Sanjeev Mukhiya made paper leak a family business Everyone from his son to relatives are involved in the gang पेपर लीक को संजीव मुखिया ने बनाया फैमिली बिजनेस! बेटे से लेकर रिश्तेदार तक गैंग में शामिल, Bihar Hindi News - Hindustan
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पेपर लीक को संजीव मुखिया ने बनाया फैमिली बिजनेस! बेटे से लेकर रिश्तेदार तक गैंग में शामिल

बीपीएससी पेपर लीक में संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिवकुमार के भी शामिल होने का आरोप है। उसे जेल भी भेजा गया था। वर्तमान में वह जमानत पर है। उसने पीएमसीएच से पढ़ाई की है।

sandeep लाइव हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान टीम, पटना/बिहारशरीफFri, 25 April 2025 11:32 PM
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पेपर लीक को संजीव मुखिया ने बनाया फैमिली बिजनेस! बेटे से लेकर रिश्तेदार तक गैंग में शामिल

संजीव मुखिया अपने परिजनों और संगठित गिरोह में शामिल करीब 30 लोगों के माध्यम से पेपर लीक को अंजाम देता था। ईओयू ने नीट पेपर लीक में 11 मई, 2024 को झारखंड के देवघर से छह लोगों को गिरफ्तार किया था। उनमें चिंटू भी शामिल था। चिंटू को संजीव मुखिया का रिश्तेदार बताया जाता है। सूत्रों के अनुसार, नीट के प्रश्नपत्र और उसके जवाब की पीडीएफ फाइल 5 मई की सुबह चिंटू के वाट्सएप पर ही आई थी। इसके बाद, पटना के लर्न एंड प्ले स्कूल में रखे गए वाईफाई प्रिंटर से उसका प्रिंट लिया गया और अभ्यर्थियों को रटाया गया था। वहीं, बीपीएससी पेपर लीक में संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिवकुमार के भी शामिल होने का आरोप है। उसे जेल भी भेजा गया था। वर्तमान में वह जमानत पर है। उसने पीएमसीएच से पढ़ाई की है।

जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, जिन वाहनों से परीक्षा के प्रश्नपत्र को एक स्थान से दूसरे जिलों में भेजा जाता था, उसके कर्मियों को ही झांसे में ले लेता था। साथ ही, प्रश्नपत्र की छपाई करने वाली एजेंसी से भी संपर्क साधता था। वाटसएप एवं ब्लूटूथ जैसी तकनीकी साधनों का भी इसमें उपयोग करता था। गिरोह में शामिल लोगों को वह नियमित वेतन और बाइक जैसी सुविधाएं भी देता था। ये सभी अलग-अलग राज्यों में फैले थे और पेपर लीक की साजिश को अंजाम देने में संजीव की मदद करते थे ।

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बिहार में नीट पेपर लीक में 11 माह से फरार चल रहे संजीव मुखिया का नाम पहली बार 2010 में मेडिकल की परीक्षा के पेपर लीक किए जाने पर सामने आया था। इस मामले में उसे 2016 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। हालांकि, साक्ष्य के अभाव में उसे दो माह बाद ही जमानत मिल गई थी। उस पर आरोप है कि पेपर लीक को लेकर एक संगठित गिरोह का नेटवर्क तैयार किया था। उसका गिरोह देश के कई राज्यों में फैला है। उसके गिरोह में बिहार के अतिरिक्त झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान के माफिया भी शामिल हैं।

इन राज्यों में नौकरी से संबंधित कोई भी विज्ञापन जारी होने पर यह गिरोह पेपर लीक कराने में जुट जाता है। पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड संजीव मुखिया का नाम पहली बार 2016 में सिपाही भर्ती पेपर लीक और वर्ष 2020 में दूसरी बार बीपीएससी शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में उछला था। तीसरी बार, इस पर आरोप लगा कि नीट पेपर लीक में उसने प्रश्नपत्र को वाट्सएप से प्राप्त कर पटना और रांची के मेडिकल छात्रों की मदद से पेपर हल करवाया था। इस पूरे सौदे में हर छात्र से करीब 40 लाख रुपये तक की वसूली की गयी थी। इनमें 30-32 लाख रुपये मुख्य सरगनाओं तक भेजे जाने एवं 8-10 लाख रुपये बिचौलियों के बीच बांटे जाने की चर्चा हुई थी।

ईओयू की जांच में आय से 144 फीसदी अधिक की संपत्ति है

ईओयू ने संजीव मुखिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया है। जांच में पाया गया कि उसके पास आय से 144 फीसदी अधिक करीब 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इसके अलावा उसके खिलाफ सीबीआई और ईडी ने भी विभिन्न मामलों में केस दर्ज किए हैं।

पिता खेती करते हैं और पत्नी लोजपा से लड़ चुकी है चुनाव

जानकारी के अनुसार, संजीव मुखिया के पिता जनक देव प्रसाद नालंदा के नगरनौसा प्रखंड की भूतहाखार पंचायत के यारपुर- बलवा गांव में खेती-किसानी का काम करते हैं। वहीं, संजीव मुखिया की पत्नी ममता कुमारी वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हरनौत विधानसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। इस बार दोबारा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई हैं। हरनौत और चंडी में कार्यकर्ता कार्यालय खोल चुकी हैं।