CG में पहचान छुपा रह रहा था बांग्लादेशी कपल; 5 साल पहले भी पकड़ाया, पुलिस ने नहीं भेजा वापस
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी/रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने तथा उन्हें वापस भेजने के लिए दुर्ग जिले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया है। भ

छत्तीसगढ़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ जारी अभियान के तहत दुर्ग पुलिस ने राज्य में पिछले 8 साल से अवैध रूप से रह रहे एक बांग्लादेशी दंपति को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दोनों आरोपियों ने भारत में रहने के दौरान दो बार फर्जी आधार और पैन कार्ड बनवा लिए थे। पुलिस के मुताबिक आरोपी दंपति को इससे पहले साल 2020 में भी इसी आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालांकि मामला अदालत में होने की वजह से दोनों को वापस बांग्लादेश नहीं भेजा गया था।
कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार 16 मई को पुलिस को जानकारी मिली कि सुपेला थाना क्षेत्र के एक मकान में एक संदिग्ध बांग्लादेशी महिला और उसका पति अपनी मूल पहचान छिपाते हुए गलत नाम से रह रहे हैं। इसके बाद जब पुलिस दल ने आरोपी दंपति से पूछताछ की तो उन्होंने अपना नाम ज्योति और रासेल शेख बताया। दोनों ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के उत्तर-24 परगना जिले के निवासी हैं।
पूछताछ के दौरान दंपति ने जानकारी दी कि वह 2009 से 2017 तक नवी मुंबई ठाणे में रहते थे तथा 2017 से वह दुर्ग जिले के भिलाई में रह रहे हैं। इसके बाद जांच के दौरान जब आरोपी दंपति ने अपना आधार कार्ड दिखाया तो पुलिस को वह संदेहास्पद लगा। फिर जब उनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने खुद के बांग्लादेशी होने की बात मान ली। इस दौरान महिला ने अपना असली नाम शाहिदा खातून (35) और उसके पति ने अपना नाम मोहम्मद रासेल शेख (36) बताया। साथ ही कहा कि वे बांग्लादेश के जेस्सोर जिले के निवासी हैं।
भारत में घुसने के बारे में बताते हुए शाहिदा खातून ने कहा कि उसने साल 2009 में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय बोंगा बॉर्डर के जरिए अवैध तरीके से पश्चिम बंगाल में प्रवेश किया था, इसके बाद वह वहां से हावड़ा होते हुए मुंबई पहुंच गई और वहां मजदूरी करने लगी। उसने बताया कि मुंबई में उसका परिचय बांग्लादेश के ही रहने वाले मोहम्मद रासेल से हुआ और फिर दोनों मुंबई से वापस बांग्लादेश चले गए।
बांग्लादेश पहुंचने के बाद शाहिदा खातून ने अपना नाम बदलकर ज्योति रख लिया और रासेल से शादी कर ली। शादी के बाद दोनों ने 2017 में पासपोर्ट और भारतीय वीजा पर भारत में प्रवेश किया। हालांकि इनमें से ज्योति रासेल शेख की वीजा अवधि 13 सितंबर 2018 में तथा रासेल शेख की वीजा अवधि 12 अप्रैल 2020 में खत्म हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि दोनों बांग्लादेशी नागरिकों ने ठाणे में रहने के दौरान फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जन्मतिथि और अपने वास्तविक नाम को छिपाते हुए ज्योति रासेल शेख और रासेल शेख के नाम से फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड तैयार कर लिए। बाद में वह भिलाई में आकर रहने लगे।
पुलिस ने बताया कि साल 2020 में बगैर कानूनी दस्तावेज के भारत में रहते हुए पाए जाने के बाद पुलिस ने महिला और उसके पति के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि यह मामला अदालत में चल रहा है इसलिए दोनों को वापस बांग्लादेश नहीं भेजा गया था।
उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भिलाई में फर्जी पैन कार्ड, मतदाता परिचय पत्र बनवाया और विभिन्न बैंकों में खाता भी खुलवाया। साल 2018 में रासेल शेख के खिलाफ जिले के छावनी थाना क्षेत्र में लूट का मामला भी दर्ज किया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ अवैध रूप से भारत में रहने तथा बांग्लादेशी नागरिक की मूल पहचान को छिपाते हुए स्वयं को भारतीय नागरिक सिद्ध करने के आरोप में विदेशी विषयक अधिनियम 1946, पासपोर्ट अधिनियम 1967, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 और भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि इससे पहले 14 मई को दुर्ग जिले की पुलिस ने अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में बांग्लादेशी महिला अंजली सिंह उर्फ काकोली घोष को गिरफ्तार किया था।
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