लीची का इंतजार खत्म, जानिए- कब से बाजार में आएगा बिहार का शाही फल; विदेशों में जबरदस्त मांग
इस बार 20 मई से अच्छी मिठास और आकार लीची में दिखाई देने लगेगा। इसके बाद व्यापारी देश के महानगरों एवं विदेशों में लीची भेजने लगेंगे।

लीची का सीजन अब दस्तक दे चुका है। शाही लीची के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर में इस फल में लाली आनी शुरू हो गई है। व्यापारी के अनुसार एक सप्ताह में कुछ बागों से लीची की तुड़ाई शुरू हो जाएगी। इस बाग में प्रत्येक साल दस दिन पहले लीची तैयार होती है। लीची अनुसंधान केन्द्र मुशहरी के वैज्ञानिक के अनुसार वर्तमान में हवा में नमी अच्छी रहने से अभी लीची का तेजी से विकास हो रहा है। व्यापारियों का मानना है कि 15 से 20 मई तक सभी शाही लीची में लाली आ जाएगी। मुजफ्फरपुर की शाही लीची की अमेरिका, इंगलैंड जैसे देशों में भी काफी मांग है।
बताया जा रहा है कि इस बार 20 मई से अच्छी मिठास और आकार लीची में दिखाई देने लगेगा। इसके बाद व्यापारी देश के महानगरों एवं विदेशों में लीची भेजने लगेंगे। मुजफ्फरपुर के गोशाला ईदगाह की लीची की आजादपुर मंडी में भरपूर मांग है। लीची व्यापारी मो. निजाम ने बताया कि मौसम का साथ मिलने से लीची में पूरी तरह से लालीमा आ गई है। एक सप्ताह में फल में पूरी तरह से मिठास भी आ जाएगी।
20 मई से तुड़ाई
निजाम ने बताया कि यहां की लीची की मांग दिल्ली के आजादपुर मंडी में अधिक रहती है। अभी से ही वहां से फोन आने लगा है। पहली खेप की लीची की मांग अधिक रहने से कीमत भी अच्छी मिलती है। मनीका विशुनपुर चांद के किसान राजीव लोचन कुमार ने बताया कि ईदगाह के बाद चार से पांच दिन के अंतर पर कन्हौली, संस्कृत कॉलेज आदि जगहों के बागानों के भी लीची लाल हो जाती है। यहां की लीची में भी लालीमा आनी शुरू हो गई है।
लीची व्यापारी सुबोध कुमार ने बताते हैं कि यूं तो शाही लीची की तुड़ाई दस मई से जिले में होने लगती है, लेकिन जिला स्तर पर देखा जाए तो 20 मई से सभी बागों में तुड़ाई होने लगेगी। दो जून तक चाइना लीची भी तैयार हो जाएगा। 20 जून तक इसकी तुड़ाई चलेगी।
वैज्ञानिक भी कर रहे इस लीची पर शोध
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुशहरी के निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि गोशाला ईदगाह बागान की लीची जिले में सबसे पहले पकती है। इसपर शोध भी किया जा रहा है। वैसे ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में अत्यधिक तापमान रहने के कारण लीची में लाली पहले आना स्वाभाविक है। वहीं, कृषि विज्ञान केन्द्र तुर्की के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मोतीलाल मीणा ने बताया कि बागान के पौधों की जांच कराई जाएगी। अगर यह सार्थक रहा तो इस लीची के किस्म को विकसित किया जाएगा।