पोषण पखवाड़ा में पूर्णिया अव्वल, नालंदा दूसरे नंबर पर
राज्य में आठ अप्रैल से शुरू हुए पोषण पखवाड़ा का समापन हुआ। पूर्णिया ने 106% गतिविधियों के साथ पहला स्थान हासिल किया, जबकि नालंदा ने 89% गतिविधियों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया। इस दौरान बच्चों और...

राज्य में आठ अप्रैल से शुरू हुए सातवें पोषण पखवाड़ा का मंगलवार को समापन हो गया। पोषण पखवाड़ा में पूर्णिया अव्वल रहा, जबकि नालंदा दूसरे स्थान पर रहा। राज्य के कुल 1,15,013 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर औसतन 65 प्रतिशत गतिविधियां हुईं। दरअसल, इस अवधि में राज्यभर में पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जन-जागरूकता अभियान चलाया गया। खासतौर पर बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने और संतुलित आहार के प्रति जागरूक किया गया। पूर्णिया में सबसे अधिक 106 प्रतिशत गतिविधि हुईं। वहीं, दूसरे स्थान पर रहे नालंदा में कुल 3414 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 89 प्रतिशत गतिविधि हुई। तीसरे स्थान पर मधेपुरा रहा, जहां कुल गतिविधि 88 प्रतिशत रही। चौथे स्थान पर कैमूर में 1769 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 78 प्रतिशत गतिविधि हुई। पांचवें स्थान पर सहरसा के 2090 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 78 प्रतिशत गतिविधि हुई।
गांव, आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम
गांवों, आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम हुआ। जीवन के पहले 1000 दिनों में पोषण के महत्व, एनीमिया की रोकथाम, हाथ धोने की सही विधि और पौष्टिक आहार की जानकारी दी गई। बच्चों ने पोषण रैलियां निकालीं। पोस्टर और ड्राइंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया। स्कूल परिसरों में पोषण वाटिकाएं तैयार कीं।
गर्भवती महिलाओं को दी गई पोषण की पोटली
गर्भवती महिलाओं को पोषण की पोटली देकर गोद भराई की रस्म निभाई गई। उन्हें घरेलू पौष्टिक रेसिपी, किचन गार्डन और प्रसवपूर्व पोषण के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से संबंधित लाभों से भी अवगत कराया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार अपनाने की शपथ ली। पोषण पखवाड़ा की गतिविधियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की गई और पोषण डैशबोर्ड के माध्यम से निगरानी रखी गई।
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