संजौली मस्जिद में जुमे की नमाज पर बवाल, सड़क पर उतरे हिंदू संगठन, हनुमान चालीसा का पाठ
जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठन देवभूमि संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया और हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया

शिमला के संजौली की विवादित मस्जिद को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। शुक्रवार को यहां नमाज अदा करने को लेकर माहौल गरम हो गया। जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने पहुंचे वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठन देवभूमि संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया और हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया।
नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत द्वारा तीन मई को मस्जिद के संपूर्ण निर्माण को अवैध करार देते हुए उसे ढहाने के आदेश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके मस्जिद में धार्मिक गतिविधियां जारी हैं। इसी के विरोध में समिति के कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं।
पुलिस ने रोका, फिर दी नमाज की इजाजत
शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा और बैरिकेडिंग के बीच जब मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज के लिए मस्जिद की ओर बढ़े तो पुलिस ने उन्हें कुछ समय के लिए रोका और पूछताछ के बाद ही आगे जाने दिया। इस दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य भी वहां पहुंचे और नमाज के विरोध में सड़क पर ही हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे।
प्रशासन पर पक्षपात के आरोप
समिति के सह-संयोजक मदन ठाकुर और विजय शर्मा ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां एक ओर उन्हें मस्जिद के बाहर धार्मिक पाठ करने से रोका गया वहीं मुस्लिम समुदाय को नमाज अदा करने की छूट दी गई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन का यही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में संघर्ष और तेज होगा। शुक्रवार शाम समिति की एक आपात बैठक भी बुलाई गई है जिसमें भविष्य की रणनीति पर निर्णय होगा।
मदन ठाकुर ने मस्जिद परिसर की बिजली और पानी की आपूर्ति बंद करने और वहां आवाजाही पर रोक लगाने की भी मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब निर्णायक संघर्ष शुरू होगा।
देवभूमि संघर्ष समिति ने कहा है कि जब तक मस्जिद को पूरी तरह गिराया नहीं जाता तब तक वहां किसी भी धार्मिक गतिविधि को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विजय शर्मा ने कहा कि यदि प्रशासन हिंदू संगठनों को रोक सकता है तो मुस्लिम समुदाय को भी वही नियम लागू होने चाहिए।
पहले भी भड़क चुका है विवाद
बता दें कि यह मामला पहली बार अगस्त 2024 में तब सुर्खियों में आया जब शहर के मल्याणा क्षेत्र में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था। इसके बाद 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर तनाव और बढ़ गया। 11 सितंबर को हिंदू संगठनों द्वारा किए गए उग्र प्रदर्शन में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था जिसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपिंदर अत्री की अदालत ने 3 मई 2025 को मस्जिद के संपूर्ण निर्माण को अवैध घोषित करते हुए इसे ढहाने का अंतिम आदेश जारी किया था। मुस्लिम पक्ष इस मामले को जिला अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
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