श्रीराम कथा श्रवण मात्र से मिटता है दुख: डा. रामाशंकर
सीवान के नथुछाप गांव में श्रीहनुमत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के दूसरे दिन पूज्य रामाशंकर नाथ दास जी महाराज ने श्रीराम कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि श्रीराम कथा के श्रवण से सभी दुख समाप्त होते हैं और जीवन...

सीवान। स्थानीय सदर प्रखंड के नथुछाप गांव में चल रहे श्रीहनुमत प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के दूसरे दिन श्रीराम कथा सुनाते हुए पूज्य कथा वाचक रामाशंकर नाथ दास जी महाराज नें कहा कि श्रीराम कथा के श्रवण मात्र से मनुष्य का सभी दुख समाप्त हो जाता है। उसके जीवन में खुशियां आ जाती हैं । श्री महाराज नें आगे कहा कि सतानंदजी महाराज को जनकजी ने कहा- प्रभु महामुनि विश्वामित्रजी और ऋषि मुनि राजपुत्रों को लेकर स्वयंवर स्थल की ओर पधारे। क्यों? यह प्रोटोकाल है। किसको कौन करेगा। किसका कौन आदर करेगा? कितना करना है, नियम है, राष्ट्रपति है तो वो राष्ट्रपष्टिक स्वागत करेगा और जहाँ पर यह नियम नहीं है वहाँ विदेश मंत्री स्वागत करता है। विश्वामित्र हैं तो राजा नहीं जायेंगे आदर देने के लिये सतानंदजी को भेजा, आप ही ले आयें महाराज। सतानंदजी महाराज पधारे। जै-जै सीताराम हुआ और बोले- प्रभु! स्वयंवर स्थल की ओर चलें बिटिया को आशीर्वाद प्रदान करें। अब तक राम लक्ष्मण का धनुष यज्ञ का दर्शन को छोड़कर कोई प्रयोजन नहीं अब तक केवल दोनों भाई दर्शन करने आये हैं क्या? राम लक्ष्मण देखेंगे कि धनुष कौन तोड़ रहा है? अभी सम्मिलित नहीं होना है। दोनों भाई आ गए। रामजी जब पधारे तो वहाँ जितने लोग बैठे थे। विद्वान बैठे थे, राजा बैठे थे, महाराज के स्वजन परिजन बैठे थे, मातायें बैठी थीं, सब लोग उपस्थित थे, देखते बनता है। राक्षस लोग भी राज वेष में आये थे। राम लक्ष्मण परिवार के स्वजनों को तो राजपुत्र जैसे लग रहे हैं। प्रेमियों को तो मानो साक्षात प्रेममूर्ति जैसे लगते हैं। वीर राजाओं को तो रामजी वीर जैसे दिख रहे हैं, लेकिन राक्षस लोग जो राज वेष में आये थे, मानो अपना काल का दर्शन हो रहा है। गोस्वामीजी कहते हैं किसको क्या कहूँ?
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