बोले बोकारो: अतिक्रमण के नाम पर न तोड़ें दुकान, पहले स्थायी दुकान उपलब्ध कराएं
बोकारो जिला में मालाकार समाज की लगभग 25 हजार आबादी है। इनकी 37 दुकानें अतिक्रमण क्षेत्र में हैं, जिससे दुकानदारों को तोड़-फोड़ और अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्थाई दुकान आवंटन और बैंक लोन...

बोकारो जिला में मालाकार समाज की आबादी लगभग 25 हजार हैं। सिर्फ नया मोड़ पर मालाकार दुकानों की संख्या करीब 37 है। इस समाज के लोग हर तरह से उपेक्षा के शिकार होते आ रहे हैं। अतिक्रमण क्षेत्र में दुकान होने के कारण आए दिन इन दुकानदारों को तोड़-फोड़ की मार झेलनी पड़ती है। वर्षों से सेक्टर टू सी के मैदान में बसाने की मांग भी नहीं सुनी जा रही है। दुकान आवंटित नहीं होने के कारण बैंक से लोन नहीं मिलता है। न हीं किसी तरह की सरकारी सहयोग मिलती है। मजबूरन साहुकारों से अधिक ब्याज दर पर पैसा उठा कर व्यवसाय करते है। फूल के लिए कोलकाता के बाजार पर निर्भर है। माली की नौकरी में भी इस जाति के लोगों के साथ हकमारी हो रही है। जनरेटर का तार भी बिजली चोरी के नाम पर तोड़ कर ले जाया जाता है। सरकार द्वारा प्रशिक्षण और पूंजी की व्यवस्था भी नहीं की जाती है। उक्त बातें बोले बोकारो तहत हिन्दुस्तान संवाद में मालाकारों ने कही।
शादी-विवाह हो, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक या सरकारी आयोजन बगैर फूलों के आयोजन की खुबसूरती में चार चांद नहीं लगता है। नया मोड़ चौक पर विगम करीब 40 वर्षों से फूल माला की करीब 37 दुकानें संचालित है। दुकानों के संचालक हमेशा से पीड़ा सहकर लोगों के उत्साह में खूशबू बिखरने का काम करते है। अस्थाई रूप से दुकान बना ये फुटपाथ दुकान लगाकर अपनी जीविकोपार्जन करते है। कई बार अतिक्रमण हटाने के नाम पर इनके दुकानें तोड़-फोड़ दी जाती है। इस मार को झेल कर भी ये दुकानदार चुपचाप लोगों के लिए सामग्री उपलब्ध कराते है। आंसू पोंछ कर हर बार फिर से बांस बल्ली से दुकानों को फिर खड़ा किया जाता है। यहां के दुकानदान 2012 से लगातार स्थाईकरण की मांग करते आ रहे है। लेकिन आज तक इनकी मांग को अनसुना किया जाता रहा है।
अधिक ब्याज दर पर लोगों से लेते है कर्ज: कहा कि बोकारो में हर दिन लाखों रूपये का फूल कोलकाता से मंगवाया जाता है। सारे फूल बसों के माध्यम से पहुंचता है। कभी कभार जाम में फंसने के कारण फूल सूख जाता है। इस कारण कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। दुकान का आवंटन नहीं होने के कारण बैंक से लोन नहीं मिल पाता है। ऐसे में साहुकारों से अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेकर व्यापार करने को विवश है। दुकानों को स्थाई कर आवंटित कर दिया जाय तो बैंक से सस्ता लोन उपलब्ध होगा। इससे यहां के व्यवसायियों को व्यापार करने में सरलता होगी। बिना मतलब के अत्यधिक कर्ज का ब्याज नहीं चुकाना होगा। न हीं कर्जदार के तरह जीवन यापन करने की नौबत होगी। कहा कि सेक्टर टू में महात्मा बाई फुले की प्रतीमा है। उस स्थान पर हम मालाकारों को दुकान लगने की अनुमति मिले तो बेहतर होगा।
विवाह आदि के समय में वाहन सजाने में होती है परेशानी: कहा कि विवाह-शादी के सीजन में दुल्हें का वाहन सजाने में अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्थाल की कमी के कारण सड़क किनारे वाहन को सजाना पड़ता है। ऐसे में पुलिस बल द्वारा विधि व्यवस्था का हवाल देकर दुकानदारों को परेशान किया जाता है। कई बार तो इसके लिए हर्जाना देना पड़ता है। नहीं देने पर वाहन सजाने से रोक दिया जाता है। इससे हमारा काम हेंपर होता है। सेक्टर टू सी वाला ग्राउंड उपलब्ध करा दिया जाय तो इस परेशानी से बचा जा सकता है। इससे बीएसएल प्रबंधन को भी रॉयल्टी मिलेगी और हमारा भी काम चलेगा। कहा कि यहां बीएसएल से लेकर जिला प्रशासन के तक के अधिकारी पहुंचते है। नेताओं से लेकर जनप्रतिनिधि तक का काम यहां के बाजार से होता है। लेकिन हमारी समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है।
सुझाव
1. मालाकार दुकानों को सेक्टर टू सी ग्राउंड में एयरपोर्ट के निकट स्थाई दुकान बना कर या स्थान देकर आवंटित किया जाय। ताकि परेशानियां कम हो।
2. ऐसी व्यवस्था की जाय कि हमें भी बैंक लोन मिल सके। सरकार हमारे लिए सस्ते ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराये। ताकि जीवन में कर्ज कम हो।
3. पर्याप्त स्थान वाले स्थान पर हमारी दुकानें शिफ्ट की जाय। ताकि बेवजह पुलिस बल की परेशानी से बचा जा सके। काम सरलता से कर गुजर बसर हो।
4. सरकार प्रशिक्षण के साथ लीज पर जमीन उपलब्ध कराये तो बोकारो फूल उत्पादन, इत्र उत्पादन व फूलों का क्रीम आदि में आत्मनिर्भर होगी।
5. बोकारो में फूलों के स्टोरेज की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे अधिक समय तक फूलों को सुरक्षित रखने में सहुलियत होगी।
शिकायतें
1. नयामोड़ में संचालित सभी दुकानें अतिक्रमण का हिस्सा है। स्थाईकरण की मांग के बाद भी हमें स्थाई नहीं किया जा रहा है। आये दिन कई परेशानी झेलनी पड़ती है।
2. बैंक से लोन नहीं मिलता है। इस कारण साहुकारों से अधिक ब्याज दर पर पैसा उठाते है। जीवन कर्जमय हो गया है। किसी तरह व्यापार का संचालन हो रहा है।
3. स्थान की कमी के कारण विवाह-शादी के सीजन में सड़क पर दुल्हें के वाहन को सजाना पड़ता है। पुलिस बल की परेशानी भी झेलनी पड़ती है।
4. सरकार मालाकार समाज को प्रशिक्षण व जमीन उपलब्ध नहीं करा रही है। इस कारण फूलों के लिए हमें कोलकाता पर निर्भर रहना पड़ता है।
5. बोकारो में फूलों के स्टोरेज की कोई व्यवस्था नहीं है। कच्चे माल का व्यापार होने के कारण कई बार नुकासान उठाना पड़ता है। फूल सूख जाते है।
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