सेबी के रडार पर अडानी समूह के ये निवेशक, अब नियम नहीं मानने पर जुर्माना, लाइसेंस कैंसिल की भी धमकी! जानिए मामला
साल 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर शेयरों में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके कारण शेयरों की बिक्री में गिरावट आई थी।

Adani Group News: अडानी समूह की कंपनी से संबंधित एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि बाजार रेगुलेटरी सेबी ने अडानी समूह में निवेश करने वाले मॉरीशस के दो फंडों को धमकी दी है कि दो साल से लगातार अनुरोध के बावजूद शेयरधारिता डिटेल साझा न करने पर उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है और लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। यह जानकारी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दी गई है। बता दें कि अडानी समूह और उसके 13 ऑफशोर निवेशक सेबी की जांच का सामना कर रहे हैं। दरअसल, साल 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर शेयरों में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके कारण शेयरों की बिक्री में गिरावट आई थी। समूह ने बार-बार गलत काम करने से इनकार किया है और फिर उसके शेयरों में तब से सुधार हुआ है।
क्या है डिटेल
भारतीय नियमों के अनुसार, लिस्टेड कंपनियों के कम से कम 25% शेयर पब्लिक शेयरधारकों के पास होने चाहिए, लेकिन हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह ने उन नियमों का उल्लंघन किया है, क्योंकि अडानी कंपनी की होल्डिंग वाले कुछ ऑफशोर फंड समूह से संबंधित थे। मॉरीशस स्थित दो एलारा फंड (एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड और वेस्पेरा फंड) को 2023 से अपने सभी शेयरधारकों के डिटेल देने करने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, "आज तक इन एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) ने सेबी को यह जानकारी नहीं दी है ... उन्होंने कोई कारण भी नहीं बताया है" और कहा कि इस तरह की देरी ने "अडानी समूह द्वारा न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों के अनुपालन की जांच में बाधा उत्पन्न की है।" हालांकि, मामले को लेकर भारत की एलारा कैपिटल और सेबी ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। अडानी समूह ने भी कोई जवाब नहीं दिया है।
रिपोर्ट में यह भी जानकारी
सेबी के दस्तावेज में बताया किया गया है कि एलारा फंड ने 5% से अधिक अडानी स्टॉक के अपने अधिग्रहण के बारे में खुलासा नहीं किया - जैसा कि भारतीय नियमों के अनुसार आवश्यक था। इसने संबंधित शेयरधारिता के बारे में सटीक जानकारी नहीं दी। भले ही ये फंड मॉरीशस स्थित हैं, लेकिन वे सेबी के साथ एफपीआई के रूप में पंजीकृत हैं, जिससे वे भारतीय नियामक के अनुपालन मानदंडों और जांच के दायरे में आते हैं। नवंबर में, अमेरिकी अधिकारियों ने समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी और कुछ अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारतीय पावर सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स को सुरक्षित करने के लिए रिश्वत दी और फंड जुटाने के दौरान अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया। अडानी ने गलत काम करने से इनकार किया और कहा कि आरोप निराधार हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अडानी स्टॉक में कम से कम दो अन्य ऑफशोर निवेशक (मॉरीशस स्थित लोटस इन्वेस्टमेंट और एलटीएस इन्वेस्टमेंट) ने भी सेबी द्वारा पूछे जाने पर अडानी होल्डिंग्स के बारे में जानकारी नहीं दी है।