वीकेंड पर घूमने का बना रहे हैं प्लान तो चले आइए भागलपुर, अजगैबीनाथ से लेकर जैन मंदिर तक ये हैं टॉप तीर्थ स्थल
वीकेंड या छुट्टियों में पर दोस्तों के साथ घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप भागलपुर आ सकते हैं। यहां के फेमस मंदिर आपको मंग्नमुग्ध कर देंगी।

बिहार का हर जिला अपने आप में खास है। यहां एक से बढ़कर एक टूरिस्ट स्पॉट है। इसी कड़ी में भागलपुर भी है। संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाने वाला ये शहर अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है। यहां के टूरिस्ट स्पॉट और तीर्थ स्थल पूरे बिहार में फेमस हैं। इस स्थलों पर दूर-दूर से पर्यटक घूमने आते है। अगर आप भी वीकेंड या छुट्टियों में कुछ एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो यहां आ सकते हैं। आज की स्टोरी में हम आपको भागलपुर के कुछ चुनिंदा तीर्थ स्थलों के बारे में बताने जा रहे है।
अजगैबीनाथ मंदिर
भागलपुर का अजगैबीनाथ का संबंध देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से है। सावन महीने में शिव भक्त पहले अजगैबीनाथ में पूजा करते हैं फिर यहां से जल लेकर देवघर में चढ़ाते हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि खास बात यह है कि इस मंदिर के महंत या पुजारी देवघर पूजा करने नहीं जाते हैं। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि करीब 500 साल पहले महंत सिद्धनाथ भारती और उनके शिष्य केदारनाथ भारती सुल्तानगंज से जल भरकर हर दिन बाबा बैजनाथ जाते थे। इस पर एक दिन भगवान शि ने स्वरूप बदलकर महंत के सामने आये और उनसे पानी पिलाने को कहा। इस पर दोनों महंतों ने कहा कि ये संकल्पित जल है जो सिर्फ बैद्यनाथ पर ही चढ़ेगा। हालांकि इसकी जगह दूसरा जल पीने को कहा। साधू भेष में शिव ने इसे लेने से इंकार कर दिया। फिर अपने स्वरूप में आकर दर्शन दिया और कहा कि उन्हें हर दिन देवघर आने की जरूरत नहीं है। वह अजगैबीनाथ में ही रहते हैं। तब से यहां के महंत देवघर नहीं जाते हैं।
चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र
भागलपुर के दूसरे तीर्थ स्थलों में जैन धर्म का चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध मंदिर है। यहां हर साल हजारों की संख्या में जैन धर्म के मानने वाले लोग आते हैं। यह शहर के पश्चिम किनारे नाथनगर में स्थित है। ये ऐसा स्थान है जहां किसी तीर्थंकर के पांचों कल्याणक एक ही जगह हुए हैं। दरअसल जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का गर्भ, जन्म, तप, दीक्षा और मोक्ष ये पांचों कल्याणक यहां हुआ है। इसलिए इसे पंचकल्याण मंदिर भी कहा जाता है। इसके अलावा यहां 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने तीन चातुर्मास व्यतीत किया जाता है। मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसे जयपुर के राजा सरदार श्रीदत्त संघवी ने करवाया था।
महर्षि मेंही आश्रम
भागलपुर में महर्षि मेंही परमहंस महराज का आश्रम है। यहां उनकी समाधि स्थल भी है। इस खूबसूरत आश्रम में कई किस्म पेड़-पौधे लगे हैं। उनकी जयंती और गुरु पूर्णिमा के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है।