बोले सीवान : आम के भंडारण की सुविधा मिले अनुसंधान केंद्र की हो स्थापना
सीवान जिले में आम और अन्य फलों की खेती में किसान मेहनत करने के बाद भी उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। लगभग 6000 हेक्टेयर में आम की खेती होती है, लेकिन प्रसंस्करण उद्योग की कमी के कारण किसान उचित दाम...
सीवान जिले में आम और अन्य फलों की खेती एक व्यवसायिक खेती है जो पारंपारिक खेती से मुनाफा कमाने वाला है जिसकी उत्पादन बड़े पैमाने पर की जाती है। जिले में लगभग छह हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आम के बगीचे है जिससे आम का उत्पादन होती है। जबकि चार हजार हेक्टेयर में अमरुद, लीची, केला और अन्य फल का उत्पादन किसान करते हैं। बावजूद इसके उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण ही आम उत्पादक किसानों के हाथ खाली ही रहते हैं। कड़ी मेहनत करके किसानों के बहाये पसीने से तैयार आम के पेड़ किसानों के जीवन में खुशहाली नहीं ला पा रहा है। यह टीस उन किसानों के दिल में भी है और किसान व्यक्त भी करते रहे हैं। अब तो इस के प्रति भी जिले के किसानों की दिलचस्पी भी कम होने लगी है। सवाल यह है कि किसानों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है। इसका एक वजह यह है कि जिले में आम प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना भी अब तक नहीं हो सकी है। फलत: किसानों को सरकारी सर्मथन मूल्य से भी कम कीमत पर इसे बेचना पड़ता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। किसान पैदावार के बाद जब आम लेकर बाजार तक आते हैं, तो उन्हें बिक्री के बाद वह खुशी नहीं मिल पाती है जिसकी आस में वह तीन माह मेहनत कर आम के उत्पादन करते हैं।
औसतन 30 से 35 क्विंटल प्रति पेड़ होता है उत्पादन
सीवान जिले में लगभग 06 हजार हेक्टेयर में आम के पेड़ अच्छादित है। यहां के किसानों की मेहनत का ही यह नतीजा है कि प्रति पेड़ औसतन 30 से 35 क्विंटल आम का उत्पादन हो पाता है। उत्पादन के लिहाज से यहां इसके प्रसंस्करण, भंडारण, व बाहर भेजने के लिए पैकिंग की सुविधा उपलब्ध नही.है। जिले में कोई आम आधारित कोई उद्योग नहीं होने से किसानों का अपेक्षित आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है। स्थिति ऐसी है कि किसानों को खुले बाजार में व्यपारियो सें तीन से चार हजार रुपये प्रति क्विंटल तक में आम को बेचने की मजबूरी होती है। जबकि सरकार द्वारा इसकी कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं होता है।
बंगरे के बारी गांव में होता है आम उत्पादन
सिसवन प्रखंड के बंगरे के बारी गांव जिले में सबसे बड़ा आम उत्पादक क्षेत्र है। यहां पर बड़े पैमाने पर आम के पेड़ लगाए गए हैं। जिसमें जर्दालू, मुंबईया, किसुनभोग, मालदा के आलावा बीजू आम भी है। यहां के उत्पादित आम स्थानीय बाजारों के अलावा जिले से बाहर भी भेजे जाते हैं। यहां के उत्पादित आम यूपी, बंगाल व अन्य जगहों पर भी भेजे जाते हैं। किसान आनंद सिंह, रीतेश सिंह, रविन्द्र सिंह, गोलू तिवारी ने कहा कि यहां आम के भंडारण,पैकिंग यूनिट व प्रसंस्करण की आवश्यकता है। जिला व एक दो जगहों पर कोल्ड स्टोरेज है लेकिन जिन क्षेत्रों में इसका उत्पादन होता है। वहां के फलो की सुरक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। बंदर और लंगूर की वजह से किसान परेशान हैं। किसानों के लिए उचित व सरकारी दर पर मंजर को बचाने के लिए दवा व उत्पादन के लिए सुझाव व पहल व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
आम भंडारण व प्रसंस्करण उद्योग की हो स्थापना
किसानों द्वारा उत्पादित फलो के भंडारण करने व पैकिंग कर बाहर भेजने के लिए जब तक संसाधन विकसित नहीं किया जाएगा, तब तक किसानों को इसका नही तो समुचित लाभ मिलेगा नही विकास हो सकता है। सरकार की मंशा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो, लेकिन उत्पादक व उपयोगकर्ता की बीच दूरी अधिक है। व्यवस्था की कमी के कारण बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। सीधे लाभ से किसान वंचित हो रहे हैं। बजार से उत्पादको के सीधे जुड़ाव से ही उन्हे सही कीमत मिल पाएगी। सरकारी स्तर पर आम के पेड़ के रख रखाव, मंजर आने पर इसके बचाव के उपाय, फल उत्पादन के बाद बजार में उचित मूल्य मिले तब तक यहां के किसान पूर्ण रूपेण संपन्न होंगे।
प्रस्तुति- शैलेश कुमार सिंह।
सुझाव :-
1. किसानों को सरकारी स्तर पर उचित सलाह व नए किस्म के पेड़ मुहैया कराने की आवश्यकता है।
2 आम उत्पादक किसानों के लिए भंडारण व प्रसंस्करण करने की जरूरत है।
3 भंडारण के लिए किसानों कोल्ड स्टोरेज के निर्माण को लेकर पर्याप्त सहायता भी मिले।
4. मनरेगा योजना के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में किसानों को आम व फलो के वृक्ष लगाया जाय।
5.कीट प्रबंधन व फसलो के अच्छे उत्पादन के लिए सरकारी पहल की जरूरत है।
शिकायतें :-
1.किसानों को मक्के की उचित कीमत नहीं मिलती, उन्हें औने-पौने दाम पर मक्का बेचना पड़ता है।
2.अनाज भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से इसका रखरखाव भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।
3. मक्का आधारित एक भी उद्योग-धंधे यहां नहीं लगाए गए हैं। इससे खेती को नहीं मिल रहा बढ़ावा।
4.एमएसपी पर मक्के खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। सहकारी समितियां भी उदासीन बनी हुई है।
5. नीलगाय, सुअर, बंदर-लंगूर से फसल की सुरक्षा है चिंता का विषय, किसान हर रोज हैं परेशान।
हमारी भी सुनिए
1. सीवान में आम का उत्पादन अच्छी-खासी किसान कर लेते हैं। लेकिन, आम उत्पादन करनेवाले किसानों को सरकारी स्तर से सलाह या सुझाव नहीं दिया जाता है। इस वजह से किसान उदासीन हैं।
जितेंद्र सिंह
2. आम की फसल की खरीदारी भी सरकारी दर पर होती तो बेहतर होता। किसानों को अच्छी किमत मिलता। नये किस्म के पेड़ से पैदावार में वृद्धि होगी और किसानों को उचित लाभ मिलेगा।
संजय सिंह
3. सीवान में भी एक आम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिए। जिससे समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा सके। कृषि विज्ञान केन्द्र भगवानपुर हाट से किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
रीतेश सिंह
4. आम उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए क्रय केन्द्र की स्थापना की जानी चाहिए। इससे किसानों का समय पर फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
सुरेश तिवारी
5. आम के भंडारण के लिए किसानों को गोदाम बनाने के लिए सरकार को सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। ताकि मूल्य वृद्धि होने के समय किसान इसे बाजार में बेचकर इसका सीधा लाभ प्राप्त कर सके।
महंत सिंह
6. सिसवन के इलाके में आम की पैदावार अच्छी होती है। लेकिन, किसानों को समय पर उचित सलाह व दवा नही मिल पाता है। इससे किसानों को इधर-उधर से ही कीटनाशक खरीदकर आम पर छिड़काव करते हैं।
सुनिल सिंह
7. उचित समय पर सही सलाह से आम उत्पादन में वृद्धि होगी। यहां आम आधारित उद्योग लगाने से किसानों को सही कीमत मिल सकेगा। सहकारी समितियों को भी इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए।
राजेन्द्र यादव
8. आम के बगीचा होने से यहां के कई लोगों को इसमें रोजगार भी प्राप्त होता है। इससे जुडे बजार व भंडारण से किसानों को फायदा होता। इससे क्षेत्र की आर्थिक रूप से तरक्की भी होगी।
गौतम सिंह
9. रघुनाथपुर, सिसवन, आंदर, दरौली और गुठनी प्रखंड क्षेत्र में एक बहुत बड़ा हिस्सा आम की उत्पादन के लिए योग्य है। किसानो को समय सयय पर प्रशिक्षण के साथ-साथ रसायनिक दवाओं की जानकारी मिलनी चाहिए।
पुण्यदेव यादव
10. आम में मंजर लगते हैं किसान बगीचे को बेचना शुरू कर देते हैं। जिससे किसानों के होने वाले फायदे बाहर से आए व्यापारी को होती है। क्योंकि मंजर में कीट लगने से फसल नहीं बच पाता।
राजेश सिंह
11. आम की फसल को आंधी पानी, बंदरो से फसल को नुकसान होता है। झुंड के झुंड बंदर बगीचे में पहुंचकर आम को बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में उन्हे पकड़ कर दुसरे जगह भेजने की जरूरत है।
मिन्टू सिंह
12. बंदरो के आतंक से परेशान किसान बगिया को व्यापारियों से बेच देते है। बगीचे की रखवाली करना एक चुनौती हैं। बंदरो से आम की फसल को बचाना जरूरी है। अगर ऐसा हो तो किसान खुशहाल होगे।
शैलेन्द्र सिंह
13. नीलगायों को मारने के लिए प्रशासन पंचायतों को जिम्मेदारी दी है। लेकिन बंदरो के लिए कोई कदम नही उठाया गया। स्थानीय प्रशासन को किसानों की इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
रामनाथ यादव
14. आम में मधुआ कीट के लगाना किसान के लिए चिंता का विषय बनते है। पिछले दो साल से इस बीमारी से किसान परेशान है। इसका समाधान कृषि वैज्ञानिकों को करके किसानों को बताना चाहिए।
प्रिंस सिंह
15. बंगरे के बारु में बड़े पैमाने पर अच्छे किस्म के आमों का उत्पादन होता है। इसका अच्छा बाजार मिले इस ओर प्रशासन की नजर जानी चाहिए, ताकि यहां उत्पादित आमों को बाहर भेजा जाए और किसानों का अच्छा मुनाफा मिले।
योतेन्द्र तिवारी
16. बंगरे के बारी के जर्दालू, मालदा इत्यादि आम दूसरे राज्यों में स्थानीय व्यापारी लेकर जाते हैं। अगर किसानों को इसका सीधा लाभ मिलता तो किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता। भंडारण की सुविधा मिलनी चाहिए।
मोहन यादव
17. आम के फसलों के बचाव के लिए सरकारी स्तर पर कोई सहायता नहीं मिलती। बागवानी मिशन द्वारा भी किसानों को कोई सलाह या प्रशिक्षण नहीं दिया जाता इसकी जरूरत है। ताकि किसान बेहतर उत्पादन कर सके।
हरिहर सिंह
18. जिले के दक्षिणा खंड इलाके की भूमि बहुत ही उर्वरा है। सरकार आर्थिक लाभ मुहैया कराए तो किसान आम के अच्छे किस्मे बड़े पैमाने पर लगा सकते हैं। मनरेगा के वृक्षारोपण योजना में आम व अन्य फलो की खेती को बढावा मिले। किसान भी प्रयास करेंगे।
रविन्द्र सिंह
19. आम सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। आम से अचार, चटनी, अमावट सहित कई तरह के खाद्य पदार्थ इससे बनते है। इससे जुड़े उद्योग लगाने सें युवाओं को रोजगार मिलते।
आनंद सिंह
20. आम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को उतम किस्म के पौधे, कीटनाशक और दवा की खरीद पर अनुदान की व्यवस्था होनी चाहिए। तभी हम आम का अधिक से अधिक हिस्से में उत्पादन कर सकेंगे।
योगेंद्र तिवारी
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