ज्योति मल्होत्रा से पहले माधुरी गुप्ता… 15 साल पहले इस अधिकारी ने भारत को कैसे दिया था धोखा
यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस बीच 15 साल पुराने एक मामले की यादें ताजा हो गई है, जब एक भारतीय अधिकारी ने देश को धोखा दिया था।

Jyoti Malhotra: पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार हुई यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को लेकर एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं। इस बीच 15 साल पुरानी एक घटना की यादें ताजा हो गई हैं। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के विश्वासघात ने भारत को झकझोर कर दिया है। इस घटना के केंद्र में जो नाम था वह है- माधुरी गुप्ता। 2010 में माधुरी गुप्ता को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
माधुरी गुप्ता ने देश को जिस तरह से दगा दिया उससे पूरे देश में खलबली मच गई थी। भारतीय विदेश सेवा (IFS) की एक अनुभवी अधिकारी, माधुरी गुप्ता इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में कार्यरत थी। इस दौरान ही माधुरी पर देश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी माधुरी की पोस्टिंग इस्लामाबाद में हुई थी। यहां उसका काम मुख्य रूप से स्थानीय मीडिया की निगरानी करना और भारत को घटनाक्रम की जानकारी पहुंचाना था। लेकिन माधुरी ने इस दौरान पर्दे के पीछे से भारत से जुड़े कुछ बेहद संवेदनशील जानकारियां ISI को दे दी।
माधुरी गुप्ता का सच
2010 की शुरुआत में भारतीय खुफिया हलकों में खतरे की घंटी बजी। तत्कालीन खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव माथुर को इस्लामाबाद मिशन के अंदर सीक्रेट लीक के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई। फिर जो सामने आया वह भयावह था। जांच में यह पता चला कि माधुरी गुप्ता के जमशेद उर्फ जिम नाम के एक पाकिस्तानी शख्स से संबंध थे। यह युवक एक आईएसआई ऑपरेटिव निकला। जांच के मुताबिक गुप्ता वह एक क्लासिक हनीट्रैप केस में फंस गई थी जहां उसका रोमांटिक रिश्ता उससे जानकारी निकलवाने का एक जरिया महज था।
माधुरी गुप्ता ने क्या-क्या लीक
माधुरी गुप्ता ने भारत की विदेश नीति, आंतरिक सुरक्षा से जुड़े कार्यक्रम, खुफिया अधिकारियों की पहचान और पासवर्ड और यहां तक कि 26/11 के मुंबई हमलों से संबंधित जानकारी भी साझा किए थे। उसने ISI हैंडलर्स द्वारा बनाए गए ईमेल अकाउंट का इस्तेमाल किया था। गुप्ता कम से कम दो आईएसआई अधिकारियों, मुबशर रजा राणा और जमशेद के साथ नियमित संपर्क में रही और 2009 के अंत से अप्रैल 2010 में अपनी गिरफ्तारी तक नियमित रूप से खुफिया जानकारी लीक करती रही।
कैसे हुई गिरफ्तार
पर्याप्त सबूत इकट्ठा होने के बाद माधुरी गुप्ता को सार्क शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बहाने नई दिल्ली बुलाया गया। 22 अप्रैल, 2010 को दिल्ली पुलिस की एक टीम ने माधुरी गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उसे आपराधिक साजिश का दोषी पाया। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा को हुए गंभीर नुकसान का हवाला देते हुए उनकी नरमी की याचिका को भी खारिज कर दिया। जमानत पर रिहा होने से पहले गुप्ता ने तिहाड़ जेल में करीब 21 महीने बिताए। गुप्ता को 2018 में औपचारिक रूप से दोषी ठहराया गया था। 2021 में 64 वर्ष की आयु में माधुरी गुप्ता की मौत हो गई थी।