बूढ़ों का देश बना जापान: एक तिहाई 65 के पार, लगातार 14वें साल बुरी तरह घटी आबादी
- आंकड़ों के अनुसार जापान की राजधानी टोक्यो और सैटामा में ही आबादी में इजाफा हुआ है। इसकी वजह भी जन्मदर बढ़ना नहीं है बल्कि दूसरे इलाकों से आकर यहां लोगों का बसना है। बता दें कि जापान, रूस, इटली, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में आबादी का संकट गहरा रहा है।

जापान की आबादी में लगातार 14वें साल गिरावट दर्ज की गई है। जन्मदर की कमी के संकट से जूझ रहे जापान के लिए यह हालात चिंताजनक हैं। जापान की सरकार ने जन्मदर में इजाफे के लिए अलग से मंत्रालय तक का गठन किया है और युवाओं को संबंध बनाने एवं शादी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके बाद भी युवा वर्ग में परिवार बढ़ाने को लेकर उदासीनता की स्थिति है। 2024 के जो आंकड़े आए हैं, उसके मुताबिक देश में 65 साल से अधिक आयु के लोगों की संख्या 29.3 फीसदी है। जापान के गृह मंत्रालय की ओर से सोमवार को यह आंकड़ा जारी किया गया। अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार जापान की कुल आबादी जापानियों और वहां रहने वाले विदेशियों को मिलाकर 12.3 करोड़ है। यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले 5 लाख 50 हजार कम है।
जापान की आबादी में 2011 के बाद से लगातार गिरावट का दौर जारी है। हर साल जापान की आबादी में कई लाख की कमी आ जाती है। जापान की आबादी 2008 में अपने टॉप पर थी। जापान के लिए मुश्किल स्थिति यह है कि बुजुर्गों की आबादी लगातार बढ़ रही है, जबकि युवा लोगों की आबादी में लगातार गिरावट हो रही है। हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 15 साल से कम उम्र के लोगों की संख्या अब देश में 11 फीसदी ही बची है। यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले 3 लाख 43 हजार कम है। जापान में युवाओं की आबादी में 1975 से ही लगातार गिरावट चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि जापान में बुजुर्गों की आबादी 36.23 मिलियन हो गई है। बीते साल के मुकाबले बूढ़ों की आबादी में 17 हजार का इजाफा हो गया है।
अब सिर्फ जापानी मूल के लोगों की ही बात करें तो उनकी आबादी सिर्फ 12 करोड़ ही बची है। बीते साल के मुकाबले इन लोगों की संख्या में करीब 9 लाख की कमी आई है। साफ है कि यदि विदेशी लोगों की आबादी जापान से हटा ली जाए तो गिरावट की दर कहीं ज्यादा है। विदेशी लोगों की बात करें तो देश में 3 लाख 40 हजार लोग बाहर से आकर बीते एक साल में ही बसे हैं।
आंकड़ों के अनुसार जापान की राजधानी टोक्यो और सैटामा में ही आबादी में इजाफा हुआ है। इसकी वजह भी जन्मदर बढ़ना नहीं है बल्कि दूसरे इलाकों से आकर यहां लोगों का बसना है। बता दें कि जापान, रूस, इटली, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में आबादी का संकट गहरा रहा है। इन देशों के युवाओं की परिवार व्यवस्था में रुचि कम देखी जा रही है। साउथ कोरिया ने भी परिवार बढ़ाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मंत्रालय का गठन किया है।
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