पेट्रोल-डीजल के घट सकते हैं दाम, 40 डॉलर तक आ सकता है कच्चे तेल का भाव
- Crude Oil: ब्रेंट क्रूड की कीमतें चरम परिस्थितियों में 40 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिर सकती हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के कम होने की उम्मीद बढ़ गई है।

गोल्डमैन सैक्स ने क्रूड ऑयल की कीमतों के पूर्वानुमान में दो बार कटौती के बाद चेतावनी जारी की है कि ब्रेंट क्रूड की कीमतें "चरम" परिस्थितियों में $40 प्रति बैरल से नीचे गिर सकती हैं। गोल्डमैन सैक्स का यह विश्लेषण बताता है कि तेल बाजार अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। हालांकि, चरम आउटलुक की संभावना कम है, और $55-60 प्रति बैरल का स्तर अगले एक साल तक बना रह सकता है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के कम होने की उम्मीद बढ़ गई है।
लाइव मिंट के मुाबिक यह आकलन अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के तेज होने, वैश्विक आर्थिक मंदी के जोखिम, और OPEC द्वारा सप्लाई बढ़ाए जाने की पृष्ठभूमि में सामने आया है। हालांकि, बैंक का मौजूदा बेस-केस आउटलुक ब्रेंट को दिसंबर तक $55 प्रति बैरल पर रहने का अनुमान देता है।
1. चरम आउटलुक में गिरावट: गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों के अनुसार, अगर वैश्विक GDP ग्रोथ धीमी होती है और OPEC अपनी उत्पादन कटौती पूरी तरह वापस ले लेता है, तो ब्रेंट क्रूड 2026 के अंत तक $40 से नीचे गिर सकता है। इस आउटलुक की उम्मीद कम है, लेकिन ट्रेड वॉर और सप्लाई बढ़ने के कारण इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।
2. मौजूदा बाजार की स्थिति: ब्रेंट क्रूड वर्तमान में $61.36 प्रति बैरल (मई 2025 का वायदा) पर कारोबार कर रहा है, जो सोमवार को चार साल के निचले स्तर ($60 से कम) को छूने के बाद मामूली सुधरा है।OPEC+ ने हाल ही में उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है, जबकि अमेरिका और चीन के बीच तनाव ने तेल की मांग पर दबाव बनाया है।
3. अन्य बैंकों के पूर्वानुमान: मॉर्गन स्टेनली और सोसाइटी जनरल जैसे बैंकों ने भी तेल कीमतों के लिए अपने अनुमान घटाए हैं। आर्थिक मंदी के सामान्य आउटलुक में, ब्रेंट दिसंबर 2023 तक $58 और दिसंबर तक $50 प्रति बैरल पर पहुंच सकता है।
3 प्वाइंट में क्यों घटाया अनुमान
1.OPEC की भूमिका: यह तेल उत्पादक देशों का समूह है जो कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आपूर्ति घटाता-बढ़ाता है।
2.ट्रेड वॉर का प्रभाव: अमेरिका-चीन टैरिफ से वैश्विक विकास दर धीमी होती है, जिससे तेल की मांग घटती है।
3.आपूर्ति बनाम मांग: शेल ऑयल (अमेरिका) और OPEC के बीच उत्पादन बढ़ने से बाजार में तेल की अधिकता हो सकती है, जो कीमतें गिराती है।