लालू की सेहत की चिंता करें, नीतीश कुमार की नहीं; तेजस्वी पर जेडीयू का पलटवार
सीएम नीतीश कुमार की सेहत पर बार-बार सवाल उठे रहे तेजस्वी यादव को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने जवाब दिया है, उन्होने कहा कि वो सीएम की सेहत की चिंता छोड़ें, अपने पिता की सेहत के बारे में बताएं। बेटे निशांत ने बता दिया है कि उनके पिता अभी बिल्कुल स्वस्थ हैं, तो ऐसे सवाल बेबुनियाद हैं।

भागलपुर पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर हमला बोला। सीएम नीतीश कुमार की सेहत पर उठाए जा रहे सवाल पर पलटवार करते हुए कहा कि वो मुख्यमंत्री की सेहत की चिंता छोड़ें, अपने पिता की सेहत के बारे में बताएं। जब सीएम के बेटे निशांत कुमार ने बता दिया है कि उनके पिता अभी बिल्कुल स्वस्थ हैं। तो ऐसे सवाल बेबुनियाद हैं। मनीष ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में जदयू से अलग हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अगर वो बिहार में अभी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं, तो कहीं न कहीं उनका भी योगदान है, क्योंकि 16 साल तक तो वो खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रहे। जब साथ थे तो सब ठीक था और सब खराब हो गया?
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अपने तीन दिवसीय दौरे पर भागलपुर पहुंचे हैं। वह आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि जब एनडीए नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है, तो निश्चित है कि शासन भी वही चलाएंगे। सरकार का नेतृत्व भी वही करेंगे। मनीष ने भागलपुर दौरे पर राजग के अन्य घटक दलों के नेताओं से भी मुलाकात की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस बार भी राजग की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। लोगों को नीतीश के पहले का शासन याद है और लोग उस दौर में बिल्कुल नहीं जाना चाहते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जदयू जिलाध्यक्ष विपिन बिहारी सिंह, जदयू नेता सुड्डू साईं, राकेश ओझा आदि भी मौजूद थे।
मनीष वर्मा ने कहा कि जनसुराज के प्रशांत किशोर बिहार में पूरी तरह एक्सपोज हो गए। उनकी कोई राजनीतिक जमीन नहीं हैं। उनके साथ जो लोग हैं, वो पैसे पर रखे गए कर्मचारी हैं, कार्यकर्ता नहीं। उन्होंने गांधी मैदान में रैली कर अपनी ताकत दिखाने की बात कही थी। सच्चाई सामने आ गई। कुर्सियां तो लगी थी, लेकिन लोग नहीं थे। बसें तो पटना आई पर उसमें आदमी नहीं थे। उनके लिए स्पष्ट संदेश है कि पैसे से कुर्सियां खरीदी जा सकती है, कार्यकर्ता नहीं। उन्होंने अबतक जो बातें कही उस पर अडिग नहीं रहे। वो बताएं कि उनके पास इतना पैसा कहां से आ रहा है।