Raza Library A Treasure Trove of Rare Manuscripts and Multicultural Heritage इस रामायण की बिस्मिल्लाह से शुरूआत, स्वर्ण-रत्नों से है जड़ित, Rampur Hindi News - Hindustan
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इस रामायण की बिस्मिल्लाह से शुरूआत, स्वर्ण-रत्नों से है जड़ित

Rampur News - रजा लाइब्रेरी, जो समरसता का प्रतीक है, में दुर्लभ पांडुलिपियों का अनमोल खजाना है। यहां की खास रामायण बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम से शुरू होती है और इसके पन्ने सोने और रत्नों से जड़ित हैं। इस...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरWed, 23 April 2025 06:04 AM
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इस रामायण की बिस्मिल्लाह से शुरूआत, स्वर्ण-रत्नों से है जड़ित

दुनियाभर में मशहूर रजा लाइब्रेरी का भवन तो समरसता की मिसाल कायम करता ही है, यहां रखी दुर्लभ पांडुलिपियों में भी सौहार्द झलकता है। जी हां, रजा लाइब्रेरी में एक ऐसी रामायण है जिसकी शुरूआत ऊं से न होकर बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम से होती है। खास बात यह है कि इस रामायण के पन्ने सोने और रत्नों से जड़ित हैं। रियासतकालीन रजा लाइब्रेरी एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में शुमार है। ज्ञान के अनमोल खजाने से कुछ पाने की चाहत में दुनियाभर से स्कॉलर यहां आते हैं। यहां पर दुर्लभ पांडुलिपियां, ऐतिहासिक दस्तावेज, इस्लामी सुलेख के नमूने, लघु चित्र, खगोलीय उपकरण और अरबी और फारसी भाषा में दुर्लभ सचित्र कार्य का बहुत दुर्लभ और मूल्यवान संग्रह संरक्षित हैं। लाइब्रेरी में जहां एक ओर इस्लामी धर्म ग्रंथ कुरान ए पाक के पहले अनुवाद की मूल पांडुलिपि मौजूद है। वहीं एक ऐसी रामायण भी है जिसकी शुरूआत बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम से होती है। जिसे सुमेर चंद ने सन 1713 में संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया था। सुमेर चंद ने यह पारसी वाल्मीकि रामायण मुगल शासक फर्रुखसियर के शासनकाल में लिखी थी।

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लाइब्रेरी में संरक्षित है दुर्लभ पवित्र कुरआन

रामपुर रजा लाइब्रेरी के अरबी पांडुलिपियों के संग्रह में सातवीं शताब्दी का प्राचीन एवं दुर्लभ पवित्र कुरआन चतुर्थ खलीफा हजरत अली द्वारा कूफी लिपि में हिरण की खाल पर हस्तलिखित है। इसकी प्रतिलिपि ईरान के सशक्त धार्मिक नेता अयातुल्लाह सैय्यद अली हुसैनी खामनई को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ईरान यात्रा के दौरान 23 मई 2016 को भेंट की थी।

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दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हुई जामेउत तवारीख

फारसी संग्रह में सबसे प्राचीन चित्रित पाण्डुलिपि जामेउत तवारीख है जिसके रचनाकार रशीद उद्दीन फज़्लुल्लाह हैं। यह पाण्डुलिपि चौदहवीं सदी की है और इसमें कुल 81 हस्तचित्र हैं, जो मंगोल व ईरानी कला का बेहतरीन नमूना है। इस किताब की तस्वीरों को जब अंग्रेज रचनाकार परसी ब्राउन ने अपनी पुस्तक 'इंडियन पेंटिंग्स अंडर दी मुगल' में शामिल करके 1924 ई० में प्रकाशित किया तो इन चित्रों की दुनिया में बहुत प्रसिद्धि हुई।

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मंगोल के पीएम को बहुत पसंद आयी जामेउत तवारीख

पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंगोल के दौरे पर गए थे तब संस्कृति मंत्रालय ने रामपुर रजा लाइब्रेरी में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपि जामेउत तवारीख की प्रिंट कॉपी पीएम मोदी को दी जिसे प्रधानमंत्री ने मंगोल के पीएम को भेंट किया। वहां के पीएम को जामेउत तवारीख बहुत पसंद आयी।

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यह भी जानें

-रजा लाइब्रेरी में अरबी, फारसी, संस्कृत, तुर्की, पश्तों, हिंदी, उर्दू इत्यादि भाषाओं में प्राचीन काल तथा मुगल काल की पांडुलिपियों का समृद्ध संग्रह है। जिसमें लगभग 17,000 पांडुलिपियां, लगभग 62,000 मुद्रित पुस्तकें, 150 चित्रित पांडुलिपियां समाविष्ट हैं, जिनमें 4413 चित्र छपे हैं और 205 ताड़ पत्र हस्तलिखित हैं तथा 5000 लघुचित्र तथा 3000 इस्लामिक कैलीग्राफी के नमूने भी उपलब्ध हैं।

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रामपुर रज़ा लाइब्रेरी विश्वस्तरीय बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक संस्था बनने के अपने स्वप्न को साकार कर रही है। इस दिशा में एक विश्वस्तरीय बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी अनुसंधान एवं अनुवाद केंद्र की स्थापना होगी, जिसमें सभी प्रमुख वैश्विक भाषाओं को सम्मिलित किया जाएगा। हामिद मंजिल में एक अत्याधुनिक संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। एक उच्च स्तरीय अध्ययन केंद्र (एडवांस्ड स्टडीज़ सेंटर) का निर्माण भी किया जाना है।

-डा. पुष्कर मिश्र, निदेशक रजा लाइब्रेरी

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