ZEEL Board approves raising up 2000 crore rs stock up 7 percent ZEE ने ₹2000 करोड़ फंड जुटाने को दी मंजूरी, शेयर को खरीदने की लूट, Share-market Hindi News - Hindustan

ZEE ने ₹2000 करोड़ फंड जुटाने को दी मंजूरी, शेयर को खरीदने की लूट

  • जी एंटरटेनमेंट का प्रॉफिट बीते वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में 13.35 करोड़ रुपये रहा। जी एंटरटेनमेंट ने पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 196.03 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानThu, 6 June 2024 04:36 PM
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ZEE ने ₹2000 करोड़ फंड जुटाने को दी मंजूरी, शेयर को खरीदने की लूट

Zee Entertainment Enterprises share: जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के बोर्ड ने इक्विटी शेयर या किसी अन्य पात्र सिक्योरिटीज (डिबेंचर/ नॉन-डिबेंचर) को जारी करके 2,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की मंजूरी दे दी। मीडिया कंपनी के शेयर 7.18 प्रतिशत बढ़कर 157.55 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। कारोबार के अंत में शेयर 153.45 रुपये पर बंद हुआ। शेयर 4.39% उछाल के साथ बंद हुआ।

क्या कहा कंपनी ने

जी एंटरटेनमेंट ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा- हम सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी के निदेशक मंडल ने बैठक में अन्य बातों के साथ ही इक्विटी शेयर और/या किसी अन्य पात्र सिक्योरिटीज को जारी करने के माध्यम से धन जुटाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह निर्णय शेयरधारकों की मंजूरी सहित विनियामक/वैधानिक अनुमोदन के अधीन है।

मार्च तिमाही के नतीजे

जी एंटरटेनमेंट का प्रॉफिट बीते वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में 13.35 करोड़ रुपये रहा। जी एंटरटेनमेंट ने पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 196.03 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। तिमाही में कुल आय 2,185.29 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले इसी अवधि में 2,126.35 करोड़ रुपये थी। चौथी तिमाही में कुल खर्च 2,043.76 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2,083.35 करोड़ रुपये था।

कंपनी के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक रुपये अंकित मूल्य वाले प्रति इक्विटी शेयर पर एक रुपये के फाइनल डिविडेंड की सिफारिश की है। मार्च 2024 तक, प्रमोटरों के पास कंपनी में 3.99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

सोनी समूह के साथ विलय समझौता टूटा

बता दें कि सोनी समूह ने अपनी भारतीय इकाई का जी एंटरटेनमेंट के साथ विलय करने संबंधी 10 अरब डॉलर का समझौता 22 जनवरी को रद्द कर दिया था। विलय के बाद बनने वाली इकाई के नेतृत्व को लेकर दोनों पक्षों के बीच गतिरोध नहीं सुलझ पाने पर सोनी इससे पीछे हट गई थी। इसके साथ ही सोनी ने विलय समझौते की शर्तों का पालन न किए जाने पर नौ करोड़ डॉलर का हर्जाना मांगा और इस मामले को मध्यस्थता न्यायाधिकरण में लेकर गई।

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