डिजी लॉकर प्रणाली और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स को लेकर विद्यार्थियों में गजब का उत्साह
-पूर्णिया विश्वविद्यालय में डिजीलॉकर एवं अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स पर वर्कशॉप -फोटो : 54 : पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। पूर्णिया विश्वविद्यालय

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। पूर्णिया विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में गुरूवार को डिजीलॉकर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स पर एक महत्वपूर्ण वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप का आयोजन मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, भारत सरकार और स्टेट कार्डिनेटर डिजिटल इंडिया कार्पोरेशन द्वारा किया गया। वर्कशॉप में मुख्य वक्ता के रूप में बिहार स्टेट कॉडिनेटर नेशनल ई गवर्नेंस डिविजन डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रनिक्स एंड इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी अरुण कुमार उपस्थित रहे। वहीं इन्स्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस विभाग से अमित मैनी भी वर्कशॉप में शामिल हुए। वर्कशॉप में डिजीलॉकर की प्रक्रिया, डॉक्यूमेंट्स प्रदर्शन और तकनीकी पहलुओं पर विचार से चर्चा की गई।
-वर्कशॉप में मुख्य विषय डिजिटल गवर्नमेंट इन हायर एजुकेशन पर डाला गया प्रकाश :
-डिजीलॉकर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स विषय को लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय क्षेत्रान्तर्गत सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य और प्रभारी प्रधानाचार्य उपस्थित रहे। इसके साथ ही स्नातक एवं परास्नातक विद्यार्थियों और शिक्षकों को भी वर्कशॉप में आमंत्रित किया गया। इस दौरान डिजीलॉकर प्रणाली और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स को लेकर विद्यार्थियों में गजब का उत्साह देखा गया। कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह जो बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में एक आवश्यक बैठक में व्यस्त थे, ने इस वर्कशॉप में ऑनलाइन भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि डिजीलॉकर पर विद्यार्थियों के शैक्षणिक दस्तावेज़ डिजिटल रूप में रहते हैं, जिन्हें कभी भी और कहीं भी प्रति दिन कभी भी देखा जा सकता है। प्रो. सिंह ने अरुण कुमार का धन्यवाद भी व्यक्त किया और इस पहल को विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। कुलपति ने यह भी निर्देश दिया कि सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य डिजीलॉकर बनाने के लिए विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाएं और एक कर्मचारी को लेपटॉप के साथ कार्यालय में नियुक्त करें ताकि विद्यार्थियों को डिजीलॉकर बनाने में कोई परेशानी न हो। वर्कशॉप में प्रतिकुलपति प्रो. पवन कुमार झा ने अपने संबोधन में कहा कि यह डिजिटल इंडिया पहल विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने महाविद्यालयों को निर्देशित किया कि वे डिजीलॉकर को लागू करने में सक्रिय रूप से सहयोग करें। वर्कशॉप में मंच संचालन का कार्य डिजीलॉकर नोडल अधिकारी डॉ. नवनीत कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि अब सभी परीक्षा फॉर्म भरने के लिए डिजीलॉकर और एबीसी अनिवार्य होंगे। इसके अलावा डॉ. श्वेता कुमारी ने विद्यार्थियों के क्रेडिट ट्रांसफर सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अरुण कुमार ने डिजीलॉकर, राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपोजिटरी और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स की प्रक्रिया, डोक्यूमेंट्स प्रदर्शन और तकनीकी पहलुओं पर अपने विचार साझा किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने डिजीलॉकर से संबंधित अपनी समस्याएं और जिज्ञासाएं प्रस्तुत की, जिनका समाधान अरुण कुमार ने विस्तार से किया। वर्कशॉप के अंत में डॉ. सुमन सागर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डिजीलॉकर अकाउंट बनाने के लिए मोबाइल ऐप्स के अतिरिक्त वेबसाइट के भी उपयोग की भी जानकारी वर्कशॉप में दी गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. गोपाल कुमार, प्रो. संतोष कुमार सिंह, मुकेश पासवान, प्रशांत सिंह , हरेराम कुमार, राम कुमार, टेक्नीशियन सचिन व अमित के साथ विद्यार्थियों में रविकांत, मनोरंजन, शुभम, किशन, अभिषेक, रोजी खातून, भारती कुमारी, काजल कुमारी और निखिल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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