बिहार में सभी विश्वविद्यालय छात्र ले सकेंगे एक साथ दो डिग्री, अप्रेंटिसशिप होगी जरूरी
बिहार के अभी केवल दो विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय मेरु के दायरे में हैं। लेकिन अब सभी विवि पूरी तरह से नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अंदर एबीसी प्रभावी हो जाएंगे।

बिहार के सभी पारंपरिक विश्वविद्यालय बहु विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (मेरु) बनेंगे। इसमें छात्र-छात्राओं को एक साथ दो (ड्यूअल) डिग्री मिलेगी। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को प्रभावी बनाया जाएगा। इसके लिए सभी छात्र-छात्राओं और संस्थाओं का एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) पोर्टल पर निबंधन होगा। सभी कोर्स की मैंपिंग कर डिग्री क्रेडिट अपलोड किए जाएंगे।
वर्तमान में राज्य के दो विव पटना विश्वविद्यालय और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय मेरु के दायरे में हैं। इन दोनों विश्वविद्यलाय को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 100-100 करोड़ स्वीकृत हो चुके हैं। यह राशि अब दोनों विवि को जानी है। शिक्षा विभाग ने बहु विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय के संबंध में विचार किया। इस संबंध में कार्यशाला आयोजित की गई। इसके बाद अब शिक्षा विभाग ने बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद (रुसा) से कहा है कि मात्र दो नहीं, बल्कि सभी विश्वविद्यालयों को बहु विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करना है। विवि को मेरु के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक शर्त है कि ड्यूअल डिग्री (एक साथ दो डिग्री करने की सुविधा) देने का प्रयास किया जाए। शिक्षा विभाग ने प्रतिवेदन (रिपोर्ट) बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के उप सचिव (प्रशासन) को भेजा है। रिपोर्ट में मेरु के मापदंडों के तहत तैयारी करने को कहा गया है। इसके अनुसार इंटर्नशिप कोर्सेज समयानुकूल हों। उद्योगों के साथ बैठक कर विकसित करना होगा और क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था करनी होगी। यह तभी संभव है, जब सभी विवि पूरी तरह से नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अंदर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) प्रभावी (कम्पलॉयन्ट) हो जाएंगे।
अप्रेंटिसशिप जरूरी
अप्रेटिंशिप को डिग्री का हिस्सा बनाने के लिए अप्रेंटिसशिप कराना होगा। इसके लिए इंडस्ट्री से संपर्क बनाना होगा। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण प्रोग्राम के तहत आवश्यकतानुसार शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी। नैक और एनआईआरएफ के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की हैंडहोल्डिंग करनी होगी। इसके लिए आवश्यक निधि संसाधन विकसित करनी होगी।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विवि में बढ़ाना होगा
रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता जताते हुए कहा गया है कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को क्रियाशील बनाने के लिए स्वयं-स्वयं प्लस का पूर्ण क्रियान्वयन कराना होगा। इंडियन नॉलेज सिस्टम के तहत पूर्व से उपलब्ध सामग्री का भारतीय भाषाओं बनाने की आवश्यकता जताई गयी है। यह भी कहा गया है कि समर्थ के क्रियान्वयन भी जरूरी है।