Government Holika Festival Celebrated at Narasimha Avatar Site in Banmankhi प्रसिद्ध नरसिंह अवतार स्थल सज धज कर तैयार: राजकीय होलिका महोत्सव आज, Purnia Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsPurnia NewsGovernment Holika Festival Celebrated at Narasimha Avatar Site in Banmankhi

प्रसिद्ध नरसिंह अवतार स्थल सज धज कर तैयार: राजकीय होलिका महोत्सव आज

-फोटो : 16 : भगवान नरसिंह मंदिर। बनमनखी, संवाद सूत्र। बनमनखी के प्रसिद्ध सिकरीगढ़ धरहरा स्थित नरसिंह अवतार स्थल पर गुरूवार को राजकीय होलिका महोत्सव

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाThu, 13 March 2025 03:05 AM
share Share
Follow Us on
प्रसिद्ध नरसिंह अवतार स्थल सज धज कर  तैयार: राजकीय होलिका महोत्सव आज

बनमनखी, संवाद सूत्र।बनमनखी के प्रसिद्ध सिकरीगढ़ धरहरा स्थित नरसिंह अवतार स्थल पर गुरूवार को राजकीय होलिका महोत्सव का आयोजन जिला प्रशासन पूर्णिया एवं अनुमंडल प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में किया जाएगा। आयोजन को लेकर तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई है। पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक तरीके से रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। होलिका का विशाल पुतला बनकर तैयार है। कार्यक्रम स्थल पर भव्य मंच का निर्माण कराया गया है। भारी भीड़ की आश को देखते हुए जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग 107 से मंदिर परिसर तक प्रवेश एवं निकासी के लिए दो सड़कों का इस्तेमाल किया गया है, ताकि लोग आसानी से मंदिर परिसर तक पहुंच सके एवं कार्यक्रम स्थल से आसानी से बाहर जा सके। सुरक्षा के मद्देनजर चप्पे- चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अनुमंडल पदाधिकारी चंद्र किशोर सिंह ने बताया कि राजकीय होलिका महोत्सव को लेकर विधि व्यवस्था संधारण हेतु कार्यक्रम स्थल पर दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी तथा पर्याप्त पुलिस बलों की तैनाती की गई है। वहीं अग्निशमन दस्ता को तैनात रहने के लिए कहा गया है। कार्यक्रम स्थल पर होने वाली भारी भीड़ को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है।

-यहां से हुई थी होली पर्व की शुरुआत:----

-यहां का इतिहास काफी प्राचीन है। कहा जाता है कि यहां कभी असुर हिरण्यकशिपु का विशाल महल हुआ करता था। इसी महल के खंभ से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए थे तथा असुर हिरण्यकश्यपु का वद्ध किया था। खम्भ का भग्नावेश आज भी यहां मौजूद है, जिसे लोग प्रहलाद स्तंभ के रूप में जानते हैं तथा इसकी पूजा काफी श्रद्धा भाव से करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। असुर हिरण्यकश्यप अलग-अलग तरीकों से कई बार उनका वध करना चाहा, परंतु भगवान विष्णु की कृपा से असफल रहे। यहीं पर असुरराज हिरण्यकशिपु की बहन चिता तब जिंदा जल उठी, जब उसने अपने भाई की इच्छा से प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर गई थी। मान्यता है कि इसी राख से सबसे पहले होली खेली गई। तब से होलिका दहन के ठीक बाद होली मनाने की परंपरा कायम है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।