भारत में मस्क की कंपनी की एंट्री, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को मोदी सरकार ने दी मंजूरी
स्टारलिंक एक उपग्रह आधारित इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करती है, जिसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने स्थापित किया है। यह सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करके दुनिया भर में हाई स्पीड वाली, तेज ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस मुहैया कराती है।
दुनिया के सबसे रईस अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक की भारत में एंट्री का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विसेज के लिए अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक को आशय पत्र जारी कर दिया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्टारलिंक को आशय पत्र जारी कर दिया है। इससे पहले, सरकार ने यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को भी लाइसेंस जारी किए थे। पारंपरिक उपग्रह सेवाओं के विपरीत स्टारलिंक इंटरनेट सेवा देने के लिए पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा (पृथ्वी से 550 किमी ऊपर) में मौजूद उपग्रहों का उपयोग करती है।
बता दें कि स्टारलिंक एक उपग्रह आधारित इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करती है, जिसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने स्थापित किया है। यह सैटेलाइट तकनीक का उपयोग करके दुनिया भर में हाई स्पीड वाली, तेज ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस मुहैया कराती है।
मंत्री ने दिए थे संकेत
इससे पहले केंद्रीय दूरसंचार राज्यमंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने स्टारलिंक के लिए परमिट एक जटिल मुद्दा है। हालांकि, यह अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक टेलीकॉम नेटवर्क की तुलना में कनेक्टिविटी में स्टारलिंक की भूमिका बहुत छोटी होगी। पेम्मासानी ने कहा-स्टारलिंक या अन्य, मैं चाहता था कि आप समझें कि पूरी दुनिया में स्टारलिंक के ग्राहकों की संख्या 50 लाख से कम है। यह बहुत ज्यादा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर आप गति और अन्य चीजों को देखें तो यह पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में बहुत धीमी है। स्टारलिंक के आने, उसके अधिग्रहण, इन सभी चीजों के बारे में बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। लोग इसे नहीं समझते हैं।
दूरदराज क्षेत्रों तक जोड़ने का प्लान
उन्होंने कहा कि चाहे स्टारलिंक हो या अन्य उपग्रह संचार कंपनियां, इसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ना होगा जहां हमारे पारंपरिक नेटवर्क तक पहुंचना कठिन होगा और यह मुख्य रूप से घर के अंदर कनेक्टिविटी के लिए होगा न कि मोबाइल सेवाओं के लिए।