The terrifying tales of Naxalite Basava Raju, who has a bounty of Rs 1.5 crore on his head इंजीनियरिग से दंतेवाड़ा में 76 जवानों की हत्या तक; 1.5 करोड़ के इनामी नक्सली बसवा राजू के खौफनाक किस्से, Chhattisgarh Hindi News - Hindustan
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इंजीनियरिग से दंतेवाड़ा में 76 जवानों की हत्या तक; 1.5 करोड़ के इनामी नक्सली बसवा राजू के खौफनाक किस्से

टीचर पिता के बेटे बसवा राजू ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन फिर माओवादियों के संपर्क में आया और फिर एक से बढ़कर एक खौफनाक वारदातों को अंजाम दिया।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, अबूझमाड़Wed, 21 May 2025 07:32 PM
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इंजीनियरिग से दंतेवाड़ा में 76 जवानों की हत्या तक; 1.5 करोड़ के इनामी नक्सली बसवा राजू के खौफनाक किस्से

भारत के सबसे कुख्यात नक्सली नेता बसवा राजू को आज अबूझमाड़ के जंगलों में जिला रिजर्व गार्ड के जवानों ने मुठभेड़ में मार गिराया है। बसवा के ऊपर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था। दोनों तरफ से हुई भीषण गोलीबारी में 30 नक्सलियों को मार गिराया गया है। टीचर पिता के बेटे (बसवा राजू) ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन फिर माओवादियों के संपर्क में आया और फिर एक से बढ़कर एक खौफनाक वारदातों को अंजाम दिया।

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसवा राजू जिसे नंबाला केशव राव के नाम से भी जानते थे। वह 1970 के दशक से ही नक्सली आंदोलन का हिस्सा रहा है। वह इसके सबसे खूंखार रणनीतिकारों में से एक था। उसके ऊपर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था और वे कई राज्यों में सुरक्षा बलों पर कई घातक हमलों के सिलसिले में वांछित था।

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियान्नापेट गांव का मूल निवासी नंबाला एक स्कूल टीचर का बेटा था। 1980 के दशक में छात्र सक्रियता में आने से पहले उन्होंने वारंगल क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। 1980 में छात्र संघ के विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार होने के बाद, वह गायब हो गया और फिर नक्सलियों में शामिल हो गया।

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एक बार नक्सलियों को ज्वाइन करने के बाद राजू ने अगले चार दशकों में तरक्की पे तरक्की करीं। राजू को सावधानीपूर्वक योजना बनाने, निर्मम तरीके से घात करने, जंगल युद्ध में महारथ और IED बनाने के लिए जाना जाने लगा था। सुरक्षा अधिकारियों का मानना ​​है कि वह 2010 के दंतेवाड़ा हमले के पीछे का मास्टरमाइंड भी यही था, जो भारतीय सेना पर अब तक के सबसे घातक हमलों में से एक था। इस हमले में छत्तीसगढ़ में 76 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे।

वर्ष 2018 में आंध्र प्रदेश में टीडीपी विधायक के सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवरी सोमा की हत्या भी शामिल है। उसकी मृत्यु सीपीआई (माओवादी) के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों में, जहां उन्होंने समूह की परिचालन पकड़ को मजबूत करने में मदद की। सुरक्षा बलों का कहना है कि उनकी अनुपस्थिति अल्पावधि में नक्सल संचार और कमांड की श्रृंखला को बाधित कर सकती है।

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