TTPS Achieves 91 34 of Annual Power Production Target in Jharkhand ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा टीटीपीएस, Bokaro Hindi News - Hindustan
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ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा टीटीपीएस

गोमिया के टीटीपीएस ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2252.35 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो वार्षिक लक्ष्य का 91.34% है। संयंत्र में सौर और सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित नए प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा...

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSun, 13 April 2025 04:51 PM
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ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा टीटीपीएस

गोमिया, अनंत कुमार। बेरमो के गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित राज्य सरकार का उपक्रम टीटीपीएस यानी तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक इस संयंत्र ने 2252.35 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया है, जो वार्षिक लक्ष्य 2466 मिलियन यूनिट का 91.34 प्रतिशत है। प्लांट लोड फेक्टर 61.22 प्रतिशत दर्ज किया गया। वहीं प्रति यूनिट विशेष तेल खपत 1.08 मिली लीटर रही। यह प्रदर्शन राज्य के ऊर्जा क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत है। टीटीपीएस के महाप्रबंधक सह टीवीएनल के प्रभारी प्रबंधक निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने यह भी बताया कि परियोजना के दूसरे फेज के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने हाल ही में साइट का दौरा किया है, और प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। ऊर्जा विस्तार की दिशा में टीटीपीएस अब सौर और सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित कार्य कर रहा है। परिसर में 50 मेगावाट का ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था। करीब ढाई वर्षों की प्रतीक्षा के बाद इस परियोजना पर काम शुरू होना है और ईपीसी ठेकेदार चयन की प्रक्रिया जारी है।

संयंत्र के दूसरे चरण में 2 गुने 660 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना की जा रही है, जिससे कुल उत्पादन क्षमता 1740 मेगावाट तक पहुंच जाएगी। यह परियोजना लगभग 6500 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की जाएगी। कोयले की आपूर्ति के लिए लातेहार स्थित राजबर ईएंडडी कोल ब्लॉक का विकास किया जा रहा है, जिससे बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी।

पर्यावरणीय स्वीकृति और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन की प्रक्रिया भी प्रगति पर है। परियोजना की सफलता के लिए स्थानीय सहयोग और पारदर्शिता बेहद आवश्यक होगी। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह विस्तार झारखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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