खतियान नहीं, तय एमवीआर से मिलेगा भू-अर्जन मुआवजा
बिहार सरकार ने एनएच और रेल परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजे के विवाद को समाप्त करने के लिए नया निर्णय लिया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हर जिले में अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में कमेटी...

मुजफ्फरपुर, कुंदन कुमार। सूबे में एनएच व रेल परियोजनाओं के लिए अधिगृहित जमीन के मुआवजे का विवाद खत्म करने को नया निर्णय लिया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसको लेकर पहल की है। इसके तहत मंगलवार को आदेश जारी करते हुए जमीन की किस्म और दर निर्धारण के लिए प्रत्येक जिले में अपर समाहर्ता राजस्व की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इसमें रैयतों को बड़ी राहत देते हुए जमीन की किस्म और दर निर्धारण के लिए खतियान में दर्ज किस्म को अमान्य कर दिया गया है। साथ ही वर्तमान एमवीआर दर को ही लागू करने का आदेश दिया गया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भू अर्जन के लिए बनी नीति और निर्णयों में बदलाव किया है। उन्होंने सभी डीएम को लिखे पत्र में बताया है कि अधिगृहित जमीन की किस्म और दर को लेकर बड़ी संख्या में विवाद अलग-अलग स्तरों पर लंबित हैं। अधिकांश विवाद जमीन की किस्म को लेकर हैं, जिसमें खतियान में दर्ज जमीन की किस्म को ही भुगतान का आधार बनाया गया है।
अपर सचिव ने कहा है कि खतियान का निर्माण सौ साल पहले हुए जमीन के सर्वे के आधार पर हुआ है। इन सौ सालों में सभी जमीन की किस्म बदल गई है। अपर सचिव ने कहा है कि एनएच अधिनियम 1956 व रेलवे विशेष अधिनियम 2008 के तहत दर निर्धारण को जिला स्तर पर गठित पांच सदस्यीय कमेटी का निर्णय ही मान्य होगा। इसके अलावा खतियान में दर्ज जमीन की किस्म की बजाय वर्तमान एमवीआर दर पर ही भुगतान किया जाएगा।
पांच सदस्यीय कमेटी लेगी निर्णय
अधिगृहित जमीन की किस्म और दर निर्धारण को जिलों में बनी कमेटी में अपर समाहर्ता, राजस्व अध्यक्ष बनाए गए हैं। कमेटी में जिला भू अर्जन पदाधिकारी सदस्य सचिव, जिला अवर निबंधक और उप विकास आयुक्त या नगर आयुक्त इसके सदस्य बनाए गए है। इनके अलावा संबंधित अनुमंडल के भूमि सुधार उपसमाहर्ता भी कमेटी में होंगे।
जमीन का सत्यापन हुआ अनिवार्य
अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि जिस जमीन के अधिग्रहण का प्रस्ताव हो, उसकी अधिसूचना जारी होने से पहले कर्मचारी और रैयत की उपस्थिति में जमीन की फोटो व वीडियोग्राफी की जाए, ताकि विवाद होने की स्थिति में जमीन की वास्तविक किस्म का पता चल सके और निर्णय लिया जा सके।
मुजफ्फरपुर में कई परियोजनाओं में फंसा है मुआवजे का पेच
मुजफ्फरपुर में कई परियोजनाएं हैं, जिसमें जमीन के मुआवजे का पेच फंसा हुआ है। इनमें कांटी ऐश डेक पाइपलाइन, मुजफ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास, मझौली-चोरौत 527 सी एनएच, हाजीपुर-सुगौली नई रेललाइन आदि शामिल है। सरकार के इस निर्णय से उम्मीद है कि नये निर्णय से रैयतों का विरोध खत्म होगा और परियोजना निर्माण में तेजी आएगी।
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