर में, एईएस से ठीक हुए बच्चे बार-बार बुखार का शिकार हो रहे हैं। माता-पिता का कहना है कि बच्चों की सेहत खराब हो रही है और बुखार 100 डिग्री तक जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि एईएस से इम्यून...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। एईएस से उबरे बच्चे अब बुखार की चपेट में हैं। दो साल पहले ठीक होकर अस्पताल से घर जाने वाले एईएस पीड़ित बच्चों को बार-बार बुखार आ रहा है। इनके अभिभावकों ने बताया कि एईएस से तो बच्चे ठीक हो गए, लेकिन चमकी होने के बाद बीमारियां पीछा नहीं छोड़ रही हैं। लगातार बुखार आने, सर्दी-खांसी रहने से बच्चों की सेहत खराब हो रही है। बच्चों के माता-पिता ने बताया कि बच्चों को 100 डिग्री तक बुखार जाता है और दवा देने के बाद ही उतरता है। वर्ष 2023 और 2024 में एईएस के 42 केस जिले में मिले थे।
इस वर्ष अब तक 12 एईएस के मरीज मिल चुके हैं। केस 1- अहियापुर के सरमन कुमार को अप्रैल 2024 में एईएस हुआ था। उसके पिता ने बताया कि एईएस होने बाद उसे बुखार आता रहता है। बुखार 100 डिग्री तक जाता है। सरमन में एईएस का कारण हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया था। केस 2- बोचहां की मिक्की कुमारी को मार्च 2024 में चमकी के लक्षण आने के बाद एसकेएमसीएच के पीकू में भर्ती किया गया था। उसमें भी एईएस की की पुष्टि हुई थी। मिक्की की मां ने बताया कि एईएस ठीक होने के बाद उसे सर्दी-खांसी होती रहती है। केस 3- कांटी के जायेद अली को अप्रैल 2023 में एईएस हुआ था। एईएस ठीक होने के बाद उसे अस्पताल से घर भेजा गया। लेकिन, बुखार पीछा नहीं छोड़ रहा है। उसके पिता ने बताया कि एईएस से ठीक होने के बाद भी बच्चे को हमेशा बुखार होता रहता है। लगातार दो बार से हो रहा है एईएस : सकरा के मो. फरहान को फरवरी 2024 में एईएस हुआ था। एईएस का कारण हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया था। मो. फरहान के पिता ने बताया कि उसे वर्ष 2023 में भी एईएस हुआ था। इससे उबरने के बाद भी उसकी तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं हुई। उसका शुगर का स्तर बार-बार गिर जा रहा है। एसकेएमसीएच के बाद मो. फरहान का इलाज अब एम्स में कराया जा रहा है। इस वर्ष एईएस का शिकार हुए रिशु कुमार की भी एईएस ठीक होने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हुई। रिशु को फरवरी में एईएस की पुष्टि हुई थी। रिशु की मां ने बताया कि एईएस से ठीक होने के बाद उसे बुखार आता रहता है। बच्चों को प्रदूषण से रखें दूर, खान-पान पर दें ध्यान : एम्स जोधपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ और मुजफ्फरपुर में एईएस पर शोध करने वाले डॉ. अरुण कुमार का कहना है कि एईएस से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसलिए बच्चों को बार-बार बुखार या सर्दी-खांसी होती है। ऐसे बच्चों को प्रदूषण या किसी भी तरह की एलर्जी होने वाली चीजों से दूर रखना चाहिए। बच्चों के खान-पान पर लगातार ध्यान देना चाहिए। हर साल खुलता है वार्ड, पर भर्ती नहीं किए जाते मरीज : एईएस को लेकर सदर अस्पताल में हर साल वार्ड तैयार किया जाता है, लेकिन उसमें किसी पीड़ित को भर्ती नहीं किया जाता है। पिछले तीन साल में सदर अस्पताल के एमसीएच में बने एईएस वार्ड में एईएस के लक्षण वाले चार मरीज आए, लेकिन सभी को एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया। इस वर्ष भी कुढ़नी से आई एईएस पीड़ित एक बच्ची को प्रारंभिक इलाज के बाद एसकेएमसीएच भेज दिया गया। सदर में रखी जाती हैं 44 तरह की दवाएं : एईएस को लेकर सदर अस्पताल में बने वार्ड में 44 तरह की दवाएं रखी जाती हैं, लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल नहीं होता। इसके अलावा एईएस वार्ड में डॉक्टर से लेकर नर्स तक की ड्यूटी पीड़ितों के इलाज के लिए लगाई जाती है। इसके बाद भी एईएस वार्ड में किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया जाता है।
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