UGC : एक साथ दो डिग्री कोर्स करवाने से क्यों बच रहे विश्वविद्यालय, क्या हैं यूजीसी नियम, कहां आ रही अड़चन
- यूजीसी की दो डिग्री कोर्स एक साथ की नई सुविधा में दो एकदम अलग डिग्री कोर्स को एक साथ कर सकते हैं। कोर्स पूरा करने पर दो अलग डिग्रियां मिलेंगी।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने हाल ही में एक नोटिस जारी कर उच्च शिक्षा संस्थानों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के अनुरूप अपने यहां एक साथ दो डिग्री कोर्स की व्यवस्था लागू करें। नोटिस में यूजीसी सचिव मनीष आर. जोशी ने चिंता व्यक्त की है कि कि बार-बार याद दिलाने के बावजूद कई विश्वविद्यालयों ने अभी तक छात्रों को ड्यूल डिग्री कोर्स की सुविधा नहीं दी है। जबकि दो डिग्री कोर्स एक साथ करने को यूजीसी दो साल पहले अनुमति दे चुका है।
आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'यूजीसी के संज्ञान में आया है कि कई छात्रों को एक साथ दो शैक्षणिक कोर्सेज में दाखिला लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल उच्च शिक्षा संस्थान की ओर से दाखिले के लिए माइग्रेशन सर्टिफिकेट या स्कूल लीविंग प्रमाण पत्र जमा करने पर काफी जोर दिया जा रहा है। शिक्षण संस्थानों की इस मांग की वजह से छात्र एक साथ दो डिग्री कोर्स नहीं कर पा रहे। यह मांग ड्यूल कोर्स को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देशों के उद्देश्य को कमजोर करती है।"
क्या है एक साथ दो डिग्री कोर्स की यूजीसी गाइडलाइंस
इस नई सुविधा में दो एकदम अलग डिग्री कोर्स को एक साथ कर सकते हैं। कोर्स पूरा करने पर दो अलग डिग्रियां मिलेंगी। इस तरह के प्रोग्राम से समय की बचत होगी। साथ ही दो डिग्री लेकर छात्र दो अलग-अलग क्षेत्रों में अपना धरातल तैयार कर सकता है। यह विशेषकर उन क्षेत्रों में लाभकारी होता है, जहां बहु-क्षेत्रीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जैसे कि डेटा साइंस, बायोटेक्नोलॉजी या आर्थिक और कानूनी क्षेत्र। जो युवा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में कुछ साल गंवा देते हैं, उनके लिए भी ये प्रोग्राम सहायक होंगे। दो डिग्री के साथ दो क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों का आधार बनता है।
शर्तें रखें ध्यान
दो एकेडेमिक प्रोग्राम एक साथ करने के नए विकल्प का चयन करते हैं, तो यह ध्यान रखें
- एक कोर्स के क्लास की टाइमिंग दूसरे कोर्स की कक्षाओं के टाइम से अलग हो।
- दो डिग्री कोर्स में एक कोर्स फिजिकल मोड में दूसरा कोर्स ओपन व डिस्टेंस लर्निंग या ऑनलाइन मोड में या दोनों कोर्स ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग अथवा ऑनलाइन मोड में हों।
- दोनों पाठ्यक्रम समान स्तर के हों, यानी एक ग्रेजुएट स्तर का और दूसरा पीजी स्तर का कोर्स नहीं कर सकते। दोनों कोर्स यूजीसी से मान्यता प्राप्त हों। यह एक ही संस्थान या दो अलग संस्थानों से भी किया जा सकता है।
इन गाइडलाइंस के अंतर्गत डिग्री या डिप्लोमा कार्यक्रम यूजीसी की ओर से अधिसूचित रेगुलेशंस की निगरानी में आएंगे। ये दिशा-निर्देश अधिसूचना की तारीख से प्रभावी हो गए हैं। उन छात्रों द्वारा कोई लाभ का दावा नहीं किया जा सकता है जिन्होंने अधिसूचना से पहले एक साथ दो शैक्षणिक कोर्स किए थे।
एक साथ दो डिग्री देने की सुविधा मुहैया कराने में क्या रही अड़चन
ड्यूल कोर्स की रूपरेखा का उद्देश्य छात्रों को विविध क्षेत्रों में योग्यता हासिल करने, रोजगार क्षमता बढ़ाने और उनके एकेडमिक सीवी को समृद्ध बनाने के लिए लचीलापन उपलब्ध कराना है। हालांकि जहां यूजीसी दिशानिर्देश अकादमिक गुणवत्ता से समझौता किए बिना ड्यूल डिग्री एडमिशन सिस्टम को मजबूत करने पर जोर देते हैं, वहीं कई व्यावहारिक समस्याओं की चलते विश्वविद्यालयों को इस मॉडल को अपनाने में दक्कतें आ रही हैं।
प्रशासनिक बाधाएं: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक साथ दो डिग्री कोर्स करने की व्यवस्था को लागू करने में सबसे बड़ी दिक्कत माइग्रेशन सर्टिफिकेट और स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट से जुड़ी आ रही है। विश्वविद्यालय दाखिले के लिए माइग्रेशन सर्टिफिकेट और स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की मांग कर रहे हैं। यह पॉलिसी स्टूडेंट्स की इस सुविधा का लाभ उठाने से रोक रही है। विश्वविद्यालयों की यह डिमांड छात्रों को एक ही समय में एक से अधिक संस्थानों में एडमिशन लेने से रोकती है। उच्च शिक्षण संस्थानों की यह डिमांड यूजीसी ड्यूल डिग्री कोर्स दिशा-निर्देशों के उद्देश्य के विपरीत है और कई संस्थानों में इसका समाधान नहीं किया गया है।
दो कोर्स एक साथ कराने से जुड़ी चुनौतियां: दो कोर्स स्टूडेंट्स को एक साथ करवाने की राह में विश्वविद्यालयों को व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे ओवरलैप को रोकने के लिए क्लास शेड्यूल को सिंक्रनाइज करना और ड्यूल कोर्स एडमिशन के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और संकाय सहायता प्रदान करना। इन पेचीदगियों के चलते ड्यूल डिग्री का सिस्टम जमीन पर उतरने में काफी देरी हो रही है।
जागरूकता और तैयारी की कमी: कुछ संस्थानों में यूजीसी दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूकता या अपने प्रशासनिक और शैक्षणिक ढांचों में सुधार करने की तत्परता की कमी है। नीतियों, पाठ्यक्रमों और परीक्षा कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित नहीं हो पाया है, जिससे इसे लागू करने में दिक्कत आ रही है।
बदलाव लाने से परहेज करना
पारंपरिक मानसिकता के चलते और फैकल्टी व बुनियादी ढांचे पर अत्यधिक बोझ पड़ने के डर से कई संस्थानों में नई नीतियों को लागू करने से बचा जा रहा है। पहले से चली आ रही व्यवस्था से हटकर नई राह पर चलने की इस अनिच्छा ने दोहरे पाठ्यक्रम मॉडल को अपनाने में और बाधा आ रही है।
छात्र जागरूकता और तैयारी: कई छात्र एक साथ दो डिग्री कोर्स करने की सुविधा, उसके नियम व तौर तरीकों से अनजान हैं।