Vaisakhi Celebration at Kiriburu Gurudwara Spirituality and Community Unity किरीबुरू में पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाया गया बैसाखी का पर्व, Chaibasa Hindi News - Hindustan
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किरीबुरू में पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाया गया बैसाखी का पर्व

रविवार को बैसाखी के अवसर पर किरीबुरू के कलगीधर गुरुद्वारा में सिख समुदाय ने श्रद्धा और उल्लास के साथ पर्व मनाया। श्रद्धालुओं ने अरदास, पूजा-पाठ और पारंपरिक कीर्तन में भाग लिया। भव्य लंगर का आयोजन हुआ,...

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाSun, 13 April 2025 05:11 PM
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किरीबुरू में पारंपरिक श्रद्धा के साथ मनाया गया बैसाखी का पर्व

गुवा । रविवार को बैसाखी के पावन अवसर पर किरीबुरू के कलगीधर गुरुद्वारा में श्रद्धा और उल्लास के साथ पर्व मनाया गया। सिख समुदाय के सैकड़ों श्रद्धालु इस अवसर पर एकत्र हुए और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अरदास एवं पूजा-पाठ किया। संपूर्ण वातावरण गुरबाणी और भक्ति रस से सराबोर हो गया। गुरुद्वारा परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था। बाबा दलबीर सिंह और माता दलजीत कौर द्वारा निरंतर पाठ, कीर्तन और गुरुबाणी के आयोजन ने वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया। रंग-बिरंगी सजावट और फूलों की खुशबू ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। इस मौके पर महिलाओं ने पारंपरिक कीर्तन प्रस्तुत किया, जिससे पूरे आयोजन में एक विशेष आध्यात्मिक रंग भर गया। इसके साथ ही विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति के साथ-साथ सांस्कृतिक गौरव का अनुभव भी कराया। बैसाखी पर्व की विशेषता लंगर रही, जिसका आयोजन श्रद्धालुओं की सेवा भावना का प्रतीक बन गया। भव्य लंगर में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसमें सेवाभावी श्रद्धालुओं ने दिनभर सेवा कर आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया। इस आयोजन की सफलता में सिख समुदाय के प्रमुख सदस्य - जगजीत सिंह गिल, अवतार सिंह, ज्ञान सिंह, कुलदीप सिंह, मोनु सिंह, रीमा कौर, दीपा कौर, स्वागता लोहार, श्रीमति दास, ममता सिंह, रम्भा सिंह, बेबी सिंह, धरम सिंह, कुलदीप कौर, निर्मल सिंह, मुख्तार सिंह, सलवेंदर सिंह, नरेंद्र सिंह-सहित अनेक श्रद्धालुओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सभी ने एकजुट होकर सेवा भाव से गुरुद्वारा परिसर को सजाने, लंगर बनाने व श्रद्धालुओं की सेवा में भाग लिया। बैसाखी के इस अवसर पर कलगीधर गुरुद्वारा न केवल एक धार्मिक स्थल, बल्कि एक सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्र के रूप में सामने आया। यहां की गतिविधियों ने न केवल आस्था को गहरा किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द, एकता और सामूहिक सेवा भावना का भी संदेश दिया।

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