सुपौल : स्कूलों की मनमानी, सीबीएसई के नियमों से विभाग बना अंजान
सुपौल में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। शिक्षा विभाग ने सीबीएसई की नई गाइडलाइन का संज्ञान लिया है, लेकिन कार्रवाई में देरी हो रही है। विभाग का कहना है कि जांच के...

सुपौल, हन्दिुस्तान प्रतिनिधि। अब इसे जानकारी का अभाव कहें या नियमों अनदेखी। जिले में निजी स्कूलों द्वारा लगातार निजी प्रकाशन किताब, प्रिंटेड कॉपी सहित अन्य माध्यमों से अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डाला जा रहा है तो विभाग गाइडलाइन के अभाव में खुद को कार्रवाई से बेबस बता रहा है। मजे की बात तो यह है कि सीबीएसई से इसको लेकर मार्गदर्शिका भी जारी की जा चुकी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि सीबीएससी का गाइडलाइन जारी होने के बावजूद विभाग इससे सच में अंजान है या फिर जांच और कार्रवाई से बचने का यह एक फार्मूला है? हालांकि शक्षिा विभाग ने अब सीबीएससी का गाइडलाइन संज्ञान में आने के बाद जांच की बात कही है। विभाग की मानें तो सीबीएसई और बिहार बोर्ड के लिए एक सिलेबस नर्धिारित है। सीबीएसई वाले स्कूलों में मुख्य विषय एनसीईआरटी प्रकाशन का ही इस्तेमाल किया जाना है। कुछ एक्स्ट्रा विषयों में दूसरा प्रकाशन इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा प्रिंटेड कॉपी जैसे सामग्री की खरीद के लिए अभिभावकों पर प्रेसर बनाना गलत है। इसकी जांच के लिए कुछ स्कूलों से सिलेबस भी मांगा गया है। विभाग भी मान रहा बड़े पैमाने पर चल रहा व्यापार: निजी प्रकाशन किताब, प्रिंटेड कॉपी सहित अन्य माध्यमों से अभिभावकों का आर्थिक दोहन सर्फि एक जगह नहीं, बल्कि पूरे जिले में चल रहा है। इसे विभाग भी मान रहा है। विभाग की मानें तो इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस व्यापार को रोक लगाना तुरंत का काम नहीं है। इसके लिए बड़े जांच की जरूरत है। उधर, डीपीओ एसएसए प्रवीण कुमार ने बताया कि सीबीएसई और बीएसईबी के लिए एनसीईआरटी और एससीईआरटी पाठ्यपुस्तक से ही पढ़ाई होनी है। अगर कही निजी प्रकाशन और प्रिंटेड कॉपी के लिए प्रेसर बनाया जा रहा है तो यह गलत है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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