धनबाद में बिना किडनी विशेषज्ञ किया जा रहा डायलिसिस
धनबाद जिले में किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस की सुविधा सीमित है। केवल दो सरकारी अस्पतालों में 15 मशीनें हैं, जो मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले अपर्याप्त हैं। मरीजों को समय पर डायलिसिस नहीं मिल...

धनबाद, प्रमुख संवाददाता धनबाद जिले में किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस सुविधा सीमित संसाधन के बीच संचालित हो रही है। जिले के सिर्फ दो सरकारी अस्पताल धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सदर अस्पताल कैंपस में डायलिसिस की सुविधा है। यहां कुल मशीनों की संख्या 15 है। दोनों में किसी यूनिट में नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) नहीं हैं। जिले में मरीजों की संख्या के मुकाबले बेड और मशीनों की कमी है। इससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती है। बड़ी संख्या में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाकर डायलिसिस करना पड़ता है।
540 बेड के धनबाद मेडिकल कॉलेज में महज पांच बेड की डायलिसिस यूनिट है। यहां हर दिन तीन शिफ्ट में 15 मरीजों को डायलिसिस की सुविधा दी जाती है। इस यूनिट का संचालन मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ यूके ओझा की देखरेख में होता है। मरीजों को यहां यह सेवा पूरी तरह निशुल्क मिलती है। इस यूनिट में सिर्फ पांच मशीन होने के कारण हमेशा मरीजों की भीड़ रहती है। अचानक किसी गंभीर मरीज के आने पर पहले से तय रोस्टर में बदलाव करना पड़ता है। इससे अन्य मरीजों को या तो समय घटाकर या फिर समय बदलकर डायलिसिस करना पड़ता है। मशीन खराब होने पर स्थिति और भी विकट हो जाती है। अधिकारियों की मानें तो अस्पताल में स्थान और मैनपावर की कमी के कारण मशीनें नहीं बढ़ पा रही हैं। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) के मापदंडों के अनुसार यहां दो बेड की ही डायलिसिस यूनिट संचालित करनी है। मरीजों की जरूरत को देखते हुए पांच बेड की यूनिट चल रही है। बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह अब अपर्याप्त साबित हो रही है। वहीं सदर अस्पताल परिसर में 10 बेड की डायलिसिस यूनिट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर संचालित है। यहां प्रतिदिन 25-30 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। इस यूनिट में बीपीएल समेत कम आय वर्ग के मरीजों को निशुल्क सेवा दी जाती है। अन्य मरीजों से सरकारी दर 1048 रुपये प्रति डायलिसिस शुल्क लेने का प्रावधान है, लेकिन आमतौर पर यहां आनेवाले मरीजों को निशुल्क डायलिसिस ही दिया जाता है।
रोस्टर में स्थान पाना मुश्किल
धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सदर अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में मरीजों के डायलिसिस के लिए रोस्टर बनाया जाता है। इस रोस्टर में स्थान पाने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। जब तक मरीज का नाम रोस्टर में शामिल नहीं हो जाता, उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में जाकर डायलिसिस कराना पड़ता है। प्राइवेट में मरीजों को प्रति डायलिसिस दो-तीन हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
सदर अस्पताल में चार और मशीनें लगेंगी
सदर अस्पताल कैंपस में पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस यूनिट में चार और मशीनें लगाई जाएंगी। यूनिट संचालक हुसैन के अनुसार मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां चार नई डायलिसिस मशीनें मंगाई गई हैं। इसे इंस्टॉल किया जा रहा है। अगले एक-दो सप्ताह में इसका इस्तेमाल शुरू हो जाएगा।
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में पांच बेड की चलेगी यूनिट
धनबाद में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शुरू होना है। इसकी तैयारी चल रही है। भवन बनकर तैयार है। डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इस हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी विभाग है। यहां पांच बेड की डायलिसिस यूनिट चलेगी। इसके शुरू होने से किडनी मरीजों को थोड़ी राहत मिलेगी।
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- 15 डायलिसिस मशीन लगी है दो सरकारी अस्पताल में
- 10 मशीन है सदर अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित
- 05 मशीन है धनबाद मेडिकल कॉलेज की डायलिसिस यूनिट में
सदर अस्पताल में 10 बेड की डायलिसिस यूनिट चल रही है। एजेंसी को जरूरत के अनुसार मशीन बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
- डॉ चंद्रभानू प्रतापन, सिविल सर्जन, धनबाद
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी विभाग है। यहां डायलिसिस के लिए पांच मशीनें लगेंगी। हॉस्पिटल शुरू होने पर मरीजों को इसका लाभ मिलेगा।
- डॉ रवि भूषण, नोडल पदाधिकारी, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
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