बोले धनबाद: अस्पताल में तैनात किए जाएं स्थायी डॉक्टर तभी मिलेंगी बेहतर सुविधाएं
तेतुलमारी में कुष्ठ प्रशिक्षण केंद्र सह जनरल अस्पताल का उद्घाटन 2011 में स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू द्वारा किया गया था। अस्पताल भवन तो बना लेकिन डॉक्टरों और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण यह जर्जर...
तेतुलमारी में कुष्ठ प्रशिक्षण केंद्र सह जेनरल अस्पताल भवन का उद्घाटन 2011 में किया गया था। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने इसका उद्घाटन किया था। दो करोड़ की लागत से अस्पताल भवन बना है। भवन बनने से तेतुलमारी तथा आस-पास की पचास हजार से भी अधिक की आबादी की आस जगी थी। लोगों को लगा था कि सरकारी अस्पताल शुरू होने से सस्ता और सुलभ इलाज मिल सकेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोगों की आशाओं पर तुषारापात हो गया। भवन तो बना लेकिन वहां पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों की तैनाती नहीं की गई। दूसरी सुविधाओं का भी विकास नहीं किया गया। भवन का समुचित इस्तेमाल नहीं होने के कारण वह जर्जर हो गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस अस्पताल को पूरी तरह से शुरू किया जाए।
बाघमारा प्रखंड की छोटानागरी पंचायत में तेतुलमारी कुष्ठ प्रशिक्षण केंद्र सह जेनरल अस्पताल का निर्माण कराया गया है। भवन बन गया लेकिन अन्य सुविधाएं नहीं दी गईं। पर्याप्त संख्या में यहां डॉक्टरों की भी कभी तैनाती नहीं हुई। तय मानकों के अनुसार पारा मेडिकल स्टॉफ, नर्स व एनएनएम भी तैनात नहीं किए गए। अस्पताल बनने के बाद तेतुलमारी तथा आसपास की जनता को लगा था कि यहां बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी। सस्ता और अच्छा इलाज मिलेगा। खासकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए तो यह अस्पताल वरदान जैसा लगने लगा था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। प्रशासनिक उदासीनता समेत अन्य कई कारणों से यह अस्पताल कभी भी पूरी क्षमता के साथ संचालित नहीं हो सका। मांग है कि इस अस्पताल को पूरी क्षमता के साथ शुरू किया जाए। उक्त बातें तेतुलमारी और आसपास के ग्रामीणों ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से कहीं। हिन्दुस्तान की बोले हिन्दुस्तान टीम बुधवार को तेतुलमारी गई थी। वहां के लोगों ने बातचीत में कहा कि यहां डॉक्टर, नर्स, एएनएम समेत अन्य कर्मचारियों की तैनाती की जाए। डॉक्टर की सुविधा नियमित नहीं रहने के कारण यह अस्पताल बेकार साबित हो रहा है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि सिजुआ क्षेत्र में यह एकमात्र सरकारी अस्पताल है। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने अस्पताल का उद्घाटन किया था। दो करोड़ की लागत से अस्पताल का भवन बना था, लेकिन उचित देखभाल नहीं होने के कारण आज भवन जर्जर अवस्था में हो गया है। आसपास में कोई दूसरा सरकार अस्पताल नहीं है। ऐसे में लोगों को इस अस्पताल पर ही भरोसा जगा था। शुरू में कुछ दिनों तक तो अस्पताल की स्थिति ठीक रही। लोगों को इसका लाभ मिला लेकिन बाद में यहां न तो डॉक्टर आने लगे न ही कोई पारा मेडिकल स्टॉफ ही स्थायी रूप से तैनात किया गया। भवन के रखरखाव पर भी ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में पहले तो स्वास्थ्य सेवाओं पर रोक लग गई बाद में भवन की स्थित भी खराब होने लगी। स्थिति यह है कि कई वर्षों से भवन की मरम्मत नहीं हुई। पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। चापाकल खराब पड़े हैं।
सुझाव
1. अस्पताल में नियमित रूप से डॉक्टर व दवाई की व्यवस्था होने से 50 हजार की आबादी को लाभ मिलेगा।
2. सरकार ने धनबाद में एक और मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव दिया है। इस अस्पताल परिसर का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. अस्पताल के जमीन का उपयोग किया जाए तो प्रशासन को आय हो सकती है।
4.अस्पताल सुचारू ढंग से संचालित होने से स्थानीय ग्रामीणों को व्यवसाय की व्यवस्था होगी।
5. अस्पताल के आसपास की जमीन पर भवन व दुकान निर्माण कर बेरोजगार युवाओं को लीज पर देकर व्यवसाय से जोड़ सकते है।
शिकायतें
1. करोड़ो की लागत से बने जेनरल अस्पताल में डॉक्टर की कोई व्यवस्था नहीं है।
2. अस्पताल में पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। इससे काफी परेशानी होती है।
3. उचित देखभाल नहीं होने के कारण भवन जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं।
4. अस्पताल 29 एकड़ जमीन पर है, जमीन बेकार पड़ी हुई है।
5. अस्पताल में न तो स्थायी रूप से कोई डॉक्टर है न ही नर्स ।
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