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₹125000 के पार जा सकता है सोना, अभी कीमतों में गिरावट की क्या है कोई उम्मीद

  • Gold Price Outlook: सोना 4,500 डॉलर प्रति औंस तक भी जा सकता है, जो भारत में 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास होगा। भारत के संदर्भ में 2025 में सोने की कीमतों में 22% से 71.5% तक की वृद्धि हो सकती है।

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमWed, 23 April 2025 05:51 AM
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₹125000 के पार जा सकता है सोना, अभी कीमतों में गिरावट की क्या है कोई उम्मीद

Gold Price Outlook: सोने की रिकॉर्ड तोड़ रफ्तार इस साल आगे भी बरकरार रह सकती है। अमेरिकी बैंकिंग और वित्तीय निवेश कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान जताया है कि 2025 के अंत तक सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,700 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। भारतीय बाजार में कीमत लगभग 1.10 से 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के बराबर हो सकती है। यह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव पर निर्भर करेगा।

गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट-2025 के अनुसार, अगर अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और वैश्विक मंदी का जोखिम बहुत अधिक बढ़ता है तो सोना 4,500 डॉलर प्रति औंस तक भी जा सकता है, जो भारत में 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास होगा। गोल्डमैन सैक्स ने 2025 के लिए पहले 3100 डॉलर और फिर 3300 डॉलर का लक्ष्य रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 3,700 डॉलर और हाई रिस्क में 4,500 डॉलर किया है।

70 फीसदी तक मुनाफा संभव

रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत में अंतराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 2,623 डॉलर प्रति औंस थी। यदि यह 3,700 डॉलर तक पहुंचता है, तो यह 41% का रिटर्न दे सकता है। वहीं, 4500 डॉलर तक पहुंचने पर यह 71.5% का रिटर्न दे सकता है। वर्तमान में सोना 3400 डॉलर से ऊपर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है, जो 2025 में अब तक 22 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। भारत के संदर्भ में 2025 में सोने की कीमतों में 22% से 71.5% तक की वृद्धि हो सकती है।

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अभी कीमतों में गिरावट के आसार नहीं

विशेषज्ञ के अनुसार, इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो हालात हैं, उसमें अमेरिका खुद असमंजस में है कि सोने की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा। जब तक अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव कम नहीं होता, सोने के भाव नीचे आने के कोई आसार नहीं हैं।

क्या करें निवेशक

एचडीएफसी के कमोडिटी और करंसी विभाग के प्रमुख अनुज गुप्ता के अनुसार, छोटी अवधि यानी अगले तीन महीनों तक सोने के भाव में गिरावट की संभावना काफी कम है। लेकिन लंबी अ‌वधि में सोने से बेहतर मुनाफा प्राप्त हो सकता है। इसलिए निवेशकों को लंबी अवधि के लिए योजना ही निवेश करने पर विचार करना चाहिए।

निवेशकों के लिए विकल्प

विशेषज्ञों के अनुसार, सोने की कीमतों में तेज उछाल से फिलहाल छोटे निवेशकों के लिए इसमें निवेश करना मुश्किल हो सकता है। उनके लिए गोल्ड ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड के विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें छोटी राशि से भी निवेश किया जा सकता है।

18 कैरेट वाले सोने की मांग में इजाफा

सोने के भाव में तेजी के कारण 18 कैरेट सोने की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। विश्व स्वर्ण परिषद और भारतीय ज्वैलर्स एसोसिएशन की 2024-25 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18 कैरेट सोने की मांग में 15-20% की वृद्धि देखी गई है। खासकर शहरी क्षेत्रों में। वहीं, 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने की मांग में 10-12% की कमी आई है। 2025 की पहली तिमाही में, धनतेरस और शादी के सीजन के दौरान 18 कैरेट आभूषणों की बिक्री में 25% तक की वृद्धि दर्ज की गई।

तेजी के कारण

1. अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: अमेरिकी टैरिफ नीतियों और व्यापारिक तनाव के कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है। इससे निवेशक सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने में निवेश कर रहे हैं।

2. महंगाई और मंदी की आशंका : अमेरिका समेत कई देशों में महंगाई बढ़ने और आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है। निवेशक अपने निवेश जोखिम को सोने के जरिए सुरक्षित (हेज) कर रहे हैं।

3. कमजोर अमेरिकी डॉलर : सोने की कीमतें आमतौर पर अमेरिकी डॉलर के साथ उल्टा सम्बन्ध रखती हैं। 2025 में डॉलर सूचकांक 100 से नीचे गिरा है, जिससे सोना अन्य मुद्राओं में सस्ता हो गया और इसकी मांग बढ़ी है।

4. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: केंद्रीय बैंकों ने 2024 में 1100 टन सोना खरीदा, जो पिछले तीन वर्षों में लगातार 1,000 टन से अधिक रहा। यह खरीद डॉलर पर निर्भरता कम करने और मुद्रास्फीति से बचाव के लिए है।

5. ईटीएफ में भारी निवेश : सोने में निवेश करने वाले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में वर्ष 2025 के दौरान भारी निवेश हुआ है। अकेले चीन निवेशकों ने अप्रैल में एक अरब डॉलर का निवेश किया है। इससे भी कीमतों में उछाल आया है।

वैश्विक तनाव और युद्ध के समय कितना उछला सोना

घटना वर्ष अंतरराष्ट्रीय कीमत वृद्धि (%) भारत में उछाल

द्वितीय विश्व युद्ध 1939-1945 80% 95%

भारत-चीन युद्ध 1962 5-10% 12%

भारत-पाक युद्ध 1965 7% 15%

भारत-पाक युद्ध 1971 15% 18%

खाड़ी युद्ध 1990-1991 23% 28%

9/11 आतंकी हमला 2001 28% 26%

वैश्विक आर्थिक मंदी 2008-2011 126% 164%

कोविड-19 महामारी 2020 33% 44%

रूस-यूक्रेन युद्ध 2022 15% 13%

इजराइल-ईरान तनाव 2024-2025 25% 23-25%

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