विमल नेगी मामले में सुक्खू सरकार का बड़ा एक्शन, डीजीपी-एसपी पर गिरी गाज
हिमाचल पॉवर कोर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में अफसरों में चल रही खींचतान पर प्रदेश सरकार ने मंगलवार देर शाम बड़ा कदम उठाया है।

हिमाचल पावर कोर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद अफसरों में चल रही खींचतान पर प्रदेश सरकार ने मंगलवार देर शाम बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले से जुड़े तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की है। अनुशासनहीनता और विभागीय समन्वय की कमी के चलते डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा, एसपी शिमला संजीव गांधी और एसीएस (गृह) ओंकार शर्मा को छुट्टी भेज दिया गया है।
भारी पड़ा डीजीपी के खिलाफ मोर्चा खोलना
शिमला के एसपी संजीव गांधी को मेडिकल लीव पर भेजा गया है। उनकी जगह सोलन के एसपी और आईपीएस अधिकारी गौरव सिंह को शिमला के एसपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। संजीव गांधी ने हाल ही में मीडिया से बातचीत के दौरान डीजीपी पर गंभीर आरोप लगाए थे और केस की सीबीआई जांच के विरोध में हाईकोर्ट जाने की बात कही थी।
उन्होंने कोर्ट में दाखिल डीजीपी के हलफनामे को भ्रामक और गैर जिम्मेदार बताया था। इसके अलावा विमल नेगी केस में सीबीआई टीम जब केस का रिकॉर्ड लेने एसपी ऑफिस पहुंची तो संजीव गांधी ने रिकॉर्ड देने से इनकार करते हुए कहा था कि वे इस मामले में हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस रवैये को सरकार ने अनुशासनहीनता माना और कड़ा रुख अपनाया।
डीजीपी छुट्टी पर, नए डीजीपी की तैनाती
वहीं मौजूदा डीजीपी डॉ. अतुल वर्मा, जो कि 31 मई को रिटायर होने वाले हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेज दिया गया है। उनकी जगह 1993 बैच के आईपीएस और विजिलेंस प्रमुख अशोक तिवारी को डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। डॉ. वर्मा ने विमल नेगी केस में अदालत में दायर हलफनामे में शिमला पुलिस की एसआईटी जांच पर सवाल उठाए थे जिससे यह मामला और पेचीदा हो गया।
एसीएस ओंकार शर्मा से सारे विभाग वापस
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा को भी छुट्टी पर भेजा गया है। उनके पास से सभी विभाग वापस ले लिए गए हैं और आईएएस अधिकारी केके पंत को एसीएस होम के साथ-साथ राजस्व और अन्य अहम विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ओंकार शर्मा ने सरकार के आदेश पर विमल नेगी मामले की अलग जांच कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपी थी।
सीएम बोले- अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
सीएम सुक्खू ने पिछले कल दिल्ली से शिमला लौटने पर प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट कहा था कि राज्य सरकार प्रशासनिक अनुशासन और विभागीय समन्वय को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने माना कि डीजीपी, एसआईटी और एसीएस (गृह) की रिपोर्टों में विरोधाभास सामने आया है जिससे स्पष्ट होता है कि विभागों के बीच समन्वय की भारी कमी थी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे पर आरोप लगाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है कि चीफ इंजीनियर विमल नेगी 10 मार्च को शिमला से रहस्यमयी परिस्थितियों में लापता हो गए थे। 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर जिले के गोविंदसागर झील से बरामद हुआ था। प्रारंभिक जांच को लेकर पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
शिमला पुलिस और डीजीपी की रिपोर्टों में भारी विरोधाभास सामने आया था। इस पर हाईकोर्ट ने इसकी सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया। इसके बाद से ही सरकार के भीतर अफसरों के बीच चल रही खींचतान और मतभेद खुलकर सामने आने लगे थे। हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन एसपी शिमला ने प्रेस वार्ता कर डीजीपी पर आरोप लगाए, जिसके बाद डीजीपी ने गृह विभाग को पत्र भेजकर एसपी को निलंबित करने की सिफारिश कर दी थी।
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