बोले बोकारो: पुनर्वास क्षेत्र में कॉलेज बने तो युवा होंगे साक्षर
जैना पंचायत में 15000 की आबादी है, जहाँ पेयजल की नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है। ग्रामीणों को जाति, आय, और आवासीय प्रमाण पत्र के लिए चास प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। साफ-सफाई की कमी और...

विस्थापित पुनर्वास पंचायत जैना में करीब 15000 की आबादी है। पेयजल जलापू्र्ति का नियमित पानी नहीं मिलने से यहां के ग्रामीण परेशान हैं। विगत तीन वर्षों से इस पंचायत में रहने वाले विस्थापितों की समस्या काफी बढ़ गई है। कारण यह है कि जरीडीह प्रखंड क्षेत्र में रहने के बाद भी अब यहां के ग्रामीण विस्थापितों को आय, आवासीय एवं जाति आदि प्रमाण पत्र के लिए चास प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। जबकि तीन वर्ष पूर्व यह काम जरीडीह प्रखंड कार्यालय से ही संभव हो जाता था। साफ-सफाई के अभाव में यहां के लोग जहां-तहां कचरा डंप कर देते हैं। पंचायत में बिजली का खुला तार खतरे की घंटी की तरह सिर पर मंडराता है। स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। खेल मैदान नहीं हैं। सरकारी कॉलेज नहीं होने के कारण छात्रों को 30-35 किमी दूर जाना पड़ता है।
जैना पंचायत की आबादी 15000 है। यहां करीब 88 सौ वोटर हैं। 16 वार्ड सदस्यों का चुनाव होता है। जैना पुनर्वास का क्षेत्रफल 613 एकड़ है। हिन्दुस्तान बोले बोकारो संवाद कार्यक्रम में जैना पंचायत के लोगों ने खुलकर अपनी समस्याओं को रखा। कहा कि पंचायत के लोगों को पेयजल के लिए पानी-पानी होना पड़ता है। सप्ताह में तीन-चार दिन ही पेयजल की सप्लाई मिलती है। पंचायत के कई क्षेत्र में आजतक पानी के लिए पाइप बिछाया ही नहीं गया है। कहीं, मेन पाइप लाइन नहीं पहुंची तो कहीं ब्रांच पाइपलाइन नहीं बिछी है। 2022 को शुरू हुई जैनामोड़ जलापूर्ति योजना के दूसरे फेज का कार्य अबतक पूरा भी नहीं हुआ है। 2026 तक कांट्रेक्टर को मेंटेनेंस करना है। काम पूरा नहीं होने के बाद भी विभाग द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर ठेकेदार को हर माह करीब साढ़े पांच लाख रुपये दिया जाता है। जबकि नियम के मुताबित जब तक कार्य पूरा नहीं होगा, मेंटेनेंस की रकम नहीं मिलेगी। विभाग द्वारा नियमों की अनदेखी की जा रही है। पंचायत में करीब 80 चापानल हैं, लेकिन सभी चापानल में टीडीएस 800 से लेकर 1200 तक होने के कारण पीने योग्य नहीं है।
तीन वर्षों से जरीडीह प्रखंड की जगह चास प्रखंड का लगाना पड़ता है चक्कर : ग्रामीणों ने कहा कि तीन वर्ष पूर्व तक जाति, आय, आवासीय सहित अन्य प्रमाण पत्र का काम जरीडीह प्रखंड से ही हो जाता था। लेकिन, अब इस काम को जरीडीह प्रखंड कार्यालय द्वारा डायरेक्ट नहीं किया जाता है। कहा ये जाता है कि चास प्रखंड कार्यालय में ही विस्थापितों के सभी डॉक्यूमेंटस हैं, इसलिए चास कार्यलय से ही होना है। ऐसे में यहां के विस्थापितों की समस्या बढ़ गई है। लोगों को चास कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। वहां जाने पर अक्सर कर्मचारी नहीं मिलते हैं। इस कारण कई बार चक्कर लगाना पड़ता है। कहा कि स्थानीय विधायक, सांसद एवं सरकार लोगों को इस जंजाल से बाहर निकालने में सहयोग करे। ताकि यहां के लोगों को चास प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने से मुक्ति मिल सके।
जमीन के अभाव में मनरेगा का नहीं होता काम : ग्रामीणों का कहना है कि विस्थापित पुनर्वास क्षेत्र होने के कारण यहां जमीन की काफी कमी है। जो भी खाली पड़ा जमीन है, वो डीपीएलआर की है। जमीन के अभाव में मनरेगा योजना धरातल पर नहीं उतरती और न ही पंचायत के मजदूरों को काम मिल पाता है। पंचयात में साफ-सफाई योजना भी ठप है। साफ-सफाई के लिए सरकार द्वारा एक ठेला वैन दिया गया है। लेकिन, इसे संचालित करने के लिए कोई फंड नहीं मिलता है। यहां के ग्रामीण इनते सबल नहीं हैं कि साफ-सफाई के लिए हर माह कुछ पैसा दे सकें। कहा कि सरकार को चाहिए कि विस्थापित पुनर्वास क्षेत्र में कम से कम 10 मजदूरों को मनरेगा के तहत रखा जाए। जो साफ-सफाई का काम करें और उनकों मनरेगा के तहत मजदूरी मिले। ऐसा करने से लोगों को काम मिलेगा और पंचायत में गंदगी का अंबार नहीं लेगा। ग्रामिणों ने कहा कि बालीडीह, जैनामोड़ से लेकर तुपकाडीह तांतरी तक के विद्यार्थियों को सरकारी कॉलेज नहीं होने से परेशानी होती है। सरकारी कॉलेज इन क्षेत्रों से करीब 30-35 किलोमीटर दूर है। इस कारण यहां के कई बच्चों की पढ़ाई मैट्रिक के बाद नहीं हो पाती है। कहा कि बोकारो एवं बेरमो के विधायक को यहां के लोगों की तकलीफें सरकार तक पहुंचानी चाहिए। जैना पंचायत इन क्षेत्रों के मध्य पर है। यहां डीपीएलआर की काफी खाली जमीनें है। उक्त जमीन पर सरकार पहल करे तो एक अच्छा महाविद्यालय का निर्माण संभव है। जिससे बालीडीह थाना क्षेत्र एवं जरीडीह प्रखंड क्षेत्र के विद्यार्थियों को कम से कम परेशानी होगी।
सुझाव
1. जैनामोड़ ग्रामीण जलापूर्ति योजना द्वारा हर दिन निश्चित समय पर पानी सप्लाई मिलनी चाहिए।
2. तीन वर्ष पूर्व जिस प्रकार जरीडीह प्रखंड से ही विस्थापितों का आय, आवसीय एवं जाति प्रमाण पत्र बनता था, उस व्यवस्था को पुन: चालू किया जाए।
3. बिजली विभाग पंचायत क्षेत्र के जर्जर पोल को बदलने में दिलचस्पी दिखाए। साथ ही जर्जर एवं खुले तारों को भी बदले। ताकि संभावित हादसा को टाला जाए।
4. मनरेगा के तहत जैना पंचायत को कम से कम 10 मजदूर उपलब्ध कराया जाए। जो पंचायत में साफ-सफाई का काम करें।
5. यहां के विस्थापितों को आवास योजना का लाभ मिले, इसके लिए सरकार विस्थापितों को नए सिरे से जमीन उपलब्ध कराए। जो जमीन मिली थी, बंटवारे के बाद वहां आवास बनना संभव नहीं।
शिकायतें
1. पेयजल आपूर्ति नियमित नहीं होने से पानी के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गर्मी के मौसम में यह परेशानी और भी बड़ी हो जाती है।
2. विगत तीन वर्षों से जैना पंचायत के विस्थापितों को आय, आवासीय एवं जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए चास प्रखंड कार्यालय तक दौड़ना पड़ता है।
3. पंचायत में खुले बिजली के तार लोगों के सिर पर खतरा बन कर मंडराते हैं। जर्जर पोल व तार बिजली विभाग द्वारा अभी तक बदला नहीं गया है।
4. फंड के अभाव में सरकार द्वारा साफ-सफाई के लिए दिया गया ठेला वैन रखा पड़ा है। पंचायत में जहां-तहां कचरे का ढेर जमा है। गंदगी फैलती जा रही है।
5. विस्थापित पुनर्वास क्षेत्र होने के कारण यहां जमीन की कमी है। कम जमीन के कारण ग्रामीणों को सरकार की आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
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