हजारीबाग में निकल आईं 2 पाकिस्तानी महिलाएं, दर्जन भर बांग्लादेशी भी पहचाने गए; 3 हुए फरार
इनमें एक महिला अनिका रहमान आजाद नगर निवासी शफीकुर रहमान की पत्नी हैं। शफीकुर रहमान बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे एचएच रहमान के छोटे भाई हैं। दूसरी महिला बारी कॉलोनी निवासी मिराज अख्तर की पत्नी फातिमा तंजीम है।

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानियों को उनके देश वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद हजारीबाग में भी दो पाकिस्तानी महिलाओं की पहचान हुई है। इसके साथ ही एक दर्जन बांग्लादेशियों की भी पहचान हुई है। ये दोनों महिलाएं लॉन्ग टर्म वीजा पर हजारीबाग में रह रही हैं। इनमें एक महिला अनिका रहमान आजाद नगर निवासी शफीकुर रहमान की पत्नी हैं। शफीकुर रहमान बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे एचएच रहमान के छोटे भाई हैं। दूसरी महिला बारी कॉलोनी निवासी मिराज अख्तर की पत्नी फातिमा तंजीम है।
अनिका रहमान की शादी 1994 में हुई थी। इनका लॉन्ग टर्म वीजा 2014 तक है। जिसका रिन्युअल नहीं हुआ है। इस संबंध में आवेदन दिया गया है। जिस पर रिन्युअल प्रक्रिया चल रही है। वह पांच साल से पाकिस्तान नहीं गई है। जबकि बारी कॉलोनी निवासी फातिमा तंजीम की शादी 2010 में हुई थी। उनका लॉन्ग टर्म वीजा 2021 तक है। जिसके रिन्युअल की प्रक्रिया चल रही है।
पहलगाम हमले के बाद जारी किए गए सरकारी आदेश के बाद एक दर्जन बांग्लादेशियों की भी पहचान हुई है। केंद्र सरकार के फैसले के बाद पुलिस आफिस के विदेश शाखा विभाग ने एक दर्जन बांग्लादेशियों की पहचान की है। जो लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के डिटेंशन सेंटर में बंदी थे। इनमें तीन बांग्लादेशी फरार हो गए हैं। जिनकी खोजबीन अभी भी जारी है।
बताया जाता है कि दोनों पाकिस्तानी महिलाओं ने लॉन्ग टर्म वीजा की अवधि समाप्त होने पर आवेदन दिया था। लेकिन दोनों के वीजा आवेदन की संचिका केंद्र और राज्य सरकार के बीच झूल रही है। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने जिस तरह पाकस्तिानियों को उनके देश वापस भेजने का निर्णय लिया है। इससे हजारीबाग में रह रहीं दोनों पाकस्तिानी महिलाओं के परेशानी खड़ी हो गई है। दोनों ने विदेश विभाग में जाकर पुलिस के समक्ष कहा है कि वह भले ही पाकिस्तान की बेटी हैं, लेकिन अब हजारीबाग की बहू है।
पुलिस का मानना है कि जिले में दर्जनों बांग्लादेशी है। जो अवैध रूप से हजारीबाग में रह रहे हैं। उनकी खोज पड़ताल शुरू हो गई है। इसके लिए इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा है। सभी थाना प्रभारी अपने अपने स्तर से पाकस्तिानियों और बांग्लादेशियों की पहचान करने में जुटे हैं।